नमस्कार प्रिय पाठकों, आज के इस लेख में मैं आपके लिए Top 10 Hindi Stories with Moral: हिंदी नैतिक कहानियां लेकर आई हूं। ये Hindi Moral Stories बहुत ही रोचक होने के साथ-साथ पाठक के मन पर एक अच्छी गहरी छाप भी छोड़ती है।
ये हिंदी नैतिक कहानियां सभी उम्र के लोगों के लिए श्रेष्ठ है। Hindi moral Stories हमें अच्छे और बुरे में फर्क करना सिखाती है। हिंदी कहानियों में छिपी शिक्षा को समझना आसान होता है।
इसीलिए कहा भी जाता है कि यदि आप अपने बच्चे या किसी और में कोई गुण देखना चाहते है तो उसे सीधा आदेश देने या समझने की बजाय Moral Stories in Hindi के माध्यम से समझाएंगे तक वो ज्यादा बेहतर समझेगा।
जंगल का जादूई पेड़ (Hindi Stories with moral)
एक आनंदपुर नाम का गांव था। उस गांव के पास एक छोटा सा घना जंगल था। उस जंगल में अनेक प्रकार की वनस्पतियां और पेड़-पौधे थे। लेकिन उस जंगल में एक ऐसा पेड़ भी था, जिसके सभी फल रंग-बिरंगे और बहुत चमकीले थे।
गांव के लोग जंगल के उस जादुई पेड़ को रहस्यमयी मानते थे और कोई भी उस पेड़ के पास जाने से कतराता था। गांव वालो ने अपने बच्चो को भी साफ हिदायत दे रखी थी कि उस पेड़ के पास कोई नहीं जायेगा।
एक दिन गांव के 5 बच्चे खेलते-खेलते जंगल में पहुंच जाते है। इन पांचों बच्चो के नाम होते है- रोहित, हिमांशु, स्नेहा, भूमि और नायु। पांचों बच्चो को जंगल में वो पेड़ दिखाई देता है। पांचों ही उसके सुंदर फल देखकर खाने के लिए लालायित हो जाते है। वो अपने घर वालों की समझाई बातें भूल जाते है।
रोहित पेड़ पर चढ़कर पांचों के लिए एक-एक फल तोड़कर लाता है और पांचों बच्चे फल खा लेते है। फल खाते ही पांचों बच्चो को अजीब सा अहसास होता है, जैसे उनमें कोई जादुई शक्तियां आ गई हो।
रोहित के पास उड़ने के शक्ति आ जाती है। हिमांशु के पास दूर से देखने के शक्ति आ जाती है। स्नेहा के पास किसी भी चीज को अपनी और आकर्षित करने की शक्ति मिल जाती है, जिससे वह कहीं भी बैठी हुई दूर-दूर तक की चीजें अपनी ओर खींच सकती है। भूमि के पास गायब होने की शक्ति आ जाती है, जिससे वह लोगो को दिखाई नहीं देती। नायु के पास जल की शक्ति आ जाती है, जिससे वह जितना चाहे जल की धारा बहा सकती है।
पांचों बच्चे अपनी जादुई शक्तियां पाकर बहुत खुश होते है। पांचों बच्चे जंगल में अपनी शक्तियों के साथ मस्ती करने लगते है। रोहित हवा में उड़ने लगता है। हिमांशु दूर-दूर तक के सुंदर नजारों को देखता है। वो दूर की बर्फीली पहाड़ियां, सुंदर झरने और यहां तक की रेगिस्तान भी देख लेता है।
स्नेहा दूर दूर से बिना हाथ लगाए अपनी ओर चीजें खींच लेती है। भूमि गायब हो जाती है। नायु अपनी जल की शक्ति से जंगल में एक नदी बहा देती है। पांचों दोस्त उस नदी में खूब नहाते है और फिर घर आ जाते है।
पांचों दोस्त अब अपनी-अपनी शक्तियों के साथ बहुत खुश थे। वो रोजाना अपनी शक्तियों के साथ बहुत मस्ती करते। लेकिन धीरे धीरे बच्चो की शैतानियां बढ़ने लगी और वो लोगों को परेशान करने लगे।
रोहित उड़कर अक्सर लोगो और दूसरे बच्चो को परेशान करता। हिमांशु लोगो की निजी जिंदगी देखता और उनके घर के गुप्त स्थानों की जानकारी सार्वजनिक कर देता, जिससे गांव में चोरिया बढ़ने लगी। स्नेहा लोगो के घरों से सामान अपनी ओर खींचने लगी, जिससे सामान गायब होने लगा।
भूमि गायब होकर लोगों को डराने लगी। नायू सार्वजनिक स्थानों और यहां तक की लोगो के आने जाने वाले रास्तों पर ही अपने दोस्तों के लिए स्विमिंग पुल बना देती, जिससे लोगो को आवागमन में परेशानी होती। इस प्रकार, बच्चे अपनी शक्तियों का गलत उपयोग करने लगे थे।
एक दिन गांव के बुजुर्ग व्यक्ति ने बच्चो को समझाया कि आप लोगो को अपनी शक्तियों का सही उपयोग करना चाहिए ताकि गांव के लोगो की सहायता हो सके। अगर तुम इन शक्तियों का गलत उपयोग करोगे तो एक दिन तुम लोगों से ये शक्तियां छीन जायेगी। (Hindi Stories with moral)
बच्चो को बुजुर्ग की समझाई हुई बात समझ आ गई। पांचों बच्चो ने गांव वालो को उनकी वजह से जो परेशानी हुई, उसके लिए माफी मांगी। गांव वालो ने बच्चो को नादान समझकर माफ कर दिया।
अब बच्चे अपनी जादुई शक्तियों से गांव के लोगो की सहायता करते। रोहित उड़ते वक्त यदि किसी को आपातकालीन स्थिति में देखता तो वह तुंरत लोगो को उनकी मदद करने के लिए सूचना दे देता। हिमांशु अपनी दूर से देखने की शक्ति की सहायता से लोगो की खोई हुई चीजें ढूंढने में मदद करता। स्नेहा अपनी आकर्षण की शक्ति से लोगो को भारी भरकम सामान उठाने में मदद करती।
भूमि लोगो की ऐसी स्थिति में अदृश्य होकर मदद करती जब कोई भी प्रत्यक्ष रूप से मदद नहीं कर पाता। एक बार गांव के किसी साहूकार को चोरों ने पकड़ लिया और फिरौती के लिए उसकी गर्दन पर चाकू लगा लिया। पुलिस वाले चाहकर भी कदम आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे क्योंकि वे जरा भी हिलते तो चोर साहूकार को मार देते। तभी भूमि ने अदृश्य होकर चोरों से चाकू छीन लिया और पुलिस वालों ने उन्हें पकड़ लिया।
नायु गांव के लोगो के लिए पानी की व्यवस्था करती और यदि कभी आग लगने जैसी घटना होती तो वो तुरंत जल धारा बहाकर आग बुझा देती और लोगो को बचा लेती।
इस प्रकार, आनंदपुर गांव अब फिर से खुशहाल हो गया। चोर-उचक्के और बुरे लोग अब इन पांचों से डरने लगे थे। गांव में अब पहले से अधिक शांति थी। गांव के लोग पांचों बच्चो से बहुत प्यार करने लगे। इससे बच्चों ने सीख ली कि हमें अपनी शक्तियों का प्रयोग लोगों की भलाई के लिए करना चाहिए, न कि उन्हें परेशान करने के लिए।
जंगल का जादूई पेड़ कहानी से शिक्षा
जंगल का जादूई पेड़ नैतिक कहानी (moral stories in hindi) से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें शक्तियों और प्रतिभाओं का सही उपयोग करना चाहिए, जिससे लोगों की मदद हो सके। यदि हम अपनी प्रतिभा का सही उपयोग करेंगे तो लोगो के स्नेह और सम्मान के हकदार बनेंगे।
दोस्ती की परीक्षा (Moral Stories in Hindi)
बहुत समय पहले, एक गांव में दो दोस्त रहते थे। एक का नाम था- अरुण और दूसरे का नाम- अर्जुन था। उन दोनो ने अपनी पढ़ाई साथ-साथ ही पूरी की थी। अरुण और अर्जुन का घर भी बिल्कुल पास-पास था। यदि एक दोस्त पर कोई मुसीबत आती तो दूसरा दोस्त हमेशा तैयार रहता था। अरुण और अर्जुन की दोस्ती की लोग मिसाल देते थे।
एक दिन उनके गांव में एक साधु महाराज आए। ये बहुत ही पहुंचे हुए साधु थे। उनके पास अनेक जादुई शक्तियां थी। साधु बाबा ने गांव के लोगो से अरुण और अर्जुन की दोस्ती के बारे में सुना तो उन्होंने परीक्षा लेनी चाही।
अगले दिन साधु महाराज ने अरुण और अर्जुन को अपने पास बुलाया और कहा, “मैंने तुम दोनो की दोस्ती के बारे में बहुत चर्चे सुने है। मुझे आपकी दोस्ती देखकर खुशी हुई है। मैं आप दोनो को आशीर्वाद स्वरूप एक खजाना देना चाहता हूं। मुझे बहुत समय से ऐसे व्यक्ति की तलाश थी, जो उस खजाने के योग्य हो।”
अरुण और अर्जुन बहुत खुश हुए। दोनो ने साधु महाराज का नतमस्तक होकर धन्यवाद किया। साधु महाराज ने कहा “उस खजाने तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल है। खजाना जंगल में एक गुफा में छुपा हुआ है। इस खजाने तक कोई बहादुर इंसान ही पहुंच सकता है। क्या तुम दोनो इतने बहादुर हो?”
अर्जुन ने कहा “हां महाराज, जब तक हम दोनों साथ है, तब तक बड़ी से बड़ी विपदा का भी सामना कर सकते है। आप कृपा करके हमें उस खजाने का पता बता दीजिए।” अरुण ने भी अर्जुन की हां में हां मिलाई।
तो साधु महाराज ने उन दोनो को एक मानचित्र दिया, जिसमे खजाने तक पहुंचने का रास्ता था। दोनो दोस्तो ने जंगल में जाने की तैयारी कर ली और दोनो दोस्तो ने अगली सुबह होने तक का इंतजार किया।
अगली सुबह उन्होंने अपने साथ भोजन और पानी का बैग लिया और जंगल की तरफ चल पड़े। उधर, साधु महाराज ने अपनी जादुई शक्तियों से पूरी योजना बना रखी थी।
अरूण और अर्जुन ने जंगल में थोड़ी ही दूर गए थे कि साधु महाराज ने अपनी जादुई शक्ति से भालू को उनकी ओर भेज दिया। जैसे ही अरुण और अर्जुन ने भालू को देखा तो दोनो डर गए। अरुण भागकर पेड़ पर चढ़ गया। वो जानता था कि अर्जुन को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता।
जब अर्जुन को कुछ नहीं सूझा तो वो लेट गया और सांस रोककर मरने का नाटक करने लगा। जब भालू उसके पास आया तो उसने समझा कि वो मरा हुआ इंसान है तो वह उसके पूरे शरीर को सूंघकर चला गया।
भालू के जाने के बाद अरुण पेड़ से नीचे उतरा और अर्जुन से पूछा कि “भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?” तो अर्जुन ने कहा भालू ने मेरे कान में कहा कि “तुम्हारा दोस्त धोखेबाज है। धोखेबाजों पर कभी भी विश्वास मत करों। समय आने पर ऐसे लोग विपत्ति में भी अकेला छोड़कर भाग जाते है।”
अरुण को अपनी करनी के लिए शर्मिंदगी महसूस हुई। अरुण ने माफी मांगी तो अर्जुन ने माफ कर दिया।
जब दोनो जंगल में आगे चले तो दोनो को बहुत जोर से भूख लगी। साधु महाराज ने अर्जुन का भोजन गायब कर दिया। लेकिन अर्जुन को लगा कि वह अपना भोजन कहीं रखकर भूल गया है। उसने जब अरुण से भोजन मांगा तो अरूण सोचता है कि यदि वह इस भोजन को अर्जुन को दे देगा तो वह दोबारा भूख लगने पर क्या खायेगा। इसलिए अरुण भोजन देने से मना कर देता है। अर्जुन को अरुण का यह व्यवहार देखकर दुःख होता है।
तभी साधु महाराज की माया से अर्जुन को कुछ जंगली मीठे फल दिखते है। ये फल बहुत कम थे और शायद उनसे अर्जुन की भूख भी शांत नहीं होती। लेकिन खाने में बड़े स्वादिष्ट थे। अर्जुन ने उन स्वादिष्ट फलों में से आधे फल अपने दोस्त को दे दिए और दोस्ती का फर्ज निभाया। अरुण यह देखकर शर्मिंदा हुआ और माफी मांगी। तो अर्जुन साफ दिल का था, इसलिए उसने अरुण को माफ कर दिया।
अब दोनो की अंतिम परीक्षा की बारी थी। आखिरकार वो दोनो गुफा के पास पहुंच गए। गुफा का कपाट बड़े-बड़े पत्थरों से बंद था। दोनो दोस्तों ने मिलकर पूरी शक्ति से पत्थरों को हटा दिया। अब अंदर से चमकता हुआ खजाना उन्हें बाहर से ही दिखाई दे रहा था।
खजाने को देखकर अरुण के मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि यदि वह अकेला इस खजाने को ले जाए, तो अकेला शहर का सबसे अमीर आदमी बन जाएगा। अरुण ने सोचा की मैं सारे खजाने को अकेला बाहर ले आऊं और उसके बाद अर्जुन को गुफा में बंद कर दूं।
अरुण अर्जुन से कहता है कि “तुम यहीं रुको, मैं गुफा के अंदर जाकर देखता हूं।” अरुण गुफा में चला जाता है और सारा खजाना बाहर लेकर आ जाता है। उसके बाद अर्जुन से कहता है कि “तुम अपने हिस्से का खजाना ले आओ। मैं बाहर रुकता हूं।”
अर्जुन के गुफा में प्रवेश करते ही, अरुण गुफा का दरवाजा बड़े-बड़े पत्थरों से रोक देता है। और खजाना लेकर भागने लगता है। तभी उसके चारों ओर आग लग जाती हैं और साधु महाराज प्रकट हो जाते है। साधु अपनी जादुई शक्ति गुफा का दरवाजा खोल देते है तो अर्जुन भी बाहर निकल जाता है।
साधु महाराज अरुण से कहते है कि “मैं तुम दोनो की दोस्ती की परीक्षा ले रहा था। लेकिन तुम इस परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हुए। अर्जुन ने अपनी दोस्ती सच्चाई से निभाई है और इसलिए केवल उसे ही खजाने का आधा हिस्सा मिलेगा। आधा हिस्सा किसी और सच्चे और अच्छे इंसान के लिए सुरक्षित रहेगा।”
इतना कहकर साधु ने अर्जुन को उसके हिस्से का खजाना दे दिया और बाकी खजाने को गुफा सहित अदृश्य कर दिया। साधु महाराज अरुण को श्राप देने लगे तभी अर्जुन ने उन्हे रोक लिया और कहा कि “महाराज ये नादान है। इसे माफ कर दीजिए।”
अरुण अर्जुन के पैरो में गिरकर क्षमा याचना करता है और कहता है कि वह लालच के वशीभूत होकर अपनी दोस्ती की परीक्षा (hindi stories with moral) में सफल नहीं हो पाया। अर्जुन उसे माफ कर देता है और दोनो दोस्त गांव चले जाते है। लेकिन अरुण ने अर्जुन का विश्वास खो दिया था।
दोस्ती की परीक्षा कहानी से शिक्षा
इस दोस्ती की परीक्षा कहानी (hindi stories with moral) से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें दोस्ती को सच्चाई से निभाना चाहिए। धोखा और गद्दारी हमें ज्यादा देर के लिए खुशी नहीं दे सकते। साथ ही, हमें आंख बंद करके गद्दार दोस्त पर भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसे धोखेबाज लोग हमें कभी भी विपत्ति में डाल सकते है।
सच्चाई का आइना (Hindi Stories with moral)
एक बार की बात है, प्रीतमपुर नाम का एक छोटा सा गांव था। वह गांव देखने में बेहद खूबसूरत था। उस गांव का सौंदर्य देखने लायक था। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी। अनेकों पेड़-पौधे फल फूल थे। यह प्रकृति का बेहद खूबसूरत नजारा था। इसी की वजह से वह गांव खूबसूरत लगता था।
प्रीतमपुर गांव में सुहानी नाम की एक लड़की रहती थी जो अपनी सुंदरता पर बहुत गर्व करती थी | सुहानी बेहद खूबसूरत थी। उसकी सुंदरता पूरे गांव में मशहूर थी। सुहानी की जैसी सुंदर लड़की गांव में ही नहीं बल्कि गांव के आसपास कोई भी नहीं थी। सुहानी का रंग रूप बिल्कुल दादी-नानी से सुनी hindi stories with moral की तरह था।
सभी औरतें सुहानी की खूबसूरती से जलती थी। उसकी बड़ी-बड़ी बिल्ली आंखें, लंबे काले घने बाल, दूध जैसी सफेद कोमल त्वचा और बेहद सुंदर चेहरा देखकर लोग उसकी तारीफ करते नहीं थकते थे |
उसकी सुंदरता की चर्चा हर जगह होती थी और यह बात सुहानी के दिल में इतनी समा गई थी कि वह अपनी सुंदरता को सबसे बड़ा गुण मानने लगी थी। सुहानी को अपनी सुंदरता पर बेहद अभिमान था।
सुहानी को लोग रूप सुंदरी नाम से बुलाते थे। जो भी इंसान सुहानी को देख लेता था उसे लगता था जैसे उसने किसी स्वर्ग की अप्सरा को देख लिया हो। लोगों का मानना था कि देव भी सुहानी की सुंदरता से जलते हैं।
लोगो की बातो से सुहानी सच में खुद को रूप सुन्दरी मानने लगी थी। सुहानी को लगने लगा कि उसमें कोई भी बुराई नहीं है और वो सर्वगुण सम्पन्न है। लेकिन सुहानी देखने में जितनी सुन्दर थी, उतनी ही उसमें बुरी आदतें भी थी।
सुहानी को अपनी खूबसूरती से बेहद प्यार था, इसलिए उसे अपने आप को आइने में देखना बेहद पसंद था। सुहानी जब भी अपने आप को आइने में देखती थी तो उसे अपनी खूबसूरती से और भी ज्यादा प्यार हो जाता था। इसी वजह से सुहानी को आइने बेहद पसंद थे।
सुहानी के पास बहुत सारे आइने थे। सुहानी को एंटीक आईनों को इकट्ठा करना बेहद अच्छा लगता था। इसलिए सुहानी जब भी बाजार जाती तो अपने साथ एक आईना जरूर खरीद कर लाती थी।
एक दिन सुहानी बाजार जाती है, सुहानी हमेशा की तरह बाजार में घूमती रहती है और एक बेहद खुबसुरत आइने की तलाश कर रही होती है। सुहानी को बाजार में घूमते हुए एक अनोखा आईना मिलता है, वह आईना सामान्य से कुछ अलग था और वह आईना देखने में भी बेहद खूबसूरत था।
उसके फ्रेम पर जटिल नक्काशी की हुई थी और उसमें से एक रहस्यमई चमक निकल रही थी। सुहाने को आईना बहुत पसंद थे इसलिए वह आईने को खरीद कर घर ले आती है। सुहानी को वो आईना इतना खूबसूरत लगता है कि वो सोचती हैं कि यदि वह खुद को इस आइने में देखेगी तो उसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे और वो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत नजर आएगी।
घर जाकर सुहानी ने उस आइने को खोला और अपने कमरे में एक खुबसुरत जगह पर रख दिया। अब जब सुहानी ने खुशी-खुशी आईने में खुद को देखा तो वो अपने आप को आइने में देखकर दंग रह गई। सुहानी ने जो देखा उसके बाद उसे अपनी आंखों पर विश्वास नही हो रहा था। उसने देखा कि उसका चेहरा आईने में बिल्कुल बदसूरत लग रहा था। उसके चेहरे पर झुर्रियां थी,और तो त्वचा पर दाग धब्बे थे। सुहानी बेहद बदसूरत नजर आ रही थी।
यह देखकर वह चौंक गई और सुहानी ने आइने को काफी बार अच्छे से साफ किया, अपनी आंखों को साफ किया लेकिन सुहानी आइने में खुद को बदल ही नहीं पा रही थी। सुहानी को गुस्सा आने लगता है। वह उस आइने को बेकार आईना कहती है और गुस्से में आकर वो आईने को जमीन पर पटक देती है, और उस आइने को तोड़ने की कोशिश करती है, लेकिन वह आइना टूटा नहीं। (Hindi Stories with moral)
आईना बिल्कुल वैसा ही था उसे बिल्कुल भी कुछ नहीं हुआ। सुहानी ये देख कर हैरान रह जाती है। सुहानी को कुछ भी समझ नहीं आता है। सुहानी एक बार फिर अपने आप खुश आईने में देखती है लेकिन सुहानी वैसे ही बदसूरत लग रही थी। अब सुहानी ने जब दूसरे आईने में खुद को देखा और वहां वह पहले की तरह खूबसूरत ही लग रही थी।
उसे कुछ समझ नहीं आया कि उसने आईने में ऐसा क्यों हो रहा था। उसने गुस्से में आकर फिर से उसे तोड़ने की कोशिश की लेकिन फिर भी आईना सही सलामत था। गुस्से में आकर सुहानी आईने को घर के बाहर कचरा में फेंक देती है।
अब शाम का समय था सुहानी काफी परेशान हो चुकी थी तो सुहानी सोने चली जाती है। अगली सुबह जब सुहानी उठती है तो वह उस आईने को अपने कमरे में उसी स्थान पर वापस आती है जहां पर उसने आईना रखा था। सुहानी को कुछ भी समझ नहीं आता है। वह सोचती है कि उसने तो आईना बाहर फेंक दिया था तो फिर वापस कैसे आया। सुहानी को अजीब सा डर लगने लगता है।
सुहानी को यह समझ में आ जाता है कि वह आइना एक मामूली आईना नहीं है। सुहानी को लगने लगता है कि अब वह उसे आईने से पीछा नहीं छुड़ा सकती है लेकिन सुहानी को यह समझ में नहीं आता है कि वह इतनी खूबसूरत है परंतु उसे आईने में उसका चेहरा इतना बदसूरत क्यों लग रहा है। सुहानी सारा दिन सोचती रहती है।
इतना सोचने के बाद सुहानी थक जाती है और वह तय करती है कि वह बाहर जाएगी। सुहानी शाम को टहलने के लिए बाहर चली जाती है। सुहानी जब बाहर जाती है तो कुछ देर बाहर घूमने के बाद उसे एक बुजुर्ग महिला दिखाई देती है जो कि लोगों से मदद मांग रही थी महिला को देखते हैं। उसके आसपास जान-पहचान के काफी सारे लोग होते हैं जो उस महिला की मदद नहीं कर रहे थे।
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सुहानी ने अपने आप को ऊपर दिखाने के लिए यह जताने के लिए की सुहानी काफी अमीर है, उसने उस बुजुर्ग महिला को बिना सोचे-समझे उसे कुछ भी ना पूछे बहुत सारा पैसा उसको दे दिया। सुहानी ने जाने में एक महिला की मदद की। लेकिन सुहानी अभी भी परेशान थी। सुहानी उस महिला को पैसे देकर घर को वापस आने लगती है।
जब सुहानी घर पर वापस आती है तो वह सोचती है कि वह खुद को एक बार फिर से आईने में देखेगी जब सुहानी उसे आईने में खुद को देखती हैं कि उसका चेहरा पहले से थोड़ा बहुत साफ नजर आ रहा है। सुहानी को समझ में नहीं आता है कि पहले तो है बहुत बदसूरत नजर आ रही थी अचानक से उसका चेहरे में यह थोड़ा बहुत बदलाव कैसे आया।
सुहानी सोच में पड़ जाती है। सुहानी अपने कमरे में बैठकर सोचने लगती है कि ऐसा आखिरकार क्यों हुआ होगा। सुहानी अपना सारा दिन याद करती है कि उसने आखिरकार सारे दिन में क्या किया था। जब सुहानी ने सारे दिन की दिनचर्या याद कर रही थी।
तब सुहानी को ऐसा कुछ भी याद नहीं आता है जिससे उसे वालों की यह उसके चेहरे को बदलने का कारण हो सकता है क्योंकि सुहानी ज्यादातर समय घर में ही थी। थोड़ी देर बाद सुहानी को याद आता है कि शाम को वह बाहर घूमने गई थी जहां पर उसने सिर्फ आसपास के लोगों को देखा था को याद आता है कि उसने आज एक बुजुर्ग महिला की मदद की थी।
सुहानी को अब धीरे-धीरे समझ में आने लगता है कि शायद यह आइना इसी वजह से मेरे चेहरे को थोड़ा साफ दिख रहा है परंतु सुहानी को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। सुहानी अपनी दिल की बात सुनती है और उस बात पर विचार करने लगती है।
सुहानी को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था, सुहानी के घर में बहुत सारी किताबें रखी हुई थी तो अचानक से सुहानी नजर एक किताब पर जाती है जिसमें जादुई आईने के बारे में लिखा हुआ था। सुहानी उस किताब को उठाकर पढ़ने लगती है। उस किताब को पढ़ने के बाद सुहानी को पता लगता है कि जो आईना उसके पास है, वह एक साधारण आईना नहीं है। बल्कि वह एक सच्चाई का आइना है।
यह सच्चाई का आइना बाहरी सुंदरता को नहीं व्यक्ति के अंदर की सुंदरता को दिखाता है। सुहानी हैरान हो जाती है और सुहानी को अब धीरे-धीरे सब कुछ समझ में आने लगता है। सुहानी अपने इरादों की पक्की लड़की थी।
सुहानी ठान लेती है कि वह उसे आईने में खुद को खूबसूरत बनकर ही रहेगी। सुहानी अब खुद के बारे में जानने का प्रयास करती है कि उसमें कौन-कौन सी बुराइयां है। सुहानी में कई बुरी आदतें थी जो उसे बदलनी थी, वह अक्सर दूसरों को नीचा दिखाने में लगी रहती थी।
वह केवल खुद को सबसे सही और ऊपर मानती थी। उसकी झूठ बोलने की आदत थी और वह दूसरों की परेशानियों से कभी भी सहानुभूति नहीं दिखाती थी। उसने धीरे-धीरे इन आदतों को बदलना शुरू किया। उसने सबसे पहले अपने अहंकार को छोड़ने का निर्णय लिया।
किसी भी व्यक्ति के लिए खुद के अहंकार को छोड़ना आसान नहीं होता है। इंसान खुद को बदल सकता है पर तो उसको समय चाहिए होता है लेकिन सुहानी के पास बिल्कुल भी समय नहीं था।
वह जल्दी से जल्दी खुद को बदलना चाहती थी इसलिए अब वह लोगों के साथ विनम्रता से पेश आने लगी और उनके दुख-सुख को समझने का प्रयास करने लगी लेकिन सुहानी के लिए खुद को बदलना इतना आसान नहीं था। फिर भी वह मन में यह ठान लेती है कि वह खुद को उस सच्चाई का आइना में खूबसूरत बनकर ही रहेगी इसलिए वह अपनी अहंकार को त्याग देती है।
वह लोगों से घुलने-मिलने लगती है और उनके सुख में उनके साथ देने लगती है। लोगों को सुहानी के इस बदले हुए बर्ताव से काफी हैरानी होती है परंतु वह बहुत खुश भी होते हैं। झूठ बोलने की आदत को बदलना कठिन था लेकिन उसने इसके लिए खुद को रोज याद दिलाया कि सच बोलना सबसे बड़ा गुण है।
धीरे-धीरे वह अपनी इस बुरी आदत से छुटकारा पाने लगी। सुहानी के इस बदलाव से भी उसके आस-पास के लोग बेहद खुश हुए लेकिन अपनी इस आदत को छोड़ने के बाद सुहानी को भी बेहद खुशी मिल रही थी।
उसने अब दूसरों की मदद करना अपनी आदत बना लिया था। वह गरीबों को खाना खिलाती, सभी की समस्या सुनती थी और जहां तक संभव हो मदद करती। सुहानी ने अब बहुत सारे लोगों को मदद की थी। सुहानी को दूसरों की मदद कर कर एक अलग ही सुख प्राप्त होने लगा था। सुहानी को एक सुकून मिलने लगा था। सुहानी के पास बहुत पैसा था।
उसे अब समझ में आ गया था कि यदि वह अपने इस दौलत से किसी की मदद नहीं कर सकती है तो वह खूबसूरत होकर भी अंदर से बदसूरत है।
इन सभी आदतों को त्यागने की प्रक्रिया में सुहानी हर रोज एक नया अनुभव करती थी। सुहानी हर रोज किसी की मदद करती, सच बोलती और अपने अहंकार को खुद से दूर रखती। हर रोज खुद को आईने में देखती और धीरे-धीरे वह हर रोज खुद को पहले से थोड़ा खूबसूरत पाती।
सुहानी को खुद को खूबसूरत होता देखकर बेहद खुशी हो रही थी। वह जल्द से जल्द पूरी तरह से अंदर से खूबसूरत बनना चाहती थी और उस आईने में खुद को एक सुंदर लड़की की तरह देखना चाहती थी। समय के साथ-साथ सुहानी ने अपनी आदतों में बहुत सुधार कर लिया था।
उसके व्यवहार में एक नई कोमलता और सच्चाई आ गई थी और वह दूसरों की आंखों में खुशी देखकर खुश होती थी। उसके चेहरे पर एक नई चमक आ गई थी जो किसी भी भारी सुंदरता से अधिक मूल्यवान थी। अब सुहानी पूर्णतया बदल चुकी थी।
एक दिन जब वह उठी तो उसने खुद को आईने में देखा तो वह बिल्कुल खूबसूरत हो चुकी थी। सुहानी उस आईने में वैसे ही नजर आ रही थी जैसे वह बाकी आईनों में दिखती है परंतु इस आईने में सुहानी के चेहरे पर एक तेज था और सुहानी पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। अब जब सुहानी ने खुद को आईने में पहले से भी ज्यादा खूबसूरत पाया तो उसे अन्दर से अपने आप में एक शुद्धता और खुशी मिली।
यह वह खूबसूरती थी जो उसकी आत्मा से झलकती थी। एक दिन जब उसने आईने में खुद को आखिरी बड़ी देखा तो खुद को इतनी सुंदर पाया कि उसकी आंखों से आंसू निकल आए। सुहानी को कभी अंदर खूबसूरती महसूस ही नहीं हुई थी लेकिन आज जब उसने खुद को अंदर से बेहद खूबसूरत पाया तो आइने का काम खत्म हो गया और अचानक आईना अपने आप टूट गया और गायब हो गया।
सुहानी को यह बात समझ आ गई कि यह आइना केवल उसके बाहरी सुंदरता का ही नहीं बल्कि उसके अंदर की सुंदरता का प्रतिबिंब था। उसने अपने जीवन के सबसे बड़ी सीख पाई कि सच्ची सुंदरता हमारी आत्मा से झलकती है न की केवल हमारे चेहरे से।
सच्चाई का आइना (Hindi Stories with moral) से शिक्षा
इस moral story in hindi से हमें शिक्षा मिलती है कि हमारी बाह्य सुंदरता का कोई मूल्य नहीं होता। हमारी आंतरिक सुंदरता ही मूल्यवान है इसलिए हमें बाह्य सुंदरता से अधिक आंतरिक सुंदरता पर ध्यान देना चाहिए। कोई भी व्यक्ति रूप का सुंदर होने के बावजूद भी व्यवहार का सुंदर नहीं है तो उसकी सुंदर नहीं है तो किसी का भी प्रिय नहीं बन पाता।
सच्चा सौंदर्य (हिंदी नैतिक शिक्षा कहानी)
केविन नामक एक 22 साल का युवक अमरगढ़ नामक एक गांव में रहता था। केविन एक उत्तम श्रेणी का चित्रकार था, जो अपनी कला की वजह से पूरे गांव में ही नही बल्कि आस-पास के गांव में भी बहुत प्रसिद्ध था। उसकी चित्रकला के सभी लोग दीवाने थे।
वह प्रकृति, जीवन और अपने आस पास के लोगो के इर्द गिर्द का अद्वितीय चित्र बनाता था। उसके हर चित्र में जीवंतता होती थी, और उसके पीछे एक अनकही कहानी छिपी होती थी। उसकी कला बहुत अनमोल और सुंदर थी। उसकी दुनिया अनेक रंगों से भरी हुई थी, और उसे अपनी कला पर बेहद गर्व था।
वह अपनी आंखों को बेहद प्रिय और अनमोल मानता था क्योंकि उसकी आंखों की वजह से ही वो दुनिया को और उसके प्रत्येक रंग को देख पाता और उसे अच्छे से जी पाता था, और अपनी आंखों से किए प्रकृति के अनुभव को कनवास पर उतार पाता था और अपने अनुभव से अपनी कला को एक जीवन दे पाता था। आप हिंदी नैतिक शिक्षा कहानी पढ़ रहे है।
केविन खुद को कभी अपनी कला और आंखों के बिना सोच भी नहीं सकता था।उसका जीवन रंगों से शुरू ओर उन्हीं पर खतम हो जाता था।
एक दिन केविन सबसे अनोखा चित्र बनाने की सोचता है, चित्र की प्रेरणा लेने के लिए वो एक जंगल में प्रकृति के बीच जाकर उसकी सुंदरता को अपनी आंखों से अनुभव करने के लिए जाता है।
उस दिन जो केविन के साथ होता है, केविन ने कभी सपने में भी नही सोचा होगा। केविन के साथ एक बड़ा हादसा होता है , जो केविन की जिंदगी बदल कर रख देता है।
केविन अपने गांव के पास वाले जंगल में जाता है। वहां हरी-भरी प्रकृति, पेड़-पौधो, चिड़ियों की चहचहाट, झरने की मधुर आवाज और सुरज से आती हुई किरणे जो पेड़ो की पत्तियों से छनकर नीचे जमीन पर पड़ रही थी और एक अनोखा पर्यटन बना रही थी।
जंगल का ये सुहाना दृश्य बिल्कुल Hindi Moral Stories जैसा ही था, केविन को बहुत अच्छा लग रहा था। केविन को अपने चित्र के लिए एक सुंदर सा दृश्य मिल जाता है। केविन उस प्रकृति के सुंदर दृश्य को कनवास पर उतारने की तैयारी कर रहा होता है।
तभी अचानक जंगल में एक तूफान आ जाता है, हवाएं बहुत तेज चलने लगती है। सभी पेड़-पौधे हिलने लगते है, अचानक हवाएं और तेज हो जाती है, अब बड़े-बड़े पेड़ जोर-जोर से हिलने लगते है।
केविन एक पेड़ के नीचे खड़ा होता है, वो तूफान रुकने का इंतजार करने लगता है। केविन ठान लेता है की, वो आज किसी भी हालत में पेंटिंग बना कर ही वहां से जायेगा।
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तभी अचानक से, केविन जिस पेड़ के नीचे खड़ा होता है, उस पेड़ की टहनी टूट जाती है, वो बहुत भारी होती है, जो सीधा केविन के सिर पर आकर गिरती है। आप Hindi Stories with moral पढ़ रहे है।
केविन के सिर पर टहनी के गिरते ही, केविन बेहोश हो जाता है। कुछ घंटों के बाद जब केविन को होश आता है, तो केविन धीरे-धीरे अपनी आंखे खोलता है।
तब केविन की आंखों के आगे अचानक से अंधेरा छाने लगता है, उसे सब कुछ धुंधला दिखने लगता है। केविन को कुछ समझ नहीं आता कि आखिरकार उसके साथ ये सब क्या हो रहा है।
केविन को लगता है कि शायद ये सब बेहोश होने की वजह से हो रहा है। केविन झरने के पास जाकर आंखे पानी से धोता है, पर अभी भी उसे सब कुछ धुंधला ही दिखाई देता है। उसके बाद केविन बहुत मुश्किल से जैसे-तैसे करके घर वापस आ जाता है। लेकिन अभी भी केविन को कुछ भी साफ नजर नही आता है।
केविन को लगा था की शायद ये अस्थायी होगा और कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा। पर जैसे-जैसे दिन बीतते जाते है, केविन की आंखों की देखने की क्षमता कम होती जाती है। केविन को चिंता होने लगती है, केविन जल्दी से एक डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाने की सोचता है।
अगले दिन केविन डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाता है। डॉक्टर से चेकअप के बाद केविन को पता लगता है, कि उस दिन उसके सिर पर टहनी गिरने की वजह से उसकी आंखों की नसों पर गहरा प्रभाव हुआ है, जिससे दिन बर दिन उसकी आंखों की रोशनी कम होती जा रही है।और कुछ महीनो बाद उसकी आंखो की रोशनी पूरी तरह से चली जायेगी और उसके बाद उसकी आंखो की रोशनी कभी वापस नहीं आ सकती है।
केविन उसके बाद बड़े से बड़े डॉक्टर के पास जाता है , पर सभी उसे यही कहते हैं कि अब केविन कभी देख नही पायेगा।
केविन एक चित्रकार था, उसके लिए उसकी आंखे ही उसकी अदभुत कला का एक मात्र जरिया थी, इन्ही आंखो ने उसे ये दुनिया दिखाई थी, दुनिया के अलग अलग रंग दिखाए थे, और उनसे प्यार करना भी सिखाया था। केविन अपनी आंखो के बिना अपनी कला का प्रदर्शन नही कर पायेगा।
कुछ महीनो बाद, एक दिन केविन की आंखों की रोशनी पूर्णत: चली जाती है। केविन की आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है, और ये अंधेरा न केवल उसकी आंखो के आगे आता है, बल्की उसकी जिंदगी में भी अंधेरा छा जाता है।
इसके बाद तो केविन की दुनिया ही बिखर जाती है, केविन खुद को एक अंधेरे कमरे में बंद कर लेता है। केविन खुद से हार मान लेता है, और ये सोच लेता है, की वो अब फिर कभी भी चित्र नही बना पायेगा।
उसकी कला अब खतम हो गई है, और उसके जीवन की उम्मीद भी। केविन अब सारा दिन उस कमरे में रहता और अपने भाग्य को दोष देता और आंसू बहाता। केविन ने उस अंधेरे को ही अब अपना जीवन मान लिया था।
उसने ये सोच लिया था की, उसकी आंखो की रोशनी के साथ-साथ उसकी कला भी चली गई है, और उसकी कला ही उसके जीवन की एक मात्र रोशनी थी।
केविन की जिंदगी में एक खालीपन आ गया था। उसकी जिंदगी बेरंग हो गई थी। उसके इस मुश्किल समय में उसके सभी दोस्तो ने और परिवार वालो ने उससे मुंह मोड़ लिया था। कोई भी केविन की मदद नहीं करना चाहता था।
सबका यही मानना था की उनके पास इतना समय नहीं है कि वो उसके साथ सारा दिन घूम सके और उसकी देखभाल कर सके।
केविन को अब ये भी समझ में आ गया था कि, उसने अपनी जिंदगी में अब तक जितने भी रिश्ते बनाए थे वो सब झूठे थे। सभी लोग उसके साथ किसी न किसी स्वार्थ की वजह से थे।
जब उसे उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, किसी ने भी उसका साथ नहीं दिया। केविन अब बहुत उदास व निराश रहने लगा था, केविन बिल्कुल अकेला पड़ गया था।
उसे ये लगता था की कोई आएगा जो उसकी मदद करेगा, पर ऐसा कुछ नही होता है। केविन के जीवन में उसके जीने की सारी उम्मीदें खत्म हो चुकी थी, अब केविन अपनी आंखो के बिना और अपनी कला के बिना एक जिंदा लाश की तरह हो गया था। उसे लगा की आंखों के बिना वो कुछ भी नही कर सकता है।
एक दिन उसकी मुलाकात एक छोटी सी लड़की से होती है, जो 10 साल की थी। उसका नाम नैना था। नैना जन्म से ही अंधी थी। पर वो अपने जीवन में बेहद खुश थी।
नैना एक डांसर बनना चाहती थी। वो इतनी छोटी सी उम्र में बहुत सुंदर डांस करती थी। केविन जब उससे मिलता है, और बाते करता है तो उसे बहुत आश्चर्य होता है।
उसे लगता है कि बिना आंखो के कोई इतना खुश कैसे रह सकता है। और वो बिना देखे इतना अच्छा डांस कैसे कर लेती है। केविन उससे मिलता है, ओर पूछता है, “तुम बिना आंखो के अपनी जिंदगी से खुश हो? क्या तुम्हे ऐसा कभी नहीं लगा कि तुम्हारे साथ भगवान ने गलत किया है।”
नैना केविन से कहती है, “नही मुझे ऐसा कभी नहीं लगा। मुझे जो मिला है उससे में बहुत खुश हू। मेरे पास बेशक आंखे नही है, पर मुझे भगवान ने डांस की कला दी है।”
केविन सोच में पड़ जाता है, और वो कहता है, “पर बिना आंखो के कोई कुछ भी नही कर सकता है, शायद तुम्हारे लिए आसान हो क्योंकि तुम dance करती हो, पर बिना आंखो के मैं कुछ भी नही हूं। मैं एक चित्रकार हूं, और एक चित्रकार के लिए उसकी आंखे ही उसकी कला का एकमात्र जरिया होती है।”
नैना को केविन की बाते सुनकर हंसी आती है, वो थोड़ा मुस्कुराती है ओर कहती है, “अकसर हम जो चीज हमारे पास नही है, उसके लिए दुखी हो जाते है, और जो हमारे पास है। उसकी कदर करना हम भूल जाते है। हम भगवान को और अपने भाग्य को दोष देने लगते है, पर हम ये भूल जाते है, कि हमारे पास कुछ ऐसा है, जो किसी और के पास नही है। “
केविन को कुछ भी समझ में नहीं आता है, और वो पूछता है, “ऐसा क्या है हमारे पास? हम तो देख भी नही सकते और इसकी वजह से मेरी कला भी खत्म हो चुकी है।”
नैना कहती है, “हमारे पास भले ही आंखे नही है, हम देख नही सकते है, पर हम सब कुछ महसूस कर सकते है। ये सब लोग सभी चीजों को अपनी आंखों से केवल बाहरी तौर से देख सकते है, ये केवल बाहरी सुंदरता देखते है।”
“पर हम उन्हीं चीजों को अंदर तक महसूस कर सकते है, हम उसका सच्चा सौंदर्य देखते है। कला कभी भी खत्म नही होती है। मैं मानती हू की आंखे देखने का एकमात्र जरिया होती है पर, कला को देखा नही जाता है। उसे तो महसूस किया जाता है।”
“हमारे पास वो सब कुछ है जो एक कलाकार के पास होना चाहिए,वो है हमारी कल्पना, हमारी सोचने की क्षमता और हर एक पल को , हर एक चीज को महसूस करने की शक्ति।”
केविन नैना की बाते गौर से सुन रहा होता है, नैना फिर कहती है, “मैं तो अपनी जिंदगी में बहुत खुश हूं ,क्योंकि मेरे पास वो सब कुछ है, जो मेरी कला के लिए और मेरे लिए जरूरी है। सच्चा सौंदर्य आंखो से नही देखा जाता, उसे तो महसूस किया जाता है। आप मुझसे बड़े है, और इन सब चीजों को शायद आप मुझसे ज्यादा समझ पाए।”
“मैं बस आपसे यही कहना चाहती हूं कि कभी हार मत मानो, उसके उपर ध्यान मत दो जो हमारे पास नही, जो हमारे पास है, उसमे खुश रहो। अभी भी वक्त है खड़े हो जाओ और आगे बढ़ो अपनी कला को ऐसे खत्म मत होने दो, फिर से दुनिया को दिखा दो की जो कला मेरे पास है, उसे आंखो की जरूरत नहीं है। चित्र कला के लिए आंखे नही, दिल की जरूरत होती है।”
“ये बाहरी सुंदरता से नही की जाती है, इसके लिए मन की आंखो से प्रकृति का सच्चा सौंदर्य देखने की जरूरत होती है। अपनी कला को दिल से महसूस करो और सबको एक बार फिर से एक अदभुत चित्रकार बन कर दिखाओ।” (Hindi Stories with moral)
नैना ये सब कह कर वहां से चली जाती है। केविन वही बैठा हुआ नैना की बातो को याद कर रहा होता है, वो सोचता रहता है। केविन वहां से अपने घर पर आ जाता है, केविन अभी भी नैना की हर कही हुई बात के बारे में सोच रहा होता है। केविन सोचता है की नैना इतनी सी उम्र में इतनी गहरी बात कह गई, और वो अब तक अपने भाग्य को दोष देता रहा है।
वो कितना कमजोर है, एक छोटे से हादसे से निराश होकर उसने जीने की उम्मीद छोड़ दी थी, और उसने हार मान ली थी, उसने अपनी कला का सच्चा सौंदर्य कभी पहचाना ही नही। नैना जो उससे बहुत छोटी है, वो जन्म से अंधी है, उसने कभी दुनिया को देखा भी नहीं है, फिर भी वो अपनी जिन्दगी में इतनी खुश है।
केविन सारी रात सोचता रहता है और सूरज की पहली किरण उसकी जिंदगी में एक नया उजाला और एक नई उम्मीद लेकर आई थी। केविन ने अब ये फैसला कर लिया था की वो फिर से पेंटिंग बनाएगा और सबको ये दिखा देगा की उसकी कला अभी खतम नही हुई है।
केविन फिर से उसी जगह जाता है, जहां उसकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया था, और उसे अंधकार की तरफ धकेल दिया था। केविन उस जंगल में जाकर अब फिर से वो सब कुछ देखता है, पर इस बार अपनी मन की आंखों से, वो सब कुछ महसूस करता है।
वो फूलों की महक, पंछियों को चहचहाट, हवा की ठंडक, झरने की आवाज, प्रकृति की सच्ची सुंदरता का अनुभव करता है।
अब केविन संवाद लेता है और पेंटिंग करने लगता है, शुरुवात में उसे थोड़ी तकलीफ होती है, लेकिन धीरे-धीरे केविन अपने दिल से महसूस करके पेंटिंग करने लगा। उसने अपनी कल्पना से दुनिया का चित्रण किया, केविन ने पहली बार अपनी कला को महसूस किया।
केविन का आत्मविश्वास अब लौट आया था, अब वो ध्वनियों से, महक से, अपनी कल्पना को दिल से महसूस करके पेंटिंग करता था। केविन की पेंटिंग अब और भी सुंदर और जीवंत हो गई थी। उसकी पेंटिंग्स में अब रंग और रूप से ज्यादा उसकी भावनाएं झलकने लगी थी।
उसकी इस नई शैली की चित्रकारिता को बहुत सराहा गया। केविन की इस नई शैली से उसकी पेंटिंग्स पहले से भी ज्यादा प्रभावशाली हो गई थी। अब केविन को पूरी दुनिया में एक चित्रकार के रूप में पहचान मिल गई थी। केविन अब पहले से भी ज्यादा प्रसिद्ध हो गया था।
केविन ने उन सभी लोगो के लिए पेंटिंग करने की ये शैली निकाली जो देख नही सकते, पर उन्हे पेंटिंग करने का शौक है। केविन की वजह से बहुत से नेत्रहीन बच्चे चित्रकला को अपना रहे थे। केविन को नैना की कही हर बात याद थी। वो मन ही मन नैना का धन्यवाद करता है। नैना की वजह से केविन के जीवन में एक नई रोशनी आई थी।
सच्चा सौंदर्य हिंदी नैतिक कहानी से शिक्षा
सच्चा सौंदर्य हिंदी नैतिक कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है कि हमे कभी भी हार नही माननी चाहिए , चाहे कैसी भी परिस्थिति हो। बुरे वक्त में ही हमे अपने ओर पराए का पता लगता है। कई बार हमसे छोटी उम्र के लोग भी हमे जिंदगी का सबसे बड़ा सबक सिखा जाते है।
इससे हमें ये भी पता चलता है की सच्चा सौंदर्य आंखो से नही देखा जा सकता है, उसे दिल से महसूस किया जाता है। आंखो से केवल हम बाहरी सुंदरता देख सकते है, लेकिन सच्चा सौंदर्य उसकी अंदर की खूबसूरती होती है, जिसे देखा नही जा सकता है। उसे हम केवल महसूस कर सकते है।
समय की कीमत (hindi stories with moral)
बिलासपुर नामक एक छोटा सा गांव था। वह गांव दिखने में बेहद खूबसूरत था। उस गांव में चारों तरफ हरियाली थी। उस गांव की सुंदरता देखने लायक थी। वह गांव बेहद ही शांतिप्रिय वातावरण का था। उस गांव में अनेकों फूल, पेड़, पौधे, फल थे।
वह गांव इतना खूबसूरत था कि उस गांव की चर्चा दूर-दूर तक होती थी। उस गांव की चर्चा केवल उसकी खूबसूरती के लिए होती थी परंतु उस गांव में कोई भी व्यक्ति इतना सफल नहीं था कि उसकी सफलता की वजह से बिलासपुर गांव को जाना जाए।
बिलासपुर में एक लड़का रहता था, जिसका नाम था मोहित। मोहित एक छोटा सा घड़ी बनाने वाला कलाकार था। मोहित की घड़ी बिलासपुर गांव में बेहद मशहूर थी। मोहित काफी सुंदर घड़ी बनाता था।
बिलासपुर गांव के लोगों का मानना था कि मोहित के हाथों में जादू है। मोहित अपने घड़ी बनाने के कार्य में कुशल था। मोहित को घड़ी बनाने की कला उसके पिता और दादा जी से मिली थी। बिलासपुर के लोगो का मानना था कि ऐसी सुंदर घड़ियां केवल hindi stories with moral में ही कोई बना सकता है।
मोहित बचपन से ही घड़ियों से घिरा रहता था। वह अपने पिता को और दादा को घड़ी बनाते हुए देखता था। उसे बेहद ही अच्छा लगता था मोहित को घड़ी बनाना बेहद पसंद था। उसे इस कार्य में एक अजीब सा सुकून और खुशी मिलती थी।
मोहित की घड़ी बनाने की एक दुकान थी। वह दुकान गांव के एक कोने में थी। मोहित हर रोज यह सोचता था कि वह एक दिन बेहद खूबसूरत और विशेष घड़ी बनाएगा जिससे उसके गांव का नाम मशहूर होगा और उसे भी लोग जानेंगे।
मोहित चाहता था कि वह अपनी मेहनत से अपनी इस छोटी सी दुकान को और भी बड़ा करें। परंतु अब मोहित की शादी हो चुकी थी और घड़ी बनाना उसके लिए न केवल एक सुकून था बल्कि अब उसके लिए यह एक रोजगार का साधन बन चुका था।
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उसके पास इतना समय नहीं था कि वह एक विशेष घड़ी बना सके। मोहित हर रोज यह सोचता था कि काश ऐसा होता कि समय थोड़ा धीरे चलता।
इससे मोहित अपने कार्य अच्छे से पूरे कर पाता। न केवल वह रोजगार कमा पाता बल्कि वह एक विशेष घड़ी भी बना सकता और हर कार्य को अच्छी तरह से पूरा कर सकता।
मोहित न केवल यह घड़ी अपने कार्य के लिए बनाना चाहता था बल्कि उसका मानना था कि यदि समय थोड़ा धीरे चलता तो सभी लोग अपनी जिंदगी में सुकून के दो पल ले पाते और उनके अच्छे पलों को विशेष पलों को वह थोड़ा और बेहतर तरीके से जी पाते।
इसी विचार ने मोहित को बेहद प्रेरित किया और अब मोहित एक विशेष घड़ी बनाना चाहता है जिससे वह समय को थोड़ा धीरे कर सके।
मोहित ने इस विशेष घड़ी को बनाने के लिए काफी महीनों तक मेहनत की उसने विभिन्न तकनीकों का और जादुई धातुओं का इस्तेमाल भी किया। ताकि घड़ी न केवल समय का माप करें बल्कि उसे नियंत्रित भी कर सके। मोहित उस घड़ी को बेहद अच्छे से बनाना चाहता था।
वह चाहता था कि यह घड़ी पूरी दुनिया में मशहूर हो। मोहित ने इसे बनाने के लिए अपने जीवन के काफी अनमोल लम्हों को गवा दिया था।
उन अनमोल पलों में वे पल भी शामिल थे जब मोहित की पत्नी मां बनने वाली थी और उसने मोहित के बच्चों को जन्म दिया था। परंतु मोहित घड़ी बनाना चाहता था और दुनिया में अपनी घड़ी मशहूर करना चाहता था इसलिए उसने अपने कार्य को नहीं छोड़ा।
वह दिन-रात मेहनत करता रहा ताकि एक विशेष घड़ी बना सके। काफी महीनो बाद आखिरकार वह समय आ ही गया जब मोहित अपनी घड़ी को पूरा करने वाला था। अब केवल कुछ ही समय बचा था। मोहित के यह समय को धीमा करने वाली विशेष घड़ी कुछ चंद महीनो में तैयार होने वाली थी।
मोहित बेहद खुश था। मोहित ने इस घड़ी को “जीवन घड़ी” नाम दिया मोहित अब बस उस घड़ी को पूरा करने में लग गया। मोहित दिन-रात केवल घड़ी पूरा करने में लग गया। आप hindi stories with moral पढ़ रहे हो।
कुछ महीनो बाद आखिरकार मोहित की मेहनत रंग लाई और उसकी घड़ी बन कर तैयार हो गई। अब मोहित बेहद खुश था वह पूरी दुनिया को उस घड़ी के बारे में बताना चाहता था। वह घड़ी देखने में बहुत साधारण थी लेकिन उसकी सुइयों में एक जादू छुपा हुआ था, जो समय को व्यक्ति के इच्छा के अनुसार धीमा कर सकता था।
मोहित जानता था कि लोगों को यकीन दिला पाना बेहद मुश्किल होगा परंतु वह आने वाली सभी चुनौतियों के लिए तैयार था। मोहित ने यह सोचा कि लोगों को बताने से पहले वह यह परीक्षण खुद करेगा और अपनी घड़ी को पहन कर समय को अपनी इच्छा के अनुसार धीमा करेगा।
मोहित अब उस घड़ी को पहनकर तैयार था। मोहित अपनी “जीवन घड़ी” को पहन कर बाहर चला जाता है। बाहर निकलने पर मोहित को बहुत सारी चीज देखने को मिलती हैं जो उसने काफी महीनो से नहीं देखी थी क्योंकि वह अपनी “जीवन घड़ी” को बनाने में व्यस्त था। उसे ऐसा लग रहा था मानो वह पहली बार दुनिया देख रहा था।
मोहित ने बहुत सी अजीबोगरीब चीजे देखी। मोहित ने सोच लिया था कि वह इस घड़ी से सभी की मदद करेगा। मोहित अब काफी दिनों से घड़ी पहन कर रोज बाहर निकलता लेकिन मोहित को कोई भी अवसर नहीं मिल रहा था जिससे वह अपनी घड़ी का इस्तेमाल कर सके।
एक दिन मोहित जब बाजार में घूम रहा था तब मोहित ने देखा कि एक छोटी सी बच्ची सड़क पर भाग रही थी, वही तेजी से एक कार उस लड़की की तरफ आ रही थी।
मोहित उसको देखकर दंग रह गया मोहित को लगा कि अब वह लड़की नहीं बचेगी। लेकिन मोहित को तभी अपनी घड़ी का ख्याल आया मोहित ने सोचा यही एक सही समय है , जिससे मैं न केवल अपनी घड़ी का इस्तेमाल कर सकता हूं बल्कि एक अच्छा काम भी कर सकता हूं।
मोहित ने तुरंत अपनी घड़ी की सुइयों को अपनी इच्छा अनुसार नियंत्रित किया और समय को धीमा कर दिया। समय के धीरे होते ही सब कुछ धीरे-धीरे होने लगा परंतु मोहित जिसने यह घड़ी पहन रखी थी, वह बिल्कुल नॉर्मल था।
मोहित तुरंत भाग कर जाता है और उस लड़की को वहां से एक सुरक्षित स्थान पर ले जाता है। मोहित सभी को धीरे-धीरे चलता देखकर बेहद आश्चर्यचकित होता है परंतु उसे बेहद खुशी भी होती है उसे समझ में आ जाता है कि उसकी घड़ी आखिरकार सही तरीके से कार्य कर रही है।
मोहित तुरंत समय को पहले जैसा कर देता है वह लड़की बच जाती है अब मोहित तैयार था पूरी दुनिया को अपनी घड़ी के बारे में बताने के लिए।
मोहित ने अपनी “जीवन घड़ी” का प्रदर्शन किया। उसने बहुत सारे लोगों को इकट्ठा किया सभी लोग मोहित कि उस घड़ी को देखकर दंग रह गए थे। उन्हें बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि वह घड़ी समय को धीमा कर सकती है। सभी लोग मोहित को पागल समझ रहे थे परंतु मोहित उन सभी को कहता है कि वह सभी के सामने समय को धीमा करके दिखाएगा।
मोहित कहता है कि यदि उसने यह घड़ी का इस्तेमाल किया तो केवल वही समय को धीमा कर सकता है और वही देख सकता है कि समय धीमा हुआ है। इसलिए वह ग्राहक में से एक आदमी को चुनता है जो उसकी घड़ी को पहनने वाला था मोहित उसे बताता है कि इस घड़ी का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।
मोहित उसे कहता है कि यदि वह इस घड़ी को पहनता है तो उसे केवल यह घड़ी के पास वाला बटन दबाना है जिससे घड़ी की सुइयों में बदलाव होगा और समय धीमा हो जाएगा।
वह आदमी आता है और उस घड़ी को पहनता है। वह मोहित के बताए अनुसार ही उस घड़ी का इस्तेमाल करता है और वह देखता है कि सच में समय धीमा हो चुका है। उस ग्राहक को बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता है परंतु यह जादू देखकर वह बेहद खुश होता है वह तुरंत समय को नॉर्मल कर देता है।
मोहित जब उससे पूछता है कि उसे कैसा लगा तो वह बताता है कि यह घड़ी सच में जादुई घड़ी है यह सच में समय को धीमा कर सकती है। सभी लोग बेहद खुश और आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
सभी मोहित की घड़ी को खरीदने में लग जाते हैं परंतु मोहित अपनी घड़ी को इतनी आसानी से नहीं बेचने वाला था। वह उस घड़ी को ऊंचे दामों पर बेचने लगता है ताकि उसे मुनाफा हो सके।
सभी लोग मोहित की घड़ी से बेहद खुश थे इसलिए वह उसे खरीदना चाहते थे। मोहित की घड़ी की कीमत की परवाह न करते हुए सभी लोग उस घड़ी को खरीदने के लिए तैयार हो जाते हैं।
अब मोहित पूरी दुनिया में अपनी घड़ी के लिए मशहूर हो चुका था और मोहित के सपने साकार होने समय आ चुका था। मोहित ने जो सोचा था कि वह बिलासपुर को एक नई पहचान दिलाएगा और अपने घड़ी के कारोबार को एक छोटी सी दुकान से, एक बड़ी दुकान में बदलेगा।
उसने सोचा कि वो एक विशेष घड़ी पूरी दुनिया को बना कर देगा जो समय को धीमा कर सके, मोहित ने अपना कार्य पूर्ण कर दिया था। उसने पूरी दुनिया को एक ऐसी जादुई चीज बना कर दी थी जो उन्हें बेहद काम दे सकती थी। जो काम मोहित ने किया, ऐसा केवल Hindi Stories with moral में ही होता है।
परंतु लोगों ने उस घड़ी की कीमत समझी ही नहीं। सभी लोग उस घड़ी को एक जादुई खिलौने की तरह इस्तेमाल करने लगे, कुछ लोगों ने उस घड़ी को सही तरीके से इस्तेमाल किया। जैसे आजकल के छात्र उन्होंने परीक्षा के समय घड़ी की सुइयों को बदलकर समय को धीमा करके अपनी परीक्षा की तैयारी के लिए थोड़ा और समय ले लिया जो की एक अच्छी बात नहीं थी।
लोगों को अब यह घड़ी एक खिलौना लगने लगी और इसे लोग अच्छी चीजों की बजाय बुरी चीजों में ज्यादा इस्तेमाल करने लगे।
धीरे-धीरे घड़ी का इस्तेमाल बढ़ने लगा। मांग बढ़ने लगी और पूरी दुनिया में वह घड़ी बेची जाने लगी। सभी लोग न केवल अपने विशेष पलों को बल्कि अपनी दैनिक जिंदगी को भी उस घड़ी से नियंत्रित करने लगे। सभी लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से समय को धीमा कर देते और फिर से उसे सही कर देते।
मोहित को लगा था कि जैसे उसने उस घड़ी की सहायता से एक छोटी सी बच्ची की जान बचाई और उस घड़ी को एक “जीवन घड़ी” नाम दिया। वैसे ही लोग अच्छे कामों में उसका इस्तेमाल करेंगे और सभी की सहायता करेंगे और अपने खास पलों को और अच्छे से जी पाएंगे।
लेकिन मोहित की यह सोच गलत निकली, लोग उस घड़ी को केवल बुरे कामों में इस्तेमाल करने लगे और अपनी सहूलियत के हिसाब से इस्तेमाल करने लगे।
ऑफिस जाने वाले लोग उस घड़ी को सुबह-सुबह समय को धीमा करने के लिए सुइयों का बदलाव कर देते और अपनी सहूलियत के हिसाब से उस घड़ी का इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से अब लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर बेहद असर पड़ने लगा सभी लोग अपने असली जीवन से दूर होते गए। वे सभी वर्तमान में जीने के बजाय भविष्य की चिंता में चले गए और वे सभी वर्तमान में जीना भूल गए।
एक वृद्ध महिला ने उस घड़ी का इस्तेमाल अपनी उम्र को बढ़ने से रोकने के लिए किया जो कि गलत था। उनके इन फसलों से उनको तो काफी मदद मिली लेकिन अन्य व्यक्तियों का काफी नुकसान हुआ सभी लोग मतलबी बन चुके थे। हर व्यक्ति अपनी सहूलियत के हिसाब से समय को धीमा करने लगा इसकी वजह से समय वास्तव में काफी धीमा हो चुका था।
हर व्यक्ति पैसा ज्यादा कमाने के लिए समय को धीमा कर देता परंतु वे सभी पैसा तो कमा रहे थे लेकिन अपने परिवार से दूर होते जा रहे थे। धीरे-धीरे लोग अपनी खुशियों से दूर होते गए और उन्हें केवल चिताओं ने और दुखों ने घेर लिया था।
सभी लोग अब चिंता में रहने लगे उन्हें बस आगे की चिंता रहती थी कि आगे क्या होगा और उन्हें बस यही लगता था कि जो भी हो वह समय को धीमा कर सकते हैं और अपनी सहूलियत के हिसाब से समय को चला सकते हैं।
मोहित ने जब इस परिवर्तन को देखा है उसे बेहद चिंता होने लगती है और उसे पछतावा भी होता है कि उसने उस घड़ी को क्यों बनाया। उसका घड़ी बनाने का फैसला सही था, परंतु सभी को घड़ी बेचने का फैसला गलत नजर आ रहा था।
मोहित ने उस घड़ी को “जीवन घड़ी” नाम दिया था ताकि वह लोगों को जिंदगी जीने में और किसी की सहायता करने में मदद कर सके परंतु लोगों ने उस घड़ी को अपनी सहूलियत के हिसाब से उपयोग में लाकर उसे घड़ी का मतलब ही खत्म कर दिया था।
लोगों ने उस घड़ी की असली कीमत और असली कार्य को जाना ही नहीं था। मोहित को यह एहसास हो चुका था कि उसने लोगों को यह घड़ी उपलब्ध करवा कर, उनके जीवन को सरल बनाने की बजाय और भी जटिल बना दिया है।
मोहित अब सोचने लगा कि वह कैसे लोगों को उस घड़ी की कीमत बता पाए और उन्हें यह एहसास दिला पाए कि जो वह कर रहे हैं वह गलत है। मोहित इस समस्या का समाधान करने में लग गया वह दिन-रात सोचने लगा कि कैसे लोगों को वर्तमान में वापस लाया जाए।
मोहित ने काफी किताबें पढ़ी और अपने पिता और दादाजी के द्वारा दी हुई घड़ी बनाने के किताबों को पढ़ा और यह जानने का प्रयास किया कि कैसे वह इस समस्या का समाधान कर सकता है। मोहित के इतना जांच-पड़ताल करने के बाद आखिरकार मोहित को इस समस्या का समाधान मिल ही गया, मोहित समाधान को देखकर काफी खुश होता है।
मोहित के दादाजी की घड़ी बनाने की किताब में लिखा हुआ था कि यदि वह कोई जादुई घड़ी बनाता है और उसे घड़ी के प्रभाव को खत्म करना चाहता है तो उसे केवल अपनी असली घड़ी को नष्ट करना होगा, जिससे बाकी सभी घड़ियों का प्रभाव खत्म हो जाए।
मोहित को यह समझ में आ गया था कि उसने जो पहली घड़ी बनाई थी, उसकी वास्तविक घड़ी, वह अभी भी उसके ही पास थी। (Hindi Stories with moral)
मोहित को पता लग गया था कि यदि वह अपनी वास्तविक घड़ी को नष्ट कर दे तो इस घड़ी का प्रभाव खत्म हो जाएगा और लोग अपनी वर्तमान के जीवन में वापस आ जाएंगे लेकिन यह करने से पहले मोहित सभी को यह बताना चाहता था, यह एहसास दिलाना चाहता था कि उन्होंने घड़ी का दुरुपयोग किया है।
मोहित एक सम्मेलन बुलाता है और उस सम्मेलन में अपनी वास्तविक घड़ी को अपने साथ ले जाता है। वह शुरुआत में सभी लोगों से पूछता है कि उन्हें “जीवन घड़ी” का इस्तेमाल करके कैसा महसूस हुआ? सभी लोग मोहित के घड़ी से बेहद खुश थे, तो सभी लोग कहते हैं कि उन्हें बेहद खुशी मिली परंतु मोहित उनकी बातों से खुश नहीं होता है।
मोहित फिर से पूछता है कि उन्होंने उस घड़ी का इस्तेमाल कैसे किया? सभी लोग अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से जवाब दे देते हैं कि उन्होंने उस घड़ी को इस्तेमाल केवल अपने निजी कामों में किया। (Hindi Stories with moral)
मोहित सभी के जवाब से काफी निराश होता है और वह सभी को कहता है, “मैंने जब यह घड़ी बनाई थी तो इस घड़ी को “जीवन घड़ी” नाम दिया था। मुझे लगा था कि यह घड़ी सभी लोगों को एक अच्छा जीवन दे पाएगी। आपके जीवन को रोजमर्रा की जिंदगी को सरल बना पाएगी और आप इस घड़ी से लोगों की मदद कर सकेंगे, परंतु ऐसा नहीं हुआ आप सभी ने इस घड़ी को अपनी सहूलियत के हिसाब से इस्तेमाल किया और इस घड़ी का दुरुपयोग किया।”
“जो कि गलत है, मैंने जब यह घड़ी पहली बार पहनी थी तो मैंने इससे एक छोटी बच्ची की जान बचाई थी। मुझे लगा था सभी लोग इसी तरह अच्छे कामों में इसका इस्तेमाल करेंगे परंतु आप लोगों ने इसे अच्छे कामों में इस्तेमाल नहीं किया बल्कि इससे आप अपनी जिंदगी को और जटिल बनाते गए और दूसरों का सोचना और भी कम कर दिया। अब मुझे यह समझ में आ गया है कि घड़ी को खत्म कर देना ही उचित होगा।”
“मुझे इसका समाधान मिल चुका है। मेरे दादाजी की किताब में लिखा था कि यदि मैं वास्तविक घड़ी को नष्ट कर दूं तो सभी गाड़ियों का प्रभाव खत्म हो जाएगा। मैं आप सभी से क्षमा चाहता हूं, परंतु मुझे यह कार्य करना पड़ेगा और आप सभी को यह समझना पड़ेगा कि वर्तमान में ही जीवन है। भविष्य की चिंताओं में कुछ भी नहीं है और हमें समय को धीमा केवल अच्छे कामों के लिए करना चाहिए न की हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को जटिल बनाने के लिए।”
यह कहकर मोहित उस वास्तविक घड़ी को सबके सामने मेज पर रखता है और उसे पूर्णतया नष्ट कर देता है। उसे तोड़ देता है और मोहित उसे टूटे हुए सामान को अपने साथ ले आता है। सभी लोगों को मोहित की बात सुनकर बेहद शर्मिंदगी महसूस होती है और वह सभी समझ जाते हैं कि उन्होंने जो भी किया गलत था।
असली जीवन वर्तमान में है, ना कि भविष्य में। और हमें यदि कोई मौका मिलता है तो हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। सभी का सोचना चाहिए, न की हमें और भी मतलबी बन जाना चाहिए। आप बहुत ही रोचक Hindi Stories with moral पढ़ रहे है।
सभी लोग मोहित के घड़ी को नष्ट करने की बात पर काफी खुश हुए और उन सभी ने भी वह घड़ी उतार कर फेंक दी। परंतु मोहित की यह घड़ी काफी अच्छी घड़ी थी जिसका इस्तेमाल काफी अच्छे कामों में हो सकता था।
इसलिए सरकार ने मोहित के साथ संगठन बनाया और मोहित को वह घड़ी बनाने के लिए कहा और सरकार ने उसे घड़ी को एक हथियार की तरह अपने देश की रक्षा के लिए उपयोग में लाया और सभी लोगों की मदद करने के लिए उस घड़ी का उपयोग किया अब उसे घड़ी का इस्तेमाल केवल अच्छे कामों में ही किया जाता है।
अब मोहित वास्तव में बेहद खुश था उसे एक अच्छी पहचान मिल चुकी थी। उसकी घड़ी का इस्तेमाल अच्छे से किया जा रहा था और उसके बिलासपुर को न केवल उसकी खूबसूरती के लिए बल्कि मोहित के घड़ी बनाने के लिए भी बेहद सराहा जाता था।
मोहित की घड़ी बनाने की एक छोटी सी दुकान अब एक बड़ी दुकान में बदल चुकी थी। उसकी दुकान न केवल बिलासपुर में थी बल्कि पूरी दुनिया में मोहित की घड़ी बनाने की दुकान मशहूर हो चुकी थी। मोहित ने अपना सपना देखा और पूरा किया और अपनी घड़ी का सही तरीके से इस्तेमाल भी किया उसने अपनी ज्ञान को और शक्तियों को गलत रूप तरीके से इस्तेमाल नहीं किया।
समय की कीमत हिंदी कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें वर्तमान में जीना चाहिए, हमें भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए। भविष्य की चिंता करना सही है, परंतु अत्यधिक चिंता करना गलत है।
हम यदि केवल भविष्य की चिंता में रहेंगे तो हम अपना वर्तमान नहीं जी पाएंगे। वर्तमान में जीना है सफल जीवन है और हमें यदि कोई अवसर मिलता है तो हमें दूसरों की सहायता करनी चाहिए।
हमें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को जटिल नहीं बनना चाहिए बल्कि उसे सरल बनाने का तरीका सोचना चाहिए हमें भी मोहित की तरह अपनी शक्तियों को और अपनी कला को सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए उसका गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
सच्ची धरोहर (Hindi Stories with moral)
उतर प्रदेश में, तारापुर नामक एक छोटा सा गांव था। इस गांव में अत्यधिक हरियाली थी। तारापुर अपनी हरियाली के लिए प्रसिद्ध था। तारापुर में अनेकों पेड़-पौधे थे, जिन्हें गांव के लोगों ने ही लगाया था। उस गांव के लोगों का मानना था कि, उनके पूर्वज उन्हें पेड़-पौधे लगाने का आदेश देकर गए है। यदि वे पेड़-पौधे नहीं लगाएंगे तो, उनके पूर्वज उनसे नाराज हो जायेंगे।
तारापुर के लोगों का अनजाने में ही सही, परंतु उनका पेड़-पौधे लगाने का निर्णय बहुत अच्छा और लाभदायक था।
तारापुर की यह प्रथा उन्हें अत्यधिक लाभ देने लगी थी। तारापुर गांव के लोगों द्वारा लगाए गए पेड़-पौधों से उन्हें ताजा फल-फूल व सब्जियां मिलती, जिससे उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता। उन पेड़-पौधो से उन्हें छाया मिलती और गांव का वातावरण भी शुद्ध रहता। (Hindi Stories with moral)
साथ ही, तारापुर में वर्षा भी पर्याप्त मात्रा में होती थी, जिससे उन्हें पानी की कमी या सुखा का कभी भी सामना नहीं करना पड़ा था। अच्छी मात्रा में वर्षा होने की वजह से तारापुर के किसानों की फसलें अच्छी होती थी और आजीविका भी अच्छी थी।
तारापुर गांव की इसी प्रथा की वजह से उसकी हरियाली की चर्चा दूर-दूर तक होती थी। उस हरियाली की वजह से तारापुर का सौन्दर्य देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। तारापुर के लोग एक संपूर्ण जिंदगी जी रहे थे, जिसमें कोई भी कमी या बुराई नहीं थी।
उस गांव की प्रशंसा सुनकर एक दिन उस गांव में शहर से कुछ बड़े व्यापारी आते है। उन लोगों ने तारापुर की खूबसूरती व सौंदर्य की बहुत तारीफ सुनी होती है। (Hindi Stories with moral)
जब वे उस गांव में आते है तो, उस गांव की सुन्दरता देख कर , उनकी आंखे खुली की खुली रह जाती है। वे शहर में एक बहुत बड़ी फर्नीचर बनाने वाली कम्पनी से आते है, वे उस गांव में एक बहुत बड़ा प्रस्ताव लेकर आते है।
जब वो उस गांव में पहुंचते है तो, पूरे गांव में यह बात फैल जाती है, कि शहर से कुछ नामचिन्ह लोग उनके गांव में आए है। तारापुर गांव के सभी लोग इकट्ठा हो जाते है और उन लोगो को देखने लगते है। शहर से वो लोग अपने साथ सभी गांव वालो के लिए मिठाई और अन्य महंगी वस्तुएँ लेकर आते है।
वे लोग गांव के मुखिया, जिसका नाम श्याम लाल था, उसके घर पर जाते है। वे श्याम लाल को अपने साथ लाए हुए वो सभी महंगे उपहार भेंट करते है, और उसे सभी गांव वालो को इकट्ठा करने के लिए कहते है। वे श्याम लाल को कहते है की वो गांव के विकास में उनकी सहायता करेंगे पर उन्हें उसके बदले में उनकी सहायता चाहिए। (Hindi Stories with moral)
शुरुआत में श्याम लाल को कुछ भी समझ नही आता है, लेकिन उनकी बातो से और गांव के विकास की बात सुनकर, श्याम लाल उनके कहे अनुसार एक सभा बुलाता है, और सभी गांव वालो को सभा हेतु इकट्ठा होने के लिए कहता है, जैसे ही सभी गांव वाले इकट्ठा होते है, तो श्याम लाल इन सभी गांव वालो को शहर से आए सभी लोगों से परिचित करवाता है ।
शहर से आए कम्पनी के लोग,अपने साथ जो मंहगे उपहार लाए थे, वो उन सभी गांव वालो को भेंट करते है। जिससे सभी लोग बहुत प्रसन्न हो जाते है। अब वे लोग गांव वालो को उनकी योजनाओं के बारे में बताना शुरू करते है।
वे कहते है की, “हम लोगों ने तारापुर की सुन्दरता के बहुत चर्चे सुने है, और आज जब हम यहां आए और अपनी आंखो से देखा तो हमने पाया कि , तारापुर के बारे में, हमने जितना भी सुना था, वो बहुत कम था। तारापुर वास्तव में बहुत हरा-भरा व शांतिपूर्ण गांव है। आज हम यहां आप लोगों को हमारी योजनाओं के बारे में बताने आए है। (Hindi Stories with moral)
हम आप सभी को शहर में रोजगार कमाने के बहुत बड़े अवसर देंगे, न केवल शहर में , हम आपको यहां पर भी आपके खुद के गांव में रोजगार कमाने का मौका देंगे। हम आपको उतना रोजगार उपलब्ध करवाएंगे की आप कुछ ही दिनों में अत्यधिक अमीर बन जाओगे।”
“आपको भविष्य में कभी भी पैसों की कमी नहीं आएगी और रोजगार के माध्यम से आप खुद का विकास कर पायेंगे और यदि आपका विकास होगा, तो गांव का भी विकास हो पाएगा।”
गांव वाले उनकी बाते सुनते है, सभी उनकी बातो से खुश भी होते है, लेकिन वो हैरान भी होते है, वे उन शहर के लोगो से पूछते है की, “आप हमें इतना कुछ क्यों देंगे? इसमें आपका क्या फायदा होगा?”
शहर के व्यापारी, उनकी बातो पर मुस्कुराते है और कहते है, “हम आपको इतने बड़े रोजगार का अवसर दे रहे हैं, क्योंकि हमें भी आपकी सहायता की आवश्यकता है। आप हमारी मदद करें, हम आपकी मदद करेंगे।”
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अब उनकी बातो से गांव वालो को थोड़ा थोड़ा समझ आने लगता है, सभी गांव वाले पूछते है, “कैसी सहायता चाहिए आपको हमसे ?” शहर से आए कम्पनी के लोग थोड़ा रुकते है। आप hindi stories with moral पढ़ रहे हो।
एक गहरी सांस लेते है और उन्हें बताते है, “हम एक बहुत बड़ी फर्नीचर बनाने की कम्पनी से आए है। आपको गांव में इतने सारे पेड़ है। जिनकी लकड़ी बहुत अच्छी है। हमे फर्नीचर बनाने के लिए आपके गांव के पेड़ों की लकड़ी चाहिए। जिसके बदले में हम आपको उनके बाजार के दाम से तीन गुना दाम देंगे व आपको रोजगार भी देंगे।”
गांव वाले उनकी बातो को सुनते ही आपस में बात करने लगते हैं। वे शहर से आए लोगों को उनके गांव से पेड़ काटकर देने से मना कर देते है।
वे उनसे कहते है, “ये पेड़ केवल पेड़ नहीं है, हमारे पूर्वजों की हमे दी गई धरोहर है, जिसे हम अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर रखेंगे। आप हमें क्षमा करे, हम आपका प्रस्ताव स्वीकार नहीं कर सकते है।”
“आप हमारे मेहमान है, तो हम आपसे विनम्रता से कह रहे है। वरना आपने जो कहा है, उसके बाद आपका यहां खड़ा रहना भी मुश्किल हो सकता था। आपके लिए अच्छा होगा कि आप यहां से चले जाए।”
शहर से आए कम्पनी के लोग गांव वालो की नाराजगी व गुस्सा देखकर कुछ भी नही कहते है। वे वहा से चले जाते है। लेकिन वो इतनी जल्दी हार नही मानने वाले थे,उन्होंने ये पहले से ही सोच रखा था की यदि गांव वालो ने उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया तो उन्हे आगे क्या करना है।
अगले दिन वे फिर उस गांव में आते है, इस बार वे केवल गांव के मुखिया श्याम लाल से बात करते है। श्याम लाल वैसे तो अपने पूर्वजों की धरोहर से बहुत प्रेम करता था। परन्तु वह एक लालची व्यक्ति था। शहर से आए लोगो को पहले दिन ही श्याम लाल की इस लालच की आदत का पता चल गया था। उम्मीद है कि आपको Hindi Stories with moral अच्छी लग रही है।
वे श्याम लाल से कहते है की, “देखो श्याम लाल हम जानते है की ये पेड़ पौधे तुम्हारे पूर्वजों के दी हुई धरोहर है,पर तुम इन्हें फिर से लगा सकते हो, लेकिन ऐसा सुनहरा मौका फिर से नहीं आयेगा। हम तुम्हारे लिए एक खास प्रस्ताव लेकर आए है।”
श्याम लाल उन्हें बड़ी हैरानी से देखता , वे लोग अपनी बात जारी रखते है और श्याम लाल से कहते है, “यदि तुम हमारी मदद करते हो, तो हम तुम्हे Extra कमीशन देंगे, हम तुम्हे इतने पैसे देंगे जितना तुमने कभी देखा भी नहीं होगा और हम तुम्हारे बच्चो को हमारी कम्पनी में उच्च पद पर नोकरी भी देंगे। बस तुम्हें हमारी हर हालत में मदद करनी पड़ेगी।”
श्यामलाल सोच में पड़ जाता है, वह सारी रात सोचता रहता है। अगली सुबह उसके मन, में लालच आने लगता है। वो उनका प्रस्ताव स्वीकार करने का और उनकी मदद करने का ठान लेता है।
वो उनकी मदद करने के लिए एक बार फिर से सभी गांव वालो को इकट्ठा करता है। श्याम लाल सभा में पहुंच कर उनके सामने प्रस्ताव रखता है और उन्हें समझने की कोशिश करता है।
श्याम लाल उनसे कहता है की, “मैं जानता हूं की ये पेड़ पौधे और हरियाली हमारी धरोहर है, जो हमारे पूर्वजों ने हमे बहुत प्यार से भेंट की है,और हमने इतने सालो से इनकी इतनी अच्छे से रखवाली की है और आगे भी करते रहेंगे। लेकिन हमे शहर से आए हुए प्रस्ताव को ठुकराना नहीं चाहिए। इससे हमारे गांव का विकास ही होगा।”
श्याम लाल की बाते सुनकर सभी गांव वाले बहुत हैरान हो जाते है, कि वो उनके ही गांव का है और वो कैसे ऐसी बाते कर सकता है। श्याम लाल अपनी बात को जारी रखते हुए कहता है कि, “वो लोग हमसे हमारी धरोहर नहीं छीन रहे है। पेड़ पौधे तो हम फिर से लगा सकते पर ये मौका बार बार नही आयेगा।”
“एक बार फिर सोच लो सभी , इससे हमारा विकास ही होगा, हमारे बच्चो का भविष्य सुधर जायेगा। हमे उन्हे कुछ लकड़ियां ही देनी है, हमारे पूर्वज हमे उनकी दी हुई धरोहर से आगे बढ़ने का एक अवसर दे रहे है, हमे इसे यू ही नहीं जाने देना चाहिए।” (Hindi Stories with moral)
“मैं आपको आज शाम तक का समय देता हु, मैं यहां एक वोट बॉक्स रख रहा हूं, जो भी इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए सहमत हो वो उसमे वोट डाल दे। कल सुबह हम वोट से इसका फैसला लेंगे की हमे इसे स्वीकार करना चाहिए या नहीं।”
गांव वाले श्याम लाल की बाते सुनकर सोचने लगते है, थोड़ी देर सोचने के बाद, सभी गांव वालो को श्याम लाल की बाते सही लगने लगती है, वे सभी एक एक करके अपना वोट दे देते है।
अगले दिन श्याम लाल कम्पनी के लोगो को बुला लेता है, वो उन लोगो के सामने वोट बॉक्स खोलता है, ओर वोटिंग करता है। वोटिंग का फैसला कम्पनी वालो की तरफ आया होता है, वे सभी बहुत खुश होते है, और उन्हे लकड़ी देने के लिए तैयार हो जाते है।
अब गांव वाले पेड़ काटने लगते है, और शहर में सप्लाई करने लगते है। शुरुवात में गांव वालो को पेड़ो के कटने पर बेहद दुख होता है, लेकिन कम्पनी वालो से मिलने वाली सुविधाओं की वजह से उनके मन में भी लालच आ जाता है।
कम्पनी वाले अपने वादे के मुताबिक गांव वालो को,गांव में व शहर में रोजगार कमाने के बड़े बड़े अवसर व लकड़ियों का तिगुना दाम देते है। वे गांव के मुखिया को एक्स्ट्रा कमीशन देते है, और उनके बच्चो को उनकी कम्पनी में ऊंचे पद पर नोकरी भी देते है।
अब धीरे धीरे गांव वाले कुछ ही दिनों में अत्यधिक विकास कर लेते है। उनके पास बहुत सारे पैसे आ जाते है, धीरे धीरे सभी गांव वालो को ओर ज्यादा लालच आने लगता है, वे अब ओर ज्यादा पेड़ काटने का सोचते है। (Hindi Stories with moral)
कुछ ही महीनों में तारापुर के लोग लगभग सभी पेड़ काट देते है, पेड़ की कमी की वजह से वे पेड़ लगाने का सोचते है। लेकिन वो लोग जितने भी पेड़-पौधे लगाते है, उनका विकास ही नहीं हो पाता है।
लालच की वजह से वे पेड़ो की कटाई रोकते नही है, तारापुर के लोग अंधाधुध पेड़ो की कटाई करते रहते है, एक दिन उस गांव के सभी पेड़ खतम हो जाते है।
वे नए पेड़ लगाने की कोशिश करते है, पर उनकी ये कोशिश नाकामयाब हो जाती है। अब तारापुर की सारी हरियाली और सुंदरता चली जाती है, पेड़ पौधे न होने की वजह से उन्हें ताजे फल व सब्जियां नहीं मिल पाती है,जिससे उनका स्वास्थ्य भी खराब होने लगता है।
तारापुर में अब वर्षा की कमी होने लगी थी। जिससे उस गांव में पानी की अत्याधिक कमी हो गई थी और वहा पर सुखा पड़ने की नौबत आ गई थी। इसकी वजह से वहा के किसानों की फसलें खराब होने लगी थी। गांव के मुखिया को भी इन सब चीजों का सामना करना पड़ा।
कम्पनी को लकड़ियां न दे पाने के कारण उन लोगो ने शहर और कम्पनी में काम कर रहे गांव के लोगो को बेइज्जत किया और नोकरी से निकाल दिया था, गांव के मुखिया के बच्चो को बुरी तरह से कम्पनी से निकाला गया था और पूरे गांव की और उसकी हालत पूरी तरह खराब हो गई थी।
कभी हरा भरा लगने वाला वो गांव अब बंजर बन गया था, वहा के लोगो को और वहा के मुखिया श्याम लाल को, अब अपनी गलती समझ आ गई थी। उन्होंने लालच में आकर अपनी धरोहर का काफी नुकसान कर दिया था। उन्होंने न केवल अपने पूर्वजों की दी धरोहर का व बल्की पूरे पर्यावरण का नुकसान किया था। (Hindi Stories with moral)
उनकी और श्याम लाल के लालच की वजह से उन्होंने पूरे गांव के वातावरण को नुकसान पहुंचा दिया था। श्याम लाल अपने घर की हालत देख कर बहुत पछताता है, उसे अफसोस व शर्मिंदगी महसूस होती है, केवल उसकी वजह से आज न केवल उसका अपना परिवार बल्की पुरा गांव उसकी गलती की सजा भुगत रहा था।
श्याम लाल अब फिर से गांव वालो को इकट्ठा करता है और एक सभा बुलाता है। सभी गांव वालो के आते ही श्याम लाल की आंखे नम हो जाती है।
वो सभी गांव वालो से कहता है की, ” मुझे आप सभी माफ कर दीजिए। ये सब मेरी वजह से हुआ है, उस दिन जब आपने शहर के लोगो को पेड़ काटकर लकड़ी देने से मना कर दिया था, उसके बाद वे लोग मेरे पास आए थे, उन्होंने मुझे कहा की वो मुझे extra कमीशन देंगे, और मेरे बच्चो को उनकी कम्पनी में ऊंचे पद पर नोकरी भी देंगे।”
“मैं लालच में आ गया था, इसलिए मैने उनकी बात मान ली और आप सभी को भी इस पाप और लालच में शामिल कर लिया। मैं बहुत शर्मिंदा हू, मैं जानता हूं मेरी गलती माफी के लायक नही है, पर फिर भी मैं आप सभी से माफी मांगता हू, आज आप सभी की ऐसी हालत सिर्फ मेरी वजह से हुई है।”
श्याम लाल हाथ जोड़ कर उनसे माफी मांगता है, और रोने लग जाता है। गांव वालो को उसकी बाते सुनकर बहुत गुस्सा आता है, लेकिन वे श्याम लाल को माफ कर देते हैं। (Hindi Stories with moral)
गांव का एक बुजुर्ग कहता है, “श्याम लाल इसमें जितनी तुम्हारी गलती है, उतनी ही गलती हम सब की भी है, यदि हम लालच नही करते तो आज हमे ये दिन नही देखना पड़ता। हमारी आज जो भी हालत है, वो हमारी अपनी गलती की वजह से है। अब हमे अफसोस करने की बजाय, ये सोचना चाहिए कि हम आगे क्या कर सकते है।”
सभी गांव वाले सोचते रहते है, तभी उनमें से एक कहता है, “हमे हमारी धरोहर को वापस लाना चाहिए हमे नए पेड़ लगाने चाहिए, लेकिन उससे पहले हमने जो पर्यावरण का नुकसान किया है, और हमारे पूर्वजों का पेड़ काटकर जो अपमान किया है, इसके लिए हमे एक साथ सच्चे दिल से उनसे माफी मांगनी चाहिए और एक बार फिर पर्यावरण को बचाना चाहिए।”
सभी गांव वाले उसकी बातो से सहमत होते है, और वो ऐसा ही करते है, वे एक साथ मिलकर गांव में पूजा करवाते है, और अपने पूर्वजों से व पर्यावरण से माफी मांगते है। (Hindi Stories with moral)
उसके बाद तारापुर के लोग एक बार फिर से पेड़ पौधे लगाते है, और पर्यावरण की और अपने पूर्वजों की धरोहर की रक्षा करते है। और कुछ ही समय में तारापुर पहले की तरह हरा भरा व खुशहाल गांव बन जाता है। अब तारापुर के लोग पेड़ काटने के सख्त खिलाफ है।
सच्ची धरोहर हिन्दी नैतिक कहानी से शिक्षा
इस सच्ची धरोहर (hindi stories with moral) से हमे ये शिक्षा मिलती है की हमे पेड़ पौधो को नही कटना चाहिए, इससे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचता है। यदि हम हमारे पर्यावरण की रक्षा नहीं करेंगे तो , हमे बहुत सारी दिक्कतों व समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए हमे ऐसा कुछ भी नही करना चाहिए, जिससे हमारे पर्यावरण को नुकसान हो और हमे कभी भी अच्छी आदतों को नही छोड़ना चाहिए। हमे हमारे पूर्वजों का सम्मान करना चाहिए और उनसे मिली अच्छी धरोहर को संभाल कर रखना चाहिए।
दोस्ती की कीमत (Hindi Stories with moral)
रामपुर नामक एक छोटा सा गांव था। रामपुर में काफी हरीयाली थी। वो गांव देखने में बेहद खूबसूरत था और उसका वातावरण काफी शांति प्रिय था। रामपुर का सौंदर्य देखने लायक था। रामपुर गांव की हरियाली, शुद्धता, शांतिपूर्ण वातावरण मन और आंखो को लुभाने वाला था।उस गांव के लोग काफी खुशहाल जीवन जी रहें थे।
उस गांव में दो पक्की सहेलियां रहती थी- दुर्गा व रिया। उनकी दोस्ती बचपन से ही बहुत गहरी थी। गांव के लोग उनकी दोस्ती की मिसाल दिया करते थे। सभी गांव वाले ये जानते थे की उन दोनो को अलग करना बेहद मुश्किल है। दुर्गा तथा रिया वे दोनों बचपन से ही दिनभर एक साथ रहा करती थी। वे दोनो एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकती थी।
दोनो के स्वभाव में काफी अंतर था। परंतु वे दोनो साथ में पढ़ाई करती तथा खेलती-कूदती थी। रिया का परिवार बेहद गरीब था, लेकिन दुर्गा के माता पिता रिया को बिल्कुल अपनी बेटी की तरह ही रखते थे। (Hindi Stories with moral)
दुर्गा और रिया की दोस्ती के किस्से गांव भर में मशहूर थे। दोनों का रिश्ता सिर्फ साथ खेलने और पढाई करने तक ही सीमित नहीं था। रिया को पैसों की कमी के कारण कई मुश्किलों का सामना पड़ता था।
दुर्गा के परिवार ने हमेशा रिया की स्कूल की किताबो तक का खर्चा देकर उसकी मदद की थी। दुर्गा का मानना था कि दोस्ती में कोई लेन-देन नहीं होता, बस एक दूसरे का साथ होना ही काफी है।
एक बार की बात है जब रिया के पिता बीमार पड़ गए थे, उनके पास दवाइयों के लिए पैसे नहीं थे। तब रिया तथा दुर्गा ने मिलकर एक साथ काम शुरू करने का फैसला किया। लेकिन रिया के पास पैसे नहीं थे इसलिए दुर्गा ने अकेले उस व्यापार में पैसे लगाए थे। उन्होंने ये काम सिर्फ इसलिए शुरू किया ताकि रिया अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर सके।
काम शुरू करने के बाद उनका काम काफी अच्छा चला। उन दोनो को माफी मुनाफा होने लगा। उन पैसों से रिया के परिवार के हालात में काफी सुधार आने लगा। रिया ने अपने पिता का इलाज काफी अच्छे से करवाया।
धीरे-धीरे रिया के पिताजी की हालत काफी अच्छी हो गई। वो ठीक हो गए थे। रिया को अब अपना सपना पूरा करना था, वो अब और बहुत बड़ा कुछ करना चाहती थी। इसके लिए वो अपने गांव से बाहर जाकर किसे बड़े शहर में काम करना चाहती थी।
एक दिन रिया को शहर की एक कम्पनी से ऑफर आया। रिया को लगा अब उसका सपना पूरा हो जाएगा इसलिए रिया ने उस काम को करने के लिए हा कर दिया था। लेकिन अब रिया को वहां जाने के लिए और रहने के लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत थी। रिया के पास इतने पैसे नहीं थे इसलिए रिया वहां जाने के लिए मना कर देती है। (Hindi Stories with moral)
जब दुर्गा को ये पता लगता है तो वो रिया को खुश देखना चाहती थी और वो ये मानती थी की रिया के सपने मतलब उसके सपने। इसलिए वो रिया के सपने को पूरा करने के लिए उसे अपनी सारी बचत (savings) दे देती है।
लेकिन दुर्गा के पैसे काफी नही होते तो दुर्गा रिया को कहती है कि अगर वो अपना व्यापार बेच दे तो उससे मिलने वाले पैसे से वो बाहर जा सकती है। रिया को जब अपने सपनो को पूरा करने का एक मौका मिलता है तो वो दुर्गा के बारे में नही सोचती है, वो अपने काम को बेचने के लिए तैयार हो जाते है।
वे दोनो अपने व्यापार को बेच देते है और रिया उससे मिलने वाले सभी पैसे लेकर और दुर्गा की सेविंग्स लेकर वहा से चली जाती है। जाने से पहले रिया दुर्गा से कहती है की वो उसको उसके पैसे वापस कर देगी, और वो दुर्गा से मिलने गांव आएगी।
रिया शहर में जाकर अपना काम शुरू कर देती है। शुरुआत में रिया को बेहद तकलीफों का सामना करना पड़ता है, लेकिन धीरे-धीरे रिया शहर के तौर तरीके में ढल जाती है, और रिया की मेहनत रंग लाने लगती है।
रिया के पास धीरे-धीरे काफी पैसे आने लगते है, उसे काफी फायदा होने लगता है। रिया अब अमीर हो जाती हैं, उसे सारी धन दौलत मिल जाती है, जो उसे चाहिए थी। रिया अपने माता-पिता को भी शहर बुला लेती है, और उसका अपने परिवार की गरीबी को दूर करने का सपना पूरा हो जाता है। (Hindi Stories with moral)
रिया शहर में जाकर दुर्गा को भूल जाती है, रिया दुर्गा को उसके पैसे भी वापस नही करती है। रिया दुर्गा का बलिदान भी भूल जाती है। रिया को अब किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी।
वहीं दूसरी ओर दुर्गा अब भी अपने गांव में ही रहती थी। उसकी जिन्दगी पहले जितनी ही साधारण थी। उसने अपनी खेती-बाड़ी तथा घर के कामों को ही अपना जीवन बना लिया था। इसके साथ-साथ दुर्गा ने, रिया तथा दुर्गा ने जो काम शुरू किया था, पर उसे बेच भी दिया था। दुर्गा उस काम को अकेले फिर से शुरू करती है। दुर्गा को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है।
दुर्गा के माता-पिता उसे छोड़कर इस दुनिया से चले जाते है, और दुर्गा ने अपने सारे पैसे रिया को दे दिए थे इसलिए उसके पास इतने पैसे भी नही होते है।
लेकिन फिर भी दुर्गा ये सोचकर खुश होती है की रिया का सपना पूरा हो गया है, और वो अपनी जिंदगी में काफी खुश है। पैसे की कमी होने के बावजूद भी दुर्गा कर्ज लेकर वापस काम शुरू करती है, और वो अपनी दोस्ती को जिंदा रखती है।
वो रिया के नाम से अपने काम की शुरुवात करती है और उसे विश्वास था की रिया एक दिन उसे मिलने गांव जरूर आएगी। दुर्गा न केवल अपने काम को लेकर परेशान थी, मौसम की मार की वजह से दुर्गा को खेती बाड़ी के काम में भी काफी मुश्किल आ रही थी। (Hindi Stories with moral)
लेकिन दुर्गा ने कभी भी हार नही मानी थी। लेकिन दुर्गा पर अब काफी कर्जा चढ़ गया था। दुर्गा को पैसों की काफी जरूरत थी, पैसों से ज्यादा दुर्गा को अपनी दोस्त की जरूरत थी।
लेकिन जिस दोस्त की उसने खुद का सोचे बिना मदद की थी। वो दोस्त अब उसको याद भी नहीं करती थी।
दुर्गा ने रिया को बहुत बार फोन किया लेकिन रिया ने कभी भी दुर्गा का फोन उठाया ही नहीं रिया ने ये कभी जानने की कोशिश भी नहीं की कि दुर्गा किस हाल में है। रिया के शहर में काफी सारे दोस्त बन चुके थे , जिनके साथ वो रोज उठती बैठती थी।
एक दिन रिया दुर्गा का फोन उठा लेती है, और उससे बात करती है। रिया दुर्गा को पहचानती भी नहीं है। वो दुर्गा से कहती है कि वो कौन है, दुर्गा जब उसे अपनी दोस्ती याद दिलाती है तो रिया ऐसे बात करती है, जैसे वो उसे जानती ही नहीं। दुर्गा को रिया के बर्ताव से काफी ठेस पहुंचती है। लेकिन उसे पैसों की जरूरत होती है इसलिए वो रिया से कहती है कि रिया उसे उसके पैसे दे दे तो दुर्गा की काफी मदद हो जायेगी।
लेकिन रिया दुर्गा को बहुत खरी खोटी सुनाती है, और वो उसे कहती है कि वो तो उसके भी पैसे थे और जो दुर्गा के थोड़े बहुत पैसे थे, वो उसे दे देगी वो कहीं भाग नहीं रही है, और उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं है जो वो उसके पैसे नहीं देगी। दुर्गा अब ये ठान लेती है कि, वो अब रिया को कभी भी फोन नहीं करेगी।
दुर्गा ने ये सोच लिया था कि वो अब खुद से अपनी तकलीफ का सामना करेगी। दुर्गा खुद से अपने व्यापार को धीरे-धीरे बढ़ाती है, अब उसका काम बेहद अच्छे से चलने लगता है।
वो अपना कर्जा धीरे-धीरे उतार देती है और अपनी मेहनत से अपने व्यापार को बढ़ाती है। अब दुर्गा को किसी भी चीज की कमी नहीं होती। इतना सब होने के बाद भी दुर्गा के मन में रिया के लिए कोई कटुता नहीं होती है।
दुर्गा रिया को हर रोज याद करती है, और उसके अच्छे भविष्य की और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती है। उसे अब भी अपनी दोस्ती पर पूरा विश्वास होता है और वो जानती है कि एक दिन रिया उससे मिलने जरूर आएगी। (Hindi Stories with moral)
समय के साथ रिया के जीवन में धीरे-धीरे कुछ समस्याएं आनी शुरू हो गई। उसका काम अब पहले जैसा नही रहा। एक दिन उसे उसके शहर के दोस्तो ने उसे ऑफिस के जरूरी कागजात खो देने के गलत ओर झूठे आरोप में फंसा दिया। गलती उसके दोस्तो की थी, उन्होंने वो कागजात अपनी लापरवाही की वजह से खो दिए थे।
लेकिन वो रिया को उस आरोप में फंसा देते है, ताकि वे लोग आसानी से सजा से बच जाए। रिया के ऑफिस में उसे बेइज्जत किया जाता है, और उसे नौकरी से निकाल देते है।
वे रिया को न केवल नौकरी से निकालते है, वे उसे रिया के पैसे भी नहीं देते। रिया के ऊपर केस होता है, और उसे भारी जुर्माना भरना पड़ता है, उस जुर्माने को भरने के लिए रिया को अपना घर बेचना पड़ता है।
रिया की सारी इज्जत और धन-दौलत अब चली जाती है। रिया अब पहले की तरह गरीब हो जाती है। रिया और उसके माता-पिता सड़क पर आ जाते है। रिया की निजी जिदंगी भी बिखरने लगती है।
रिया अपने शहर के दोस्तो से मदद मांगने की कोशिश करती है। वह सभी को कॉल करती है पर कोई भी उसका कॉल नहीं उठाता है, अगर कोई उठा भी ले तो वो रिया को कहता है, की रिया ने गलत किया है इसलिए वे उसका साथ नहीं देंगे, और वे उसे मदद करने के लिए मना कर देते है।
अब रिया को अहसास होता है कि जो उसने अपनी बेहद प्रिय सखी के साथ किया था, अब वो ही उसके साथ भी हो रहा है। रिया को दुर्गा की बेहद याद आने लगती है, और उसकी आंखों से आंसू आने लगते है। परन्तु जो उसने दुर्गा के साथ किया था उसके बाद वो उसे अब कुछ भी नहीं बता सकती थी।
रिया अब खुद की नजरो में गिर चुकी थी, वह खुद को दुर्गा से माफी मांगने के काबिल भी नहीं समझ रही थी। दुर्गा ही इकलौती रिया की सच्ची दोस्त थी, दुर्गा ही थी जिसने रिया की बचपन से लेकर उसकी अब तक मदद की थी और उसने अपने हिस्से के पैसे भी रिया को दे दिए थे ताकि वो अपने सपने को पूरा कर सके।
लेकिन जब रिया का सपना पूरा हो गया और उसे वो सब कुछ मिल गया जो उसे चहिए था। उसके बाद रिया दुर्गा को बिल्कुल भूल चुकी थी। (Hindi Stories with moral)
यहां तक कि जब दुर्गा को उसकी मदद की जरूरत थी तब रिया ने उसकी मदद करना तो दूर की बात है, उसने दुर्गा को अपने शब्दो से ठेस भी पहुंचाई थी।
रिया को अब ये सारी बाते याद आ रही थी, और उसे अपनी गलती का भी अहसास हो रहा था, परन्तु रिया अब दुर्गा से नजरे नहीं मिला पा रही थी। रिया के पास अब वापस गांव जाने के अलावा ओर कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था।
रिया अपने माता-पिता के साथ गांव वापस आ जाती है, परंतु उसकी हिम्मत नहीं होती कि वो दुर्गा के पास जाकर उससे माफी मांग सके। रिया गांव वालो से दुर्गा के बारे में पूछती है, गांव वाले रिया को कहते है कि तुम इतने टाइम तक कहा थी। दुर्गा को तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तुम्हारे जाने के बाद तो दुर्गा की जैसे दुनिया ही बिखर गई।
रिया उनसे पूछती है कि दुर्गा के साथ ऐसा क्या हुआ था। सभी गांव वाले हैरान थे कि रिया को कैसे कुछ भी पता ही नहीं है, जबकि रिया और दुर्गा की बहुत गहरी दोस्ती है।
तो गांव वाले रिया को बताते है कि उसके जाने के कुछ टाइम बाद ही दुर्गा के माता-पिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए और दुर्गा यहां बिल्कुल अकेली हो गई थी। उसे रिया की सबसे ज्यादा जरूरत थी लेकिन तुम कभी उसे मिलने ही नहीं आई और उसका फोन भी नहीं उठाया।
उसके बाद दुर्गा पर बहुत बड़ा कर्जा चढ़ गया, जिसकी वजह से उसे बहुत ज्यादा तकलीफों का सामना करना पड़ा, लेकिन दुर्गा ने हार नहीं मानी उसने खुद की मेहनत से फिर से अपने पैरों पर खड़ी हुई और सारा कर्जा चुका दिया।
उसने फिर से वही काम शुरू किया जिसे तुम दोनों ने मिलकर शुरू किया था, और उसने अपने काम का नाम भी तुम्हारे नाम पर रखा और एक बार फिर से तुम दोनों की सच्ची दोस्ती की मिसाल दी और तुम्हारे जाने के बाद भी उसने तुम दोनों की दोस्ती को जिंदा रखा।
रिया को ये सारी बाते सुनकर बेहद शर्मिंदगी और ग्लानि महसूस होती है। वो अब दुर्गा के पास जाती है, और उसके पैरों में गिर कर दुर्गा से माफी मांगती है। (Hindi Stories with moral)
रिया फूट-फूट कर रोने लगती है, और उसे अपनी गलती का अहसास होता है, और उसे अपनी गलती पर पछतावा भी होता है। रिया दुर्गा से कहती ही की वो जानती है कि जो उसने किया है वो माफी के लायक नहीं है लेकिन उसे बेहद पछतावा है।
दुर्गा रिया की सच्ची दोस्त थी और उसके मन में रिया के लिए कोई कटुता नहीं थी, इसलिए वो रिया को माफ कर देती है और रिया से कहती है कि वो जानती थी कि उसकी दोस्ती सच्ची है, और ये कभी टूट नहीं सकती और एक दिन उसकी दोस्त उसके पास वापस जरूर आएगी। वो रिया को गले लगाती है और उसे माफ कर देती है।
दुर्गा को जब रिया की हालत के बारे में और उसके साथ जो शहर में हुआ उसके बारे में पता चलता है तो, दुर्गा रिया को न केवल माफ करती है वो रिया की एक बार फिर से मदद करती है, और रिया को अपने साथ काम करने को कहती है। रिया दुर्गा की इस बात को सुनकर रोने लगती है और एक बार फिर से दुर्गा से माफी मांगती है।
अब दुर्गा और रिया एक साथ फिर से वही काम करने लगते है, और वो अब हमेशा साथ रहते है, और उनकी दोस्ती अब पहले से भी ज्यादा गहरी हो गई थी। धीरे धीरे रिया के घर के हालात ठीक हो गए थे। अब वे दोनो खुशी-खुशी साथ रहते है।
दोस्ती की कीमत (hindi stories with moral) से शिक्षा
इस Hindi Stories with moral से हमे ये सीखने को मिलता है कि सच्ची दोस्ती और सच्चे रिश्ते जीवन में सबसे महत्व पूर्ण होते है। दुनिया की की भी धन दौलत इन सच्ची दोस्ती और रिश्तों के आगे कुछ भी नहीं है।
धन और शोहरत से ज्यादा जरूरी है अपनों का प्यार और साथ जो हमे मुश्किल समय में काम आता है और हमे उस मुश्किल समय में उससे लड़ने की हिम्मत देता है और हमारा हाथ पकड़कर हमे उस मुश्किल समय से बाहर निकालता है।
इस hindi moral stories से हमे ये पता चलता है कि दोस्ती केवल एक शब्द नहीं है, ये एक भावना है। जो हमे अच्छे और बुरे का फर्क बताती है, हमे एकजुट करती है, हर सुख दुख में हमारे साथ रहती है और हमारी मदद करती है।
दोस्ती एक अनमोल शब्द है, और सच्चा दोस्त मिलना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन जिसे सच्चा दोस्त मिल जाए वो कभी भी दुखी नहीं रह सकता। हमारे सच्चे दोस्त हमेशा हमारे साथ रहते है और हमे कभी अकेला नहीं छोड़ते है।
सच्चा खजाना (Moral Stories in Hindi)
एक बार की बात है। समुद्र के किनारे एक छोटा सा गांव था। उस गांव का नाम छोटा टापू था। छोटा टापू बेहद खूबसूरत था। उस गांव में चारो तरफ हरियाली ही हरियाली थी। उस गांव का सौंदर्य मन को लुभाने वाला था।
छोटे टापू की खास विशेषता थी कि वो समुद्र के किनारे पर बसा हुआ था, जिससे उस गांव की सुन्दरता में चार चांद लग जाते थे।
उस गांव में अनेकों फल फूलों वाले पेड़ थे, और वहां पर नारियल और केले के पेड़ बहुत मशहूर थे।
छोटे टापू में एक युवा नाविक रहता था। उसका नाम अमन था, अमन अपने जीवन के सबसे बड़े सपने को पूरा करने की तैयारी कर रहा था। अमन का सपना था एक रहस्यमय छिपे हुए द्वीप को खोजना, जिसे केवल पुरानी कहानियों में सुना गया था।
अमन को उस द्वीप के बारे में उसकी दादी ने बताया था। बचपन में अमन की दादी उसे खजाने की हिंदी कहानियां (Hindi Stories with moral) सुनाती थी। तभी से अमन के मन में उस द्वीप को ढूंढने की इच्छा हुई और अमन की दादी की कहानी के अनुसार, यह द्वीप खजाने से भरा हुआ माना जाता था।
उनके अनुसार समुद्र के बीचों बीच वो द्वीप है, और लोग कहते थे कि जिसने भी उस द्वीप को खोज लिया, उसकी किस्मत हमेशा के लिए बदल जाती थी। अमन का मन समुद्र की लहरों में बसा हुआ था, अमन की बस यही एक इच्छा थी। जिसके लिए अमन काफी सालों से कोशिश भी कर रहा था।
अमन एक बेहद मजबूत नाव बना रहा था ताकि वो समुद्र के बीचों बीच जा सके और उस द्वीप और खजाने को ढूंढ सके। लोगों का मानना था कि समुद्र के बीचों बीच जाना खतरे से भरा हुआ काम है। (Hindi Stories with moral)
लेकिन अमन अपने छोटे से नाव में बैठकर अत्यधिक साहस के साथ अपने सपने की ओर बढ़ना चाहता था। अमन के पिता उसके इस सपने में उसके साथ थे, उन्होंने अमन को हौसला दिया और उसे समुद्र में जाने के लिए आज्ञा दे दी थी।
अमन ने अपने पिता से एक पुराना कंपास लिया था, जो पीढ़ियों से उनके परिवार में था। उसके पिता ने उसे बताया था कि यह कंपास हमेशा सही दिशा दिखाएगा, लेकिन उसे अपने दिल की भी सुननी होगी।
अमन के पिता ने उसे वो कंपास अपने आशीर्वाद के रूप में अमन को दिया था। अमन अब अपने सपनो को पूरा करने के लिए पूरी से तैयार था, वो अब हर चुनौती को स्वीकार करने को और उससे लड़ने के लिए मैदान में आ गया था।
अगली सुबह, यात्रा की शुरुआत करने के लिए अमन ने अपनी नाव में आवश्यक खाने पीने का, कपड़े व समुद्र का मैप और अन्य सामान भरकर समुद्र की ओर जाने के लिए निकल गया। उस दिन समुद्र की लहरें ऊंची थीं।
मानो समुद्र में कोई तूफान आने वाला था, और आसमान नीला और साफ था। ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति भी अमन को हौसला दे रही थी। अमन ने सोचा कि, “यह दिन मेरे लिए खास है। आज मैने अपने सपनो की तरफ पहला कदम बढ़ाया है।”
जैसे ही अमन ने अपनी नाव को समुद्र में आगे बढ़ाया, तो अमन को लगा जैसे उसकी आत्मा उन समुद्र की लहरों में खुली उड़ रही हो। समुद्र में जाने के बाद, पहले कुछ दिनों में सब कुछ ठीक रहा और अमन अपनी खोज की तरफ आराम से आगे बढ़ रहा था।
अमन ने समुद्र के अनेक रंगों का आनंद लिया,उसने समुद्र की लहरों का भरपूर आनंद उठाया, उसने मछलियों को तैरते देखा, और कई प्रकार के समुद्री जीवों से मिला। उसने समुद्र में बड़ी-बड़ी मछलियां देखी और उन्हें समुद्र में तैरते और खेलते हुए देखा। लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा, लहरें भी उतनी ही ऊंची होती गईं।
समुद्र का प्रिय वातावरण अब एक भयंकर तूफान में बदल गया था। अमन की जिज्ञासा ओर भी बढ़ती जा रही थी। वो समुंदर की लहरे भी अमन का हौसला नहीं तोड़ पा रही थी। समुद्र में आने के बाद और लहरों की दशा देखकर अमन को अब ये समझ में आ गया था कि समुद्र में कोई रहस्य छिपा हुआ था।
अब अमन को समुद्र में यात्रा करते हुए काफी दिन हो चुके थे, इस यात्रा में अमन के पिता द्वारा दिया हुआ कंपास अमन को यात्रा करने में काफी मदद कर रहा था। (Hindi Stories with moral)
अमन को एक दिन समुद्र में एक अजीब सी धुंध नजर आने लगी। अमन उसे देखकर बिल्कुल भी नहीं डरा, पर अब अमन की जिज्ञासा ओर भी बढ़ गई थी। अमन ने उस अजीब सी धुंध में नाव चलानी शुरू की। अब धीरे धीरे हवाएं अपना रुख बदलने लगी और उनकी रफ्तार तेज होने लगी।
समुद्र में तूफान आ गया और अमन ने जैसे ही उस तूफान में अपनी नाव संभालने की कोशिश की , वैसे ही अचानक से एक तेज हवा आई और अमन के हाथ से कंपास फिसलकर समुद्र में गिर गया। अमन उसे देखकर तड़प उठा। अमन ने एक दम से जोर से कहा “नहीं! मेरा कंपास!”
उसने चिल्लाया, लेकिन अब कुछ नहीं किया जा सकता था। अमन को कंपास खो जाने पर बेहद दुख होता है, और उसे याद आता है कि अमन के पिता ने उसे वो कंपास संभाल कर रखने को कहा था, लेकिन अब वो चाह कर भी कंपास वापस नहीं ला सकता था। बिना कंपास के, अमन को लगा जैसे उसको अब दिशा के बारे में कैसे पता चलेगा।
उसे लगा जैसे उसका एक बहुत बड़ा साथी खो गया है। वह परेशान हो गया। लेकिन तभी अमन को अपने पिता के शब्द याद आते है, अमन सोचता है कि उसके पिता ने कहा था कि कंपास से ज्यादा दिल की आवाज सुनना।
अब अमन ने अपने दिल की आवाज सुनने की कोशिश की। पहले तो उसे लगा कि वह अपने लक्ष्य से भटक गया है, लेकिन फिर उसने सोचा, “क्या मेरी मंजिल केवल खजाना है, या इससे भी कुछ बड़ा?”
अमन को अब कोई ओर रास्ता नजर ही नहीं आ रहा था। अब अमन ने अपने दिल की सुनते हुए, उसने समुद्र में अपने रास्ते को खोजने के लिए अपने अनुभव का सहारा लिया।
वह अपनी नाव को जहां दिल चाहता, वहीं ले जाने लगा। पहले अमन की लगा कि शायद अब उसकी ये यात्रा किसी काम की नहीं है, क्योंकि वो सिर्फ समंदर में भटक रहा था। (Hindi Stories with moral)
लेकिन बिना कंपास के वो वापस भी नहीं जा सकता था। अब अमन को लगने लगा कि शायद अब वो इसी तरह खत्म हो जाएगा, और अपने सपने को भी पूरा नहीं कर पाएगा। लेकिन एक दिन, अमन को समुद्र में अचानक से एक अन्य नाव नजर आई। अमन को लगा जैसे उसे एक अंधेरे कमरे से बाहर निकलने के लिए एक उजाले किरण नजर आ गईं हो।
अमन तुरंत अपनी नाव को उस नाव की तरफ लेकर जाता है। अमन जब उस नाव के पास पहुंचता है तो वहां, उसे एक और नाविक मिला, जिसका नाम था समीर।
अमन समीर से पूछता है कि वो कहां जा रहा है तो समीर उसे बताता है कि वो एक छोटे से द्वीप की ओर जा रहा था। वह द्वीप सुर्ख हरे पेड़ों से भरा हुआ है और उसकी लहरें सुनहरी रेत पर लिपट रही थीं।
समीर अमन से पूछता है कि वो समुद्र में किस लिए आया है और वो उसे कहता है कि, “तुम अकेले हो? क्या तुम खजाने की तलाश में हो?”
अमन ने समीर अपनी कहानी सुनाई, और समीर ने कहा, “मैं भी इसी तलाश में हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि खजाना केवल पैसे या वो धन में नहीं, बल्कि ये तो हमारे अनुभवों में भी है। आज जो हमे अनुभव मिलेगा वो ही हमारा असली खजाना होगा।”
अमन ने समीर की बातों में एक गहराई देखी और उसे समीर की बातों से काफी बड़ा सबक भी मिला। अब उनके बीच दोस्ती हो गई। अमन और समीर अब एक साथ मिलकर खजाने को ढूंढने का फैसला करते है।
वे दोनों अब साथ-साथ यात्रा करने लगे और अपनी मंजिल तरफ बिना वक्त गवाए आगे बढ़ते है। समीर ने अमन को समुद्र की गहराइयों के बारे में बताया, जो उसे नई उम्मीद देने लगा। समीर ने बताया कि ये समुंदर बहुत बड़ा है, और बहुत गहरा भी है। (Hindi Stories with moral)
इस समुद्र में अनेकों जीव जंतु रहते है,परंतु वो कभी भी इस समुद्र की लहरों में आने वाले तूफान से डरते नहीं है। क्योंकि वो जनता था कि ये उनका घर है, और उन्होंने कभी भी डरकर समझौता नहीं किया और न ही उस जगह को या अपनी मंजिल को छोड़ा, उन्होंने अपने दिल की सुनी और वहीं किया जो उन्हें सही लगा।
यह अनुभव अमन के लिए एक नया सबक था कि दोस्ती में ताकत होती है। और जिनका हौसला मजबूत होता है उन्हें कोई भी हरा नही सकता है।
जब वे सुबह के उजाले में बाहर निकले, और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे , तो उन्हें एक एहसास हुआ कि उन्होंने एक नया सच्चा दोस्त पाया है, जो मुश्किल वक्त में उनके साथ खड़ा रहा। वे दोनो एक दूसरे की हिम्मत और ढाल बने। अमन और समीर ने समुद्र में कई बाधाओं का सामना एक साथ किया।
एक रात, समुद्र में एक तेज़ तूफ़ान आया। समुंदर लहरे बेहद ऊंची हो गई, हवाएं भी जोर जोर से चलने लगी, एक दम से बारी होने लगी, बिजली कड़कने लगी और चांद की रोशनी भी काले घने बदलो के पीछे छुप गई। बारिश की वजह से समुद्र में लहरे एक भयानक रूप ले चुकी थी।
समीर और अमन की नाव लहरों के बीच में फंस गई थी। अमन को लगा जैसे सब कुछ खत्म हो गया है, अमन को लगा कि अब वो सुबह की रोशनी कभी भी नहीं देख पाएगा। अमन अपनी हिम्मत हार चुका था लेकिन समीर ने उसे प्रेरित किया।
समीर ने अमन से कहा कि हम अगर अकेले समुंदर के एक तूफ़ान से लड़ सकते है, तो अब तो हम दोनों साथ में है, हमे डरने की जरूरत नहीं है। अमन हमें लड़ना होगा। (Hindi Stories with moral)
अमन को समीर की बातो से बहुत हिम्मत मिलती है, अब उन्होंने अपनी नाव को मजबूत किया और एक-दूसरे का सहारा बनकर तूफ़ान का सामना किया। वे दोनो एक साथ आखिरकार उस भयानक तूफान से लड़ने में कामयाब हुए, और दोनों ने अगली सुबह भी एक साथ यात्रा जारी रखी।
यात्रा करते करते कुछ दिनों बाद, उन्होंने एक और द्वीप देखा, जो उनके रास्ते में आया। यह द्वीप अद्भुत था, और वहां के पेड़ और फूल उनकी आंखों को लुभा रहे थे। वे अपनी नाव को उस द्वीप के पास ले गए। अब जैसे ही वे द्वीप पर उतरे,तो कुछ देर उस द्वीप की सुन्दरता देखने के बाद , उन्हें उस द्वीप पर घूमते घूमते एक पुरानी मानचित्र मिली।
ये मानचित्र कोई रास्ता दिखा रही थी, उसे देख कर समीर ने कहा, “शायद यह हमें खजाने तक ले जा सकता है!” अमन को समीर की बात सही लगी अब उन्होंने मिलकर मानचित्र का अध्ययन किया।
अब समीर और अमन उस मानचित्र का अध्ययन करते हुए खजाने की तरफ आगे बढ़े। अब धीरे-धीरे खजाने की तरफ बढ़ रहे थे। लेकिन उन्हें खजाने के रास्ते में अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने एक साथ मिलकर उन सभी समस्याओं और तकलीफों का सामना किया।
अब जैसे-जैसे वे खजाने के करीब पहुंचे, तो अमन को समझ में आया कि खजाना केवल एक वस्तु नहीं थी। यह उस अनुभव का हिस्सा था, जो उन्होंने साथ बिताए दिनों में पाया था।
आखिरकार, उन्होंने खजाने के स्थान पर पहुंचने का निर्णय लिया, जैसे ही अमन व समीर खजाने की जगह पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि देखा कि वहां एक पुरानी गुफा थी, जो खजाने को छिपा रही थी।
वह गुफा देखने में काफी डरावनी लग रही थी उसे गुफा के आसपास काफी जंगली जानवर नजर आ रहे थे उस गुफा में जाना खतरे से खाली नहीं था।
अमन ने समीर से कहा, “क्या तुम सोचते हो कि हमें गुफा में जाना चाहिए?” समीर ने उत्तर दिया, “हमें अपनी मन की आवाज सुननी चाहिए। कभी-कभी रास्ता भटकना भी जरूरी होता है।”
अमन को समीर की बातें सही लगने लगी अमन को अब अपने पिता के शब्द याद आने लगे और उसने वैसा ही किया जैसा समीर ने और अमन के पिता ने उसे करने के लिए कहा था। (Hindi Stories with moral)
अमन ने अपनी भावनाओं पर ध्यान दिया और उसने अपने मन की आवाज को सुना। उसने महसूस किया कि वह उस खजाने से कहीं अधिक चाहता था।
अमन नहीं चाहता था कि वह खजाने के इतने पास आकर यहां से खाली हाथ वापस जाएं। वह न केवल खजाना चाहता था परंतु उसके साथ वह अनुभव भी चाहता था इसलिए अमन ने यह निश्चय किया कि वह गुफा में जाएगा।
वह चाहता था कि वह अपने परिवार के साथ इस अनुभव को साझा करे, जो उसे जीवन में सही दिशा देगा। अमन ने अंततः गुफा में प्रवेश किया। परंतु गुफा के खतरे को देखते हुए अमन ने समीर को अंदर जाने से मना कर दिया।
अमन ने समीर से कहा कि वह गुफा के बाहर रुके और उसकी प्रतीक्षा करें अगर वह कुछ समय में वापस नहीं आया तो समीर अंदर आ जाए। अमन ने जब गुफा के अंदर जाकर देखा तो उसे वहां पर सुनहरे सिक्के और बहुमूल्य रत्न मिले, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण उसके लिए वह था जो उसने वहां अनुभव किया।
उसने गुफा में एक पुराना संदूक देखा। वह संदूक दिखने में काफी आकर्षक लग रहा था उस संदूक की सुंदरता देखने लायक थी। अमन को वह संदूक इतना आकर्षक लगा कि वह खुद को उसे संदूक को खोलने से रोक नहीं पाया।जब उसने उसे खोला, तो उसमें एक पत्र था। (Hindi Stories with moral)
पत्र में लिखा था, “सच्चा खजाना वह है, जो तुम्हारे दिल में है। यह अनुभव, दोस्ती और प्यार का खजाना है। इस खजाने तक पहुंचना इतना आसान नहीं है और अकेले इस सफर को तय करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।”
“लेकिन यदि तुम्हें इस खजाने के रास्ते में कोई साथी मिलता है तो वह तुम्हारा सच्चा साथी होगा। वह तुम्हारा सच्चा दोस्त होगा और इस सच्ची दोस्ती को हमेशा अपने साथ रखना क्योंकि सच्चा दोस्त वही होता है जो बुरे समय में तुम्हारे साथ खड़ा रहे।”
अमन ने समझ लिया कि असली खजाना वह नहीं है जो वह खोज रहा था, बल्कि वह दोस्ती, साहस, और अनुभव है जो उसने अपनी यात्रा में पाया था।
अमन को यह समझ में आ गया था कि उसने अपने दिल की सुनी इस वजह से उसे एक सच्चा दोस्त मिला और एक सच्चा खजाना प्राप्त हुआ वह खजाना कोई धन दौलत या कोई वस्तु नहीं थी बल्कि वह समीर और अपनी यात्रा में बिताए वह पल थे।
अब घर वापसी की बारी आई। अमन और समीर ने गांव वापस जाने से पहले एक दूसरे से यह वादा किया कि वह एक दूसरे की दोस्ती को कभी नहीं भूलेंगे और एक साथ बीताए पल को हमेशा याद रखेंगे और बुरे समय में हमेशा एक दूसरे के साथ खड़े रहेंगे। (Hindi Stories with moral)
अब अमन और समीर ने वह खजाना आधा-आधा आपस में बांट लिया और उन्होंने उस खजाने को अपने गांव के लोगों के साथ साझा करने का निर्णय लिया।
जब वह अपने-अपने गांव पहुंचे तो उन्होंने सभी को बताया कि असली खजाना केवल भौतिक संपत्ति नहीं, बल्कि वे अनुभव हैं जो हमें मजबूत बनाते हैं और वे सच्चे दोस्त होते हैं जो बुरे समय में हमारे साथ खड़े रहते हैं। वही हमारा असली खजाना होता है।
जब वे गांव लौटे, तो उन्होंने अपने अनुभवों को सुनाया। लोगों ने उनके साहस और दोस्ती की कहानी सुनी और उन्हें एक नए नजरिया के साथ देखा।
अमन जब अपने गांव वापस पहुंचा तो अपने पिता से मिलने के बाद उसने अपने पिता को बताया कि उसने गलती से उनका पुराना कंपास खो गया। लेकिन अमन ने अपने पिता के शब्दों का अनुसरण करते हुए अपने दिल की सुनी और खजाने तक पहुंचा और इस रास्ते में उसे अपने दिल की सुनने पर समीर जैसा एक सच्चा दोस्त भी मिला।
अमन के पिता अमन की बातें सुनकर उसके अनुभव को सुनकर काफी खुश होते हैं और वह अमन को बताते हैं कि उन्होंने जो उन्हें उसे कंपास दिया था वह एक नॉर्मल कंपास था। (Hindi Stories with moral)
उनका खानदानी कंपास तो अभी भी उसके पिता के पास ही है। अमन ने अपने पिता से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो अमन के पिता ने बताया कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह चाहता था कि अमन अपने साहस से आगे बढ़े न की किसी कंपास के जरिए।
वह कंपास पहले से ही खराब था। वह कंपास कभी भी दिशा सही नहीं बताता था अमन के पिता ने अमन को अपना पुराना खानदानी कंपास दिखाए। (Hindi Stories with moral)
अमन ने अपने पिता के साथ पुराने कंपास को फिर से देखा। उसने महसूस किया कि वह खोया हुआ कंपास उसके लिए एक नया अर्थ रखता था। अमन अब बहुत खुश होता है वह अपने पिता का शुक्रिया अदा करता है। अमन की कहानी ने गांव के सभी लोगों को प्रेरित किया।
उन्होंने सीखा कि कई बार अपने लक्ष्य को पाने के लिए रास्ता भटकना भी जरूरी होता है। और यही अमन का असली खजाना था – वह यात्रा, जो उसे अपने भीतर के खजाने की पहचान कराती है।
सच्चा खजाना (Hindi Stories with moral) से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में निर्णय लेते समय अपने दिल की सुनना बहुत जरूरी है, क्योंकि कई बार असली खजाना हमारी यात्रा के अनुभवों में छिपा होता है। असली खजाना हमारे दोस्त और हमारे पुराने रिश्ते होते हैं और हमारा असली खजाना हमारा साहस हमारे अनुभव होते हैं न की कोई वस्तु।
अमन अपनी इस यात्रा को कभी भी नहीं भूल सकता और हमें भी अमन कि यात्रा को नहीं भूलना चाहिए। हमें हर काम सब के साथ करना चाहिए और उससे प्राप्त अनुभव को अपने जीवन में उतरना चाहिए हमारे अनुभव ही हमारे हमारा सच्चा खजाना होता है।
जुबान: दोस्त या दुश्मन (Hindi Stories with moral)
सीतापुर नामक एक छोटा सा गांव था। वह गांव बेहद खुबसुरत और शांतिपूर्ण वातावरण वाला था। गांव में चारो तरफ हरियाली थी और उस गांव के लोग एक खुशहाल जीवन जी रहे थे।
सीतापुर गांव का जमींदार बहुत ही धनी था। उस जमींदार की गांव में एक बहुत भव्य और शानदार हवेली थी। उस हवेली में बाहर एक बहुत बड़ा बगीचा था, उसमे चारो तरफ हरियाली थी।
वहां की हवा शुद्ध व सुगन्धित थी। वो हवेली न केवल बाहर से , बल्की अंदर से भी उतनी ही भव्य और सुंदर थी। उसमें महंगी वस्तुएं थी। वो हवेली बहुत ज्यादा बड़ी थी, और उसकी खूबसूरती उसके आकार से भी कहीं अधिक थी। उस हवेली का नाम था, ‘सरस्वती निवास।’
सरस्वती जमींदार की पत्नी का नाम था। जमींदार का नाम श्याम था। श्याम की मृत्यु दो साल पहले हो गई थी। श्याम ने वह भव्य हवेली अपनी पत्नी के लिए बनवाई थी। इसलिए उस हवेली का नाम भी सरस्वती के नाम से रखा गया था। सरस्वती व श्याम के दो बेटे थे, राघव और रघु। राघव उनका बड़ा बेटा था और रघु उनका छोटा बेटा था। (Hindi Stories with moral)
राघव बहुत ही नेक, ईमानदार, समझदार व मधुर वाणी बोलने वाला व्यक्ति था।उसने अपने इसी आचरण की वजह से अब तक बहुत सारे अच्छे रिश्ते बनाए थे। वह लोगों को अपने बोलने के तरीके से अपनी तरफ कर लेता था। सभी लोग राघव के साथ जल्दी घुल-मिल जाते थे और उसे बेहद पसंद करते थे। लोगों को राघव के बोलने का तरीका व उसका व्यवहार बेहद प्रिय लगता था।
वहीं रघु, राघव से बिल्कुल विपरीत था। रघु बेहद बदतमीज लड़का था। उसे किससे क्या कहना है, या कैसा व्यवहार करना है; ये सब बिल्कुल भी नही आता था। हालांकि रघु भी ईमानदार था, उसके दिल में दूसरो के प्रति दयालुता थी। परन्तु, उसका व्यवहार उन बिगड़े बच्चो की तरह था, जिनमें समझदारी व मधुर वाणी तो बिलकुल भी नहीं थी।
रघु बिना सोचे-समझे बोलता था और दूसरो को नीचा दिखाता था। वह केवल खुद को सर्वोपरी व सर्वश्रेष्ठ मानता था । रघु के इसी बर्ताव की वजह से उसक कोई भी दोस्त नहीं था। कोई भी उससे बात करना पसंद नहीं करता था। सभी लोग रघु के दुश्मन बन गए थे। गांव के लोग रघु को थोड़ी बहुत इज्जत भी श्याम और राघव की वजह से देते थे।
राघव व रघु अब बड़े हो गए थे, राघव 22 साल का व रघु 21 साल का हो गया था। सरस्वती व श्याम का जो कारोबार था, सरस्वती ने अब उन दोनों को सौंप दिया था। उनके दो अनाज के बड़े-बड़े गोदाम थे व उनकी बहुत सारी जमीन थी। (Hindi Stories with moral)
सरस्वती ने एक गोदाम और आधी जमीन राघव को और दूसरा गोदाम व बाकी आधी जमीन रघु को दे दी थी। उसने दोनों को बराबर बराबर हिस्सा दे दिया था। लेकिन सरस्वती ने ‘सरस्वती निवास’ का बटवारा नहीं किया था, वो चाहती थी कि उसके दोनों बेटे सदा साथ में रहें।
अब राघव और रघु अपना-अपना काम संभालने लग गए थे। शुरुवात में दोनों का काम अच्छा चल रहा था। सरस्वती दोनों को ईमानदारी व लगन के साथ काम करते हुए देख कर बहुत खुश होती थी लेकिन सरस्वती अपने दोनों बेटों के आचरण से वाकिफ थी।
उसे राघव की कोई चिंता नहीं थी, क्योंकि वह जानती थी, कि राघव के साथ सभी लोग जल्दी घुल-मिल जाते है। लेकिन सरस्वती को रघु की काफी चिंता हो रही थी, वह जानती थी कि रघु को लोगो से अच्छे से बात करना नहीं आता था और उसे लोगों के साथ घुलने-मिलने में समय लगता है। उसकी जुबान की वजह से उसके बहुत सारे दुश्मन बन गए है। (Hindi Stories with moral)
एक दिन रघु अपने गोदान में अनाज का हिसाब करने में गलती कर देता है, जिससे उसको 2000 रु का हिसाब नहीं मिल पाता है। रघु को लगता है, कि उसके गोदाम में काम करने वाले लोगों ने उसके पैसे चुरा लिए है। रघु बिना सोचे-समझे बोलने वाला, बड़बोला व्यक्ति था।
रघु को शक होता है, तो वह सभी कर्मचारियों को इक्ट्ठा होने के लिए कहता है। सारे कर्मचारी पहले से ही रघु के बर्ताव से परेशान थे। परन्तु वे श्याम, राघव और सरस्वती की वजह से वहां काम कर रहे थे। अब रघु अपनी हद पार करने वाला था।
जैसे ही सभी कर्मचारी इकट्ठा होते है, रघु उनसे कहता है, “मैने तुम सब को नौकरी पर रखा ये सोचकर कि तुम लोग गरीब हो, लेकिन ईमानदार होगे, पर सच में मुझे नहीं पता था कि तुम सब इतने गिरे हुए लोग हो। जिस थाली में खाते हो, उसी में छेद करते हो? मैने तुम सब पर दया दिखाई पर तुम लोगों ने अपनी औकात दिखा ही दी।”
सभी कर्मचारी रघु की बातें सुनते ही हैरान हो जाते है, वे सभी उसके मुंह से निकले एक-एक शब्द को सुन रहे थे, और रघु के शब्द और उसकी बातें उन्हें कांटो की तरह चुभ रहे थे।
उनमें से एक कर्मचारी कहता है “बस करो साहब। हम गरीब है, पर आपकी तरह बदतमीज नहीं है। हम आपसे उम्र में भी बड़े है, तो थोडी तो इज्जत से बात करो। हम सभी चुप है क्योंकि हमारे ऊपर श्याम जी के बहुत सारे अहसान है। अरे, अपने बड़े भाई से ही थोडी तमीज सिख लो।”
रघु को उन सब की बातें सुनकर बहुत गुस्सा आने लगता है, और वो उस कर्मचारी को थप्पड़ मार देता है। सभी कर्मचारी रघु को देखते रह जाते हैं, उन सभी को रघु पर बहुत गुस्सा आता है। (Hindi Stories with moral)
रघु उनसे कहता है, “चुप रहो बदतमीज। मालिक से कैसे बात करनी है, तुम्हे इतना भी नहीं पता। और इस पालतू कुत्ते की हिम्मत तो देखो, एक तो चोरी करता है,ऊपर से जबान लड़ाता है। मैं जानता हू, तुमने ही मेरे गोदाम से, वह 2000 रू चुराए है ।”
सभी कर्मचारियों को रघु पर बेहद गुस्सा आता है, पर वे बहुत शांति से रघु को कहते है, “देखो बेटा, हम सभी इसे जानते है, ये ऐसा कभी नहीं कर सकता है, ये बहुत ईमानदार है। ये क्या हम सभी कर्मचारी ईमानदार है। तुम एक बार फिर से देखलो, शायद तुमसे कोई गलती हो गई होगी।”
रघु गुस्से में ऊंची आवाज में उससे कहता है, “तुम सभी हमारे टुकड़ों पर पलने वाले कुत्ते हो, और अब मुझ पर ही भौंक रहे हो। मैं जानता हूं कि ये तुम सब लोगों की मिली-भगती है, तुम सबने मिलकर चोरी की है। ये सब करते हुए तुम्हें शर्म तो आई नहीं होगी।”
“चले जाओ यहां से, तुम सब पर तरस खा कर मैं पुलिस को नहीं बुला रहा हूं। इसलिए अच्छा होगा, तुम सब यहां से निकल जाओ वरना धक्के मार कर भी निकलवा दूंगा। तुम जैसे चोरो के साथ काम करने से अच्छा है कि मैं सच में कुते ही रख लू। निकलो!”
कर्मचारी पहले से ही उससे परेशान थे। वे रघु से कहते है, “अरे, तुम क्या निकालोगे हमें। हम खुद यहां काम नहीं करेंगे। हम क्या कोई भी तुम्हारे साथ काम नहीं करेगा। एक भाई राम तो दूसरा रावण।” ये कहकर वे सभी काम छोड़कर, वहां से चले जाते है।
वे सभी राघव के गोदाम पर चले जाते है, और राघव को रघु के साथ हुई उनकी बहस के बारे में बताते हुए कहते है, “राघव बेटा तुम और तुम्हारे पापा बहुत ही भले इंसान हो, आप लोगो ने सभी की मदद की है। पर आज जो रघु ने किया है, वो माफी के लायक नहीं है। अभी भी समय है, उसे समझाओ वरना वो आप सभी का नाम खराब कर देगा।”
उन सबकी बातें सुनकर राघव को रघु की बेहद चिंता होने लगती है, राघव को रघु के बर्ताव की वजह से बेहद शर्मिंदगी महसूस होती है। वह उन सभी से हाथ जोड़कर माफी मांगता है,
और कहता है, “मैं मेरे छोटे भाई की वजह से बेहद शर्मिंदा हूं। मैं आप सभी से उसकी तरफ से हाथ जोडकर माफी मांगता हूं। मुझे माफ कर दीजिए। मैं आप सभी से वादा करता हूं कि आपको आपकी ईमानदारी का ईनाम मिलेगा। आज से आप सभी मेरे गोदाम में काम करेंगे और आपका जो भी पिछला हिसाब हो, मुझे बता दिजिएगा, मैं आपको दे दूंगा ।”
सभी लोग राघव की बातों से बेहद प्रसन्न होते है, और कहते है, “नहीं राघव बेटा। तुम हमसे यूं माफी मांग कर, हमें शर्मिंदा मत करो। जो भी हुआ है, उसमें आपकी कोई भी गलती नहीं है। और हम सभी आपकी दयालुता के लिए दिल से आभारी है।” आज उन सबकी नजरों में राघव की इज्जत और भी बढ़ गई थी। (Hindi Stories with moral)
रघु ने जो भी किया था। अब पूरे गांव में आग की तरह यह बात फैल गई थी। सरस्वती को जब यह बात पता चलती है, तो उसे बहुत चिंता होती है। रात को जब रघु और राघव घर पर वापस आते हैं, तो खाना खाने के बाद सरस्वती अपने दोनों बेटों को बुलाती है, और उनसे पूछती है, “आज का दिन कैसा गया बेटा! तुम दोनों कारोबार अच्छे से संभाल रहे हो ना?”
राघव सरस्वती को बताता है कि आज रघु ने जिन कर्मचारीयों से बहस की थी, वो उसके पास आए थे और उसने उनसे माफी मांगी व उन्हें अपने गोदाम पर काम दे दिया।
रघु , राघव की बात सुनकर आग बबूला हो जाता है और राघव से कहता है, “तुम तो इसी मौके की तलाश में थे। तुम्हें तो एक और मौका मिल गया महान बनने का। सही है, तुम तो हमेशा से मुझे नीचा दिखाना चाहते थे। इसलिए उन सब को तुम्हारे यहां नौकरी दे दी, ताकि सबको ये साबित कर पाओ कि वो लोग कितने अच्छे है, इमानदार है और मैं कितना बुरा हूं।”
रघु ये कहकर वहां से गुस्से में खड़ा होकर वहां से चला जाता है। राघव को रघु की बातें सुनकर काफी ठेस पहुंचती है। राघव वहां चुप करके बैठा रहता है, सरस्वती को ये सब देखकर बेहद दुख होता है।
वह राघव से कहती है, “बेटा रघु थोडा बड़बोला है और उसे अभी समझ नहीं है। उसे ये नहीं पता है उसे क्यों बोलना चाहिए और क्या नही। पर तुम तो उसे जानते हो, वो दिल का बुरा नहीं है और वो तुमसे और मुझसे बेहद प्यार करता है। आज रघु का मूड अच्छा नहीं था। इसलिए वो इतना कुछ बोल गया। तुम उसके बड़े भाई हो, तुम उसकी किसी भी बात का बुरा मत मानना और उसे आज के लिए माफ कर देना।”
राघव कहता है, “आप चिता मत किजिए, मां । मुझे बुरा नहीं लगा है। मुझे बस उसकी चिंता हो रही है।”
सरस्वती राघव से कहती है, “मैं जानती हूं। पर तुम आज मुझे एक वचन दो कि कल अगर मैं नहीं भी रही तो तुम रघु का साथ कभी नहीं छोड़ोगे। तुम उसे हमेशा अपने साथ रखोगे और उसे संभालोगे, उसकी रक्षा करोगे। एक बड़े भाई का फर्ज हमेशा निभाओगे और उसे सही राह दिखाओगे।”
राघव सरस्वती का हाथ पकड़कर कहता है, “मैं वादा करता हूं। आप चिंता न करें, सब सही हो जाएगा।” सरस्वती वहां से चली जाती है, वो अब रघु के पास आती है।
और उसे समझाती है, “देखो बेटा! मैं नहीं जानती आज क्या हुआ है? क्या सही है और क्या गलत है। शायद मैं कल तुम्हारे साथ न रहूं, इसलिए तुम्हें अब खुद को संभालना होगा । बेटा हमारी जुबान ही हमारी दोस्त या दुश्मन होती है। हमें किसी को भी कुछ भी कहने से पहले हजार बार सोचना चाहिए। राघव को देखो, उसके आस-पास कितने सारे लोग रहते है, उसकी इज्जत करते है।”
“ये सब उसकी मधुर वाणी की वजह से है। कई बार हमारे कहे हुए शब्दों से किसी को बेहद ठेस पहुंच सकती है। इसलिए हमें कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए, जिससे किसी को तकलीफ हो। क्योंकि हो सकता है, आज जो हम दूसरों के साथ कर रहे है, वो कल को हमारे साथ हो। तो अपने शब्दो का चयन सोच-समझ कर करना चाहिए।”
रघु सरस्वती की बातों से चिढ़ने लगता है, वो गुस्से में आकर सरस्वती को भी कड़वी बातें कह देता है, “हां, आप तो उसी का पक्ष लेगी। उसे ही अच्छा बताएंगी। आपका लाडला और आज्ञाकारी बेटा जो है। मुझे तो ऐसा लगता है, जैसे मैं आपके लिए कुछ हूं ही नहीं। एक बात सच-सच बताइएगा सरस्वती जी, मैं आपका ही बेटा हूं, ना ? या कहीं से उठा कर लाई है आप मुझे।”
“जब देखा राघव ये राघव वो….अच्छा तो है वो, आपको पैसे जो देता है। मैं बुरा हूं क्योंकि उसके जितना कमाता नहीं हूं। नालायक हूं, आपकी हां में हां नहीं मिलाता । अब मुझे रोकर मत दिखा दीजिएगा। आप भी चले जाइए यहां से…आपके संस्कारी बेटे के पास जाइए।”
आशा है कि आपको ये Hindi Stories with moral अच्छी लग रही है।
रघु की बातों से सरस्वती को बेहद ठेस पहुंचती है। सरस्वती वहां से उठ कर चली जाती है। राघव सभी बाते सुन लेता है, पर वो किसी को कुछ भी नहीं कहता है। सरस्वती अपने कमरे में चली जाती है, लेकिन उसे रघु की कही बाते बार-बार याद आ रही होती है। सरस्वती को अब घुटन होने लगती है।
सरस्वती का दिल श्याम की मौत के बाद से ही कमजोर था। थोड़ी सी तकलीफ सहने से ही वो बीमार पड़ जाती थी लेकिन रघु की बातो से उसे बहुत तकलीफ होती है और उसकी मौत हो जाती है। सुबह जब राघव और रघु को ये पता लगता है, की अब सरस्वती उनके बीच में नहीं रही तो दोनो को बहुत दुख होता है।
राघव को अपनी मां से किया वादा याद आता है, और वो उसे अच्छे से निभाता भी है। वही रघु को कल रात हुई अपनी मां के साथ बहस याद आती है, और उसे लगने लगता है की ये सब उसकी गलती है। अब उसे अपने कहे हुए प्रत्येक शब्द पर ग्लानि होने लगती है। वो अपनी मां से माफी मांगता है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
राघव, रघु को संभालता है और उससे कहता है, “रघु, जो भी हुआ, उसे भूल जाओ; इसमें तुम्हारी कोई गलती नही थी। और अब हम कुछ भी नही कर सकते है, जो होना था हो गया, अब मां की कही बाते याद करो और अपनी गलती को सुधारो। अपने शब्दो पर नियंत्रण रखना सीखो।”
राघव ये कह कर वहां से चला जाता है। रघु के कानो में सरस्वती की बाते और राघव की बाते गूंज रही थी। उसे अपनी गलती का अहसास होने लगता है। रघु तुरंत अपने गोदाम में जाता है, और एक बार फिर से सारा हिसाब करता है। रघु को अब पता चल जाता है कि ये सब उसकी गलती थी, उसने ही हिसाब करने में गलती कर दी थी। (Hindi Stories with moral)
उसने उन ईमानदार कर्मचारियों पर बेवजह गलत आरोप लगाया और उन्हे बहुत बुरा-भला कह दिया। न केवल उन लोगों को , बल्कि रघु ने गुस्से और आवेश में आकर अपने शब्दो पर से नियंत्रण खो दिया और अपने बड़े भाई को और अपनी मां को भी बहुत गलत कहा, उनसे बदतमीजी भी की और उसने सभी की भावनाओ को बहुत ठेस पहुंचाई।
रघु अब तुरंत अपने भाई के गोदाम में जाता है। वहां जाकर वो उन सब से हाथ जोडकर माफी मांगता है। कहता है, “मैं आप सबसे अपने बर्ताव के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। मैं जानता हूं, मैने आप सभी को बहुत ठेस पहुंचाई है। जो मैने किया है उसकी कोई माफी नहीं है, लेकिन फिर भी मै आप सबसे माफी मांगता हूं। मुझे क्षमा कर दीजिए।”
“मैं आप सबसे बहुत छोटा हूं। मेरी गलती के लिए मुझे माफ कर दीजिए । मुझे पता चल गया है कि मेरे मुख से निकले हुए शब्दो से आपको जो ठेस पहुंची है, मैं उन शब्दो को वापस नही ले सकता हूं। लेकिन मुझे अपनी गलती सुधारने का एक मौका दे दीजिए।”
सभी कर्मचारी रघु की बाते सुनकर आपसे में बात करने लगते है, ओर फिर रघु से कहते है, “कोई बात नही बेटा, हम तुम्हे माफ करते है। तुम्हे अपनी गलती का अहसास हो गया, यही काफी है। हमे खुशी है की तुम अब खुद को बदलोगे। चिंता मत करो, हम सभी आज से ही तुम्हारे यहां काम पर वापस आ जायेगे।”
वे सभी राघव से पूछते है, राघव उन्हे जाने के लिए खुशी-खुशी हां कर देता है। रघु, राघव को अपनी नम व क्षमा की नजरो से देखता है और कहता है, “मुझे माफ कर दो भईया, मैने आपको बहुत भला-बुरा कह दिया।”
“आप तो हमेशा से ही मेरा अच्छा चाहते हो, और मैं आपको इतना कुछ कह गया। छोटा समझकर मुझे माफ कर दो। मेरी वजह से मां को भी इतनी तकलीफ पहुंची और वो हमे छोड़ कर चली गई, मैं बहुत बुरा हूं।” रघु ये कहकर रोने लगता है। (Hindi Stories with moral)
राघव रघु को गले लगा लेता है और उससे कहता है, ” चुप हो जाओ, मैं तो हमेशा तुम्हारे साथ ही हूं, चाहे तुम मुझे कुछ भी कहो। मैं कभी तुम्हारी किसी बात का बुरा नही मानूंगा। जो भी हुआ उसे भूल जाओ, अपनी गलतियों से सीखो और उन्हें सुधारो।”
रघु को अब अपनी गलती का पूरी तरह से अहसास होता है। वो अब खुद को बदलने की पूरी कोशिश करता है। रघु अब अपने बड़े भाई की तरह ही मधुर वाणी बोलता है, और सबसे बहुत अच्छे से व्यवहार करता है। रघु को अब ये समझ आ गया था की हमारी जुबान ही हमारी दोस्त या दुश्मन होती है।
जुबान: दोस्त या दुश्मन हिंदी नैतिक कहानी से शिक्षा
इस hindi stories with moral से हमे ये शिक्षा मिलती है की हमे अपने शब्दो पर अंकुश रखना चाहिए। गुस्से में आकर या कभी भी हमे किसी को कुछ भी ऐसा नहीं कहना चाहिए जिससे उनके दिल को ठेस पहुंचे।
जैसा हम दूसरो के साथ बर्ताव करेंगे वैसा ही लोग हमारे साथ करेंगे। कई बार हम ऐसा कुछ कह जाते है, जिससे सामने वाले को बहुत तकलीफ होती है या उनकी भावनाओ की कदर नही करते है।
जब हमें समझ में आता है तब तक बहुत देर हो जाती है। इसलिए हमे अपने शब्दो का प्रयोग तौलकर करना चाहिए। मुख से निकले हुए शब्द कभी वापस नही आते है, इसलिए हमे अपनी जुबान पर अंकुश रखना चाहिए क्योंकि हमारी जुबान ही हमारी दोस्त या दुश्मन (hindi stories with moral) होती है।
मेहनत: जीत की राह (Hindi Stories with moral)
सीताबाड़ी नाम का एक छोटा सा गांव था। वह गांव देखने में बेहद खूबसूरत था। उस गांव में चारो तरफ हरियाली ही हरियाली थी। सीताबाड़ी गांव का वातावरण शांतिप्रिय था। उस गांव की सुंदरता की चर्चा दूर-दूर तक होती थी। उस गांव में हिना नाम की एक लड़की रहती थी। हिना के सपने बेहद बड़े-बड़े थे।
हिना बचपन से ही एक नृत्यकार (डांसर) बनना चाहती थी। बचपन में जब वह किसी को भी नृत्य करते हुए देखती थी तो उसका भी नृत्य करने का मन करता था और उन्हें नृत्य करता देखकर हिना की आंखों में चमक आ जाती थी।
नृत्य हिना की जिंदगी बन चुकी थी। हिना जब भी किसी को स्टेज पर नृत्य करते हुए देखती थी तो वह सोचती थी कि एक दिन वह भी इसी तरह एक बड़े मंच पर नृत्य करेगी और बेहतरीन नृत्य कार बनकर दिखाएगी।
हिना की सबसे अच्छी दोस्त सिया थी। वे दोनो बहुत गहरी दोस्त थी। हिना और सिया बचपन से ही एक साथ बड़े हुए थे।
सिया का भी सपना एक नृत्यकार बनने का था। दोनों एक साथ बचपन में नृत्य क्लासेस जाती थी। सिया, हिना से नृत्य में काफी बेहतर थी। हर बार स्कूल के मंच पर सिया नृत्य करती थी और सभी लोग सिया के नृत्य से काफी प्रभावित होते थे और उसके लिए तालियां बजाते थे।
सभी लोग सिया के नृत्य की बेहद प्रशंसा करते थे। हिना को भी सिया की इस उपलब्धि पर बेहद खुशी होती थी। लेकिन जैसे-जैसे दोनों बड़े होने लगे वैसे-वैसे हिना खुद को सिया से कम समझने लगी थी। (Hindi Stories with moral)
सिया के नृत्य में जो आत्मविश्वास और खूबसूरती नजर आती थी, वो हिना के नृत्य में नजर नहीं आती थी। हिना की मां भी उसे बहुत बार कहती थी, “सिया की तरह प्रैक्टिस किया करो और उसकी तरह नृत्य किया करो। उससे कुछ सीखो। वो तुमसे कितनी बेहतर है।”
इस बात से हिना को बेहद ठेस पहुंचती थी। हिना को धीरे-धीरे सिया से जलन होने लगी थी। हिना को लगने लगा था कि उसकी मां भी चाहती है कि हिना सिया की तरह बने। लेकिन वो सिया की तरह कभी भी नहीं बन पाएगी। उसे लगा कि उसका सपना अब कभी भी पूरा नहीं हो पाएगा।
उसका सपना अधूरा ही रह जाएगा और वो कभी भी एक नृत्यकार नहीं बन पाएगी।। हिना को लगने लगा कि वो सिया से पीछे रह जाएगी और कभी भी किसी को ये नहीं दिखा पाएगी कि वो सिया से बेहतर है।
हिना हर हाल में सिया से ऊपर उठना चाहती थी। लेकिन सिया और हिना बेहद पक्की सहेलियां थी। इसलिए हिना सिया को ठेस नहीं पहुंचा पा रही थी। वह नहीं चाहती थी कि वो कुछ ऐसा करे जिससे सिया को तकलीफ हो।
हिना अब काफी परेशान रहने लगी थी वह रोज सोचती रहती थी। हीना का तनाव दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था। वह अपने ख्यालों में इतना खो जाती थी कि उसे आसपास तक का ध्यान नहीं रहता था।
एक दिन हिना अपने कमरे में बैठकर अपने सपने को साकार करने के लिए सोच रही थी। हिना सोच रही थी कि वह कैसे सिया से आगे बढ़ सकती है।
सिया से कैसे ऊपर उठ सकती है और अपने सपने को पूरा कर सकती है। क्या वो कभी अपना सपना पूरा कर भी पाएगी नहीं? कही वो सिया से पीछे न रह जाए। अगर ऐसा हुआ तो लोगों को एक ओर मौका मिल जाएगा, ताकि वो हिना पर हंस सके।
तभी हिना को अचानक से ख्याल आया कि उसे सिया से मिलने उसके घर जाना चाहिए। हिना उसी दिन सिया के घर जाने का तय करती है। हिना खड़ी होती है और तैयार होने लगती है। अब हिना तैयार होकर सिया के घर चली जाती है। (Hindi Stories with moral)
सिया, हिना को अपने घर पर अचानक से देखकर हैरान हो जाती है। परंतु उसे खुशी भी होती है क्योंकि हिना और सिया काफी अच्छे दोस्त थे और काफी समय से दोनो मिले भी नहीं थे।
सिया हिना से पूछता है कि “हिना तुम कब आई और अचानक से यहां आना कैसे तय हुआ?” हिना सिया से कहती है कि “क्यों मैं तुम्हारे घर नहीं आ सकती” यह कहकर हिना हंसने लगती है।
सिया हिना के लिए चाय लेकर आती है वह दोनों एक साथ बैठकर काफी सारी बातें करते हैं। उसके बाद सिया उसे अपने कमरे में ले जाती है और अपना कमरा दिखाने लगती है।
तभी सिया को अचानक से एक काम याद आ जाता है। सिया अपने कमरे से बाहर चली जाती है, वह हिना से कहकर जाती है कि तुम यहां थोड़ी देर रुको मैं अभी आती हूं। मुझे थोड़ा सा काम है।
हिना, सिया के कमरे में अकेली होती है। हिना की नजर सिया के पूरे कमरे में घूम रही थी। वह सिया के कमरे को गौर से देख रही थी। उसे लग रहा था कि, सिया का कमरा बहुत ही अच्छा है। सिया का कमरा सच में देखने में बेहद खूबसूरत था। हिना उठकर सिया के कमरे को अच्छे से देखने लगती है। तभी हिना को सिया के कमरे में उसके मैज पर एक खूबसूरत सी डायरी दिखाई देती है।
यह डायरी गुलाबी रंग की होती है जो देखने में बेहद खूबसूरत थी यह डायरी सिया की पर्सनल डायरी थी। हिना उस डायरी को अपने हाथों में उठा लेती है। हिना सोचती है कि क्या सिया की पर्सनल डायरी को खोलना सही होगा या नहीं? थोड़ी देर सोचने के बाद हिना खुद को उस डायरी को खोलने से रोक नहीं पाती है।
हिना, सिया की डायरी को खोल कर पढ़ने लगती है। हिना हर एक पन्ने को काफी गौर से पढ़ रही थी। उस डायरी में सिया ने हिना और अपनी दोस्ती के बारे में काफी अच्छी बातें लिखी हुई थी, जिसे पढ़ कर हिना को काफी खुशी होती है।
जैसे-जैसे हीना डायरी के पेज पलटती है तो हिना को एक पेज पर सिया द्वारा लिखा हुआ उसका सपना नजर आता है। उस पेज पर लिखा हुआ था कि “मेरा सपना है कि मैं एक बहुत बड़ी नृत्यकार बनू और पूरी दुनिया में मशहूर होऊ।”
यह पढ़ कर हिना को अब थोड़ा सा अजीब महसूस होने लगता है और उसे जलन होने लगती है। हिना सोचती है कि यह तो मेरा भी सपना है लेकिन सिया के होते हुए उसका सपना कभी पूरा नहीं हो सकता। (Hindi Stories with moral)
हिना सोचती है की क्या कभी मैं भी ऐसे सपने लिख पाऊंगी या नहीं। हिना अब डायरी के पेजों को पलटने लगती है। अब हिना को उस डायरी में कुछ खास चीज नजर आने लगती हैं। वे न केवल हिना की पर्सनल बातें थी बल्कि वह सिया का सबसे बड़ा राज था।
अब हिना को सिया के नृत्य के अभ्यास की कुछ विशेष तकनीक का पता लगता है जो कि उस डायरी में लिखी हुई थी। हिना उसे बेहद गौर से पढ़ने लगती है, हिना अब सोच लेती है कि वह भी सिया के इस विशेष तकनीक को जरूर अपनाएगी।
हिना को लगता है कि यही एक सबसे अच्छा रास्ता होगा, अगर मैं इन तकनीकों का उपयोग करूं तो मैं भी एक अच्छी नृत्यकार बन सकती हूं।
हिना, सिया के डायरी में से सिया की नृत्य की विशेष तकनीक को अच्छे से दिमाग में उतार लेती है। उस डायरी को पढ़ने के बाद हिना जल्दी से सिया से बिना मिले ही वापस लौट आई। सिया को हिना के यूं अचानक जाने पर बेहद आश्चर्य होता है परंतु उसे लगता है कि शायद हिना को कोई कार्य याद आ गया होगा।
अब हिना ने सिया की नृत्य की विशेष तकनीक को धीरे-धीरे अभ्यास में उतारना शुरू कर दिया। सिया के उन विशेष तकनीक से हिना को काफी मदद मिली।
अब हिना हर रोज उस विशेष तकनीक से नृत्य का अभ्यास करने लगी। उन तकनीकों की सहायता से अब अब धीरे-धीरे हिना की नृत्य में काफी सुधार आने लगा और कुछ ही महीनो में हिना एक बेहद अच्छी नृत्यकार बन गई।
हिना के नृत्य गुरु को हिना के अचानक बदलाव से काफी हैरानी हुई परंतु उन्हें हिना के इस बदलाव पर काफी गर्व और खुशी भी हुई। उन्हें लगा शायद हीना नृत्य को और भी गंभीर रूप से लेने लगी है और हर रोज के अभ्यास से हिना के नृत्य में काफी सुधार आ चुका है। लेकिन हिना ही यह जानती थी कि उसमें इतना बदलाव कैसे आया है।
हिना ने सिया के नृत्य की विशेष तकनीक को सिया के बिना अनुमति से अपने जीवन में उतार लिया था। हिना ने सिया के नृत्यकार बनने का सपना भी उन विशेष तकनीक के साथ चुरा लिया था। (Hindi Stories with moral)
कुछ दिनों बाद हिना और सिया को यह सूचना मिलती है कि शहर में नृत्य की बहुत बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है।
हिना और सिया का सपना एक नृत्यकार बनने का था तो उन दोनों को लगा कि यह उनके लिए एक विशेष अवसर होगा, जिससे वह पूरी दुनिया को अपने नृत्य की कला का प्रदर्शन कर सके। हिना और सिया ने उसे नृत्य प्रतियोगिता में भाग लिया।
सिया, हिना के लिए बेहद खुश थी की हिना भी उस प्रतियोगिता में भाग ले रही है। परंतु हिना को बेहद जलन हो रही थी वह बस यह चाहती थी कि वह किसी भी तरह सिया को इस प्रतियोगिता में हरा दे और सबको यह साबित कर सके कि वह सिया से काफी बेहतर है।
अब हिना प्रतियोगिता के लिए हर रोज सिया के विशेष तकनीक की सहायता से नृत्य का अभ्यास करने लगी कुछ दिनों बाद जब प्रतियोगिता हुई तो हिना को पता लगा की सिया का नंबर हिना से पहले है।
हिना ने बड़ी चालाकी से सिया को बहला फुसलाकर उसका प्रतियोगिता का नंबर ले लिया था और उसे अपना नंबर दे दिया था। जब प्रतियोगिता शुरू हुई तो हिना का नंबर सिया से पहले आया।
हिना ने बेहद खूबसूरत नृत्य किया परंतु वह नृत्य सिया का था, जिसे हिना ने चुरा लिया था। सिया को हिना के नृत्य को देखकर बेहद आश्चर्य होता है और उसे बेहद दुख भी होता है।
सिया निश्चित करती है कि वह अब नृत्य नहीं करेगी। सिया उस प्रतियोगिता को छोड़कर बिना हिना से बात किए वहां से चली जाती है। प्रतियोगिता खत्म होती है और हिना को प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया जाता है। हिना को उस प्रतियोगिता के बाद बेहद प्रशंसा मिलती है।
हिना बेहद खुश होती है, हिना को लगता है कि उसने सबको यह बता दिया कि वह सिया से बेहतर है परंतु उसकी यह जीत किसी और के चुराए हुए सपने से मिली थी।
हिना को अब वह सब कुछ मिल जाता है जो उसे चाहिए था। परंतु हिना को वह खुशी नहीं मिलती है, हिना को समझ में नहीं आता है कि उसके पास अब सब कुछ है, फिर भी उसे बुरा क्यों लग रहा है। (Hindi Stories with moral)
हिना को बेहद अजीब सा खालीपन महसूस होने लगता है। धीरे-धीरे हीना को समझ में आने लगता है कि उसे सफलता तो हासिल हो गई है परंतु वह उसकी खुद की मेहनत से नहीं हुई है।
हिना को सिया की बेहद याद आने लगती है, हिना काफी समय से सिया से नहीं मिली थी। हिना सोचती है कि सिया ने उस दिन प्रतियोगिता में नृत्य क्यों नहीं किया?
उसे यह सवाल बेहद परेशान कर रहा था, हिना को बेहद बेचैनी हो रही थी। वह रात को सो नहीं पा रही थी। एक दिन हिना ने तय किया कि वह सिया से मिलने जाएगी और उससे बात करेगी। हिना जानती थी कि उसने गलत किया है। हिना अगले दिन सिया के घर चली जाती है।
वहां पर हिना को पहले से सब कुछ बदला हुआ नजर आता है सिया का घर जो पहले रोशनी से भरा रहता था और बेहद खुशनुमा वातावरण था। अब उस घर में एक अजीब सा अंधेरा हिना को नजर आ रहा था।
हिना घर में जाती है, सिया हिना को देखकर बेहद आश्चर्यचकित हो जाती है। वह हिना से कुछ भी नहीं कहती है और सीधा अपने कमरे में चली जाती है। हिना को बेहद शर्मिंदगी महसूस होती है और उसे एहसास होता है कि उसने एक बेहद करीबी दोस्त को खो दिया है।
उसे अचानक से सिया की डायरी में लिखी बातें याद आने लगती हैं, उस डायरी में सिया ने हिना और अपनी दोस्ती को बेहद अनमोल बताया था। हिना को अब यह एहसास होने लगता है कि उसने एक सच्चा दोस्त खो दिया है और एक सच्चे दोस्त को धोखा दिया है।
वह सिया के पास उसके कमरे में जाती है हिना को सिया से बात करने में शर्मिंदगी होती है , हिना ने जो किया था, उसके लिए वह बेहद शर्मिंदा थी और हिना को सिया की हालत देखकर यह भी समझ आ गया था कि उस दिन सिया ने प्रतियोगिता में नृत्य क्यों नहीं किया।
हिना, सिया के कदमों में गिरकर अब फूट-फूट कर रोने लगती है और सिया से माफी मांगती है। वह कहती है कि “मुझे माफ कर दो मुझे तुमसे जलन होने लगी थी। इसलिए मैंने तुम्हारे नृत्यकार बनने का सपना चुरा लिया ताकि मैं अपना सपना पूरा कर सकूं और सभी को यह दिखा सकूं कि मैं तुमसे बेहतर हूं।”
“परंतु इस बदले की भावना में मैं यह भूल गई थी कि इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। मैं हमारी बचपन की दोस्ती को भी भूल चुकी थी मुझे माफ कर दो मैं जानती हूं कि मेरी गलती माफी के लायक नहीं है लेकिन फिर भी मैं तुमसे माफी मांगती हूं। यह जीत मेरी नहीं तुम्हारी जीत है।”
सिया हिना को यूं रोता हुआ देखकर उसे केवल यही कहती है कि “यदि तुम्हें मुझसे बेहतर नृत्यकार बनने के सपना ही चाहिए था तो तुम मुझसे कह भी सकती थी।” (Hindi Stories with moral)
“यूं मुझे धोखा क्यों दिया? एक बार कह कर तो देखी मैं तुम्हें यह सारी तकनीकी खुद से बता देती। मैंने तो तुम्हें कितनी बार नृत्य करने की तकनीक के बारे में बताने का प्रयास किया परंतु तुम कभी भी मेरे साथ नृत्य करने को तैयार ही नहीं हुई और ना ही नृत्य के बारे में बात की।”
हिना को बेहद शर्मिंदगी महसूस होती है। वह सिया से कहती है कि “मैं जलन में अंधी हो गई थी। मुझे माफ कर दो मैं सभी को यह बता दूंगी कि मैं यह जीत किसी के चुराए हुए सपने से ली है और मैं अपना नृत्यकार बनने का सपना खुद से पूरा करूंगी।
मैं अपनी एक नई पहचान बनाऊंगी और तुम्हारी पहचान तुम्हें वापस लौटाऊंगी। यह मेरा वादा है लेकिन मैं यह सब अकेले नहीं कर सकती मुझे मेरी दोस्त चाहिए मुझे माफ कर दो।”
सिया हिना की बातें सुनकर बेहद दुखी होती है और रोने लगती है परंतु सिया हिना को अपना सबसे खास दोस्त मानती थी इसलिए वह उसे माफ कर देती है वे दोनों एक दूसरे के गले रखकर रोने लगते हैं। अब हिना को यह समझ में आ गया था कि उसे आगे क्या करना है।
हिना एक दिन मीडिया वालों को बुलाती है और उनके सामने पूरी दुनिया को यह बताती है कि उसने नृत्य की प्रतियोगिता में जो जीत हासिल की थी वह उसकी नहीं थी। उसने अपनी दोस्त सिया की नृत्य की विशेष तकनीक को चुराया था और उन्हें तकनीक की मदद से उसने वह जीत हासिल की थी। असल में वह जीत हिना की नहीं सिया की थी।
हिना सभी से माफी मांगती है। अब सभी सिया की प्रशंसा करने लगते हैं और हिना को बुरा मानते हैं। परंतु सिया ने कभी भी हिना का साथ नहीं छोड़ा। हिना दिन-रात नृत्य का अभ्यास करने लगी और हिना ने नृत्य की अपनी एक नई शैली बनाई और अपनी एक नई पहचान भी बनाई। (Hindi Stories with moral)
हिना और सिया ने एक बार फिर से एक नृत्य की प्रतियोगिता में भाग लिया और उसे प्रतियोगिता में हिना और सिया ने अपनी अलग-अलग नृत्य की विशेष तकनीक का प्रदर्शन किया और दोनों को अपनी एक नई पहचान मिली।
इस जीत से हिना को बेहद खुशी हुई और एक सुकून भी मिला जो उसे पहले की जीत में नहीं मिला था। हिना को अब यह समझ में आ गया था कि असली जीत नकल में नहीं होती। हमारी मेहनत से हमें जो मिलता है वही हमारे असली जीत होती है।
मेहनत: जीत की राह कहानी (Hindi Stories with moral) से शिक्षा
मेहनत: जीत की राह कहानी (hindi stories with moral) से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची खुशी और सफलता तभी मिलती है, जब हम अपनी खुद की राह चुनते हैं और दूसरों के सपने का या उनकी मेहनत का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
हमें कभी भी नकल करके या चोरी करके आगे नहीं बढ़ना चाहिए। हमें अपनी मेहनत करनी चाहिए क्योंकि सच्ची खुशी तभी प्राप्त होती है जब हम खुद की मेहनत से सफलता हासिल करे।
किसी और के चुराए हुए सपने से या उनकी मेहनत से मिली हुई सफलता हमारी सच्ची सफलता नहीं होती है इसलिए कभी भी नकल नहीं करना चाहिए और जितनी हो सके उतना मेहनत करना चाहिए। हमारी मेहनत से हमें जो मिलता है, वही हमारी सफलता होती है।
दुनिया के लिए हम जीते या हारे यह महत्वपूर्ण नहीं होता है। हमारी मेहनत से मिले नंबर या जो भी परिणाम मिले, वही हमारी सफलता और हमारा सच्चा परिणाम होता है। अपनी मेहनत से मिली सफलता को स्वीकार करें और आगे बढ़े, मेहनत करते रहे।
निष्कर्ष
आज के इस लेख Top 10 Hindi Stories with Moral: हिंदी नैतिक कहानियां में आपने 10 Hindi Moral Stories पढ़ी। आशा है कि आपको ये हिंदी नैतिक कहानियां अच्छी लगी होगी। हिंदी प्रेरक कहानियां बच्चों के व्यवहार पर बहुत गहरा असर डालती है। इन हिंदी प्रेरक कहानियों पर अपने विचार हमें जरूर बताए।