नमस्कार! हमेशा की तरह आज की Daravani Kahani में भी एक अच्छी शिक्षा छुपी हुई है। इस Daravani Kahani का नाम है- “Daravani Kahani: मौत का कुआं”। इस Daravani Bhoot ki Kahani में आपको horror Story in Hindi और Moral Story in Hindi का मिश्रण मिलेगा। यदि आप एक बार इस Daravani Kahani को पढ़ना शुरू करेंगे तो यकीन मानिये, खुद को पूरा पढ़ने से नहीं रोक पाएंगे।
आज इस मौत का कुंआ नाम की Daravani Kahani में कनिका नाम की महिला की कहानी है, जो अपने परिवार की मौत का बदला लेती है। वो रवि के दोस्त सूरज की भी हत्या कर देती है। रवि ही इस Daravani Kahani का मुख्य पात्र है। इस मौत का कुंआ Daravani Kahani को पढ़िए और जानिए कि आखिर क्या है ये Chudail ki Kahani
Daravani Kahani: मौत का कुंआ
रामपुर नाम का एक छोटा सा गांव था। जहां दो जातियों के लोग रहते थे- उच्च जाति के लोग, जो अपने आप को श्रेष्ठ मानते थे और निम्न जाति के लोग, जो हमेशा भेदभाव का शिकार होते थे। गांव का सरपंच उच्च जाति का था इसलिए वह उच्च जाति के लोगों को अधिक महत्व देता था। निम्न जाति के लोगों को वह हीन और तुच्छ मानता था। सरपंच की भेदभावपूर्ण नीतियों के चलते दोनों जातियों के बीच टकराव हमेशा बना रहता था।
गांव के बीचो-बीच दो कुंए थे- एक उच्च जाति के लिए, जो हमेशा साफ रहता था क्योंकि सरपंच उस कुंए को अच्छे से साफ करवाता था। दूसरा निम्न जाति के लिए, जिसकी हालत काफी खराब थी। निम्न जाति के लोगों ने काफी बार सरपंच को कुंए की सफाई करवाने के लिए कहा पर सरपंच ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया।
उस कुंए का पानी खराब हो गया था। इसके चलते निम्न जाति के लोगों को कुंआ बंद करना पड़ा। वे पानी के लिए तरस रहे थे। एक दिन उच्च जाति वालों के कुंए में एक औरत की लाश तैर रही थी। गांव वालों ने उसे निकाल लिया और सरपंच ने उस कुंए की सफाई करवा दी थी। अब उस घटना के बाद उस कुंए के पास जो भी जाता था, उसकी मौत हो जाती थी।
उस कुंए के पास अनेक लाशें मिली। तो गांव वाले मानने लगे कि कुएं में कोई चुड़ैल का साया रहता है। सभी गांव वाले उस कुएं के पास जाने से डरते थे। उच्च जाति के लोगों ने नया कुंआ खोदने की बहुत बार कोशिश की। पर हर बार कुंआ सूख जाता था। सरपंच निम्न जाति वालों को नया कुंआ खोदने की अनुमति नहीं देता था।
रामपुर गांव के लोग पानी के लिए तरस रहे थे। उनकी फसलें भी खराब हो रही थी। इस सबके लिए गांव वाले उस चुड़ैल को जिम्मेदार ठहरा रहे थे। उस शापित कुंए की वजह से इतने लोग लापता हो गए थे कि गांव वालों ने उस कुएं का नाम ही मौत का कुआं रख दिया। Daravani kahani को पढ़ना जारी रखे।
उस गांव में सूरज नाम का एक लड़का रहता था। सूरज का दोस्त रवि एक पत्रकार था जो शहर में रहता था। सूरज ने रवि को उनके गांव के मौत के कुंए के बारे में बताया। रवि भूत-प्रेत पर विश्वास नहीं करता था। उसे उस कुंए की यह कहानी एक अफवाह लगी। वह इसे गांव वालों का अंधविश्वास मान रहा था। पर रवि को यह कहानी काफी रोचक लगी।
रवि सूरज को उसे उस कुंए के पास ले जाने की विनती करता है और लाइव टेलीकास्ट करने के लिए कहता है। लेकिन सूरज उस कुंए के पास जाने के लिए तैयार नहीं था। रवि उसे बहुत सारे पैसे देने का वादा करता है तो सूरज मान जाता है। एक रात सूरज रवि से वीडियो कॉल पर बात कर रहा था तो रवि उसे वह कुंआ दिखाने के लिए कहता है।
सूरज उस कुंए के पास नहीं जाना चाहता था। रवि सूरज को हिम्मत देता है तो वह मन जाता है। सूरज वह मौत का कुआं दिखाने के लिए कुएं के पास जाकर देखता है तो रात में उस कुंए का दृश्य और भी भयानक लग रहा था। मात्र उसके पास जाने से ही रोंगटे खड़े हो रहे थे। सूरज के पांव रुक गए। लेकिन रवि ने सूरज को पैसों का लालच दिया तो वो मान गया।
सूरज ने पास से कुंए को दिखाया तो रवि उसे अंदर से दिखाने के लिए कहता है। जब सूरज कैमरा कुंए के अंदर की तरफ करता है तो ….कुछ दिखाई देने से पहले ही रवि को सूरज की चीख सुनाई देती है।
रवि ने सूरज को बहुत बार फोन किया लेकिन उसने कोई उत्तर नहीं दिया। रवि सोचता है वो तो हमेशा ही डर से अधमरा हो जाता है। तो शायद वो इसी कारण फोन नहीं उठा रहा होगा ताकि मैं उसे कुंए के पास जाने के लिए मजबूर न करूं। रवि को किसी भी दुर्घटना की आशंका नहीं थी क्योंकि वह इस कुंए को सिर्फ एक अंधविश्वास के अलावा कुछ नही मान रहा था।
अगले दिन रवि को खबर मिलती है कि सूरज लापता है तो अब रवि को सचमुच में चिंता होने लगती है। रवि रामपुर गांव में आता है। रवि भी गांव के लोगो के साथ मिलकर सूरज को ढूंढता है लेकिन उन्हें कहीं भी सूरज का पता नहीं लगता। सूरज का कहीं भी पता नहीं लगने पर गांव वाले कहने लगते है शायद सूरज भी उस मौत के कुंए का शिकार हो गया है। वहां के लोगों से जब उसने कुंए के बारे में बातें सुनी तो उसे सच में लगा कि वहां कुछ तो है।
रवि अपने दोस्त को हर हाल में ढूंढना चाहता था। इसलिए वह उस कुएं का रहस्य पता करने के लिए रात में उसे कुंए के पास जाने की योजना बनाता है। हालांकि उसने गांव वालों से सुन रखा था कि वह कुंआ बहुत खतरनाक और डरावना है। जो भी वहां जाता है, कभी वापस लौटकर नहीं आता। कुंए में एक चुड़ैल रहती है जो लोगों को मार डालती है और लाशों को गायब कर देती है। वह कुंआ मौत का कुआं है।
रवि ने आखिरकार अपने दोस्त की खातिर यह फैसला कर ही लिया था कि वह अब उस कुंए के पास जायेगा और मौत के कुंए का रहस्य पता करेगा। अब वह अपने दोस्त की रहस्यमयी तरीके से लापता होने का कारण पता करके ही रहेगा।
रात में रवि उस कुंए के पास पहुंचता है। मौत का कुंआ बहुत डरावना था, जितना उसने गांव वालो से सुना था उससे भी ज्यादा। उसके आस-पास झाड़ियां और कांटे थे। कुंए के पीछे एक घना जंगल था। यह सब वैसा ही था जैसा किसी Daravani Kahani में होता है। रात का सन्नाटा था, चारो तरफ अंधेरा था और दूर कहीं कुतों के रोने की आवाज आ रही थी।
उस कुंए का दृश्य इतना भयानक था कि रवि के पैर आगे बढ़ने से मना कर रहे थे। लेकिन वह अपना दिल को बांधकर कदम आगे बढ़ाता रहा। वह उस कुएं के पास जाकर खड़ा हो जाता है और जोर से आवाज लगाता है, “बाहर आओ। मैं तुमसे मिलने आया हूँ, तुम जो भी हो बाहर आओ।”
रात के सन्नाटे में सिर्फ रवि की आवाज ही सुनाई दे रही थी। जैसे ही रवि ने चुड़ैल को बुलाया, कुंए से अजीब-अजीब आवाजें आने लगी। रवि ने कुंए में झांक कर देखा तो वहाँ सिर्फ अन्धेरा दिखाई दे रहा था। पर रवि को कुछ बहुत तेजी से अपनी तरफ ऊपर आता हुआ दिखा तो वो डर कर पीछे हटा और लड़खड़ा कर नीचे गिर गया। कुएं पर एक चुडैल दिखाई दे रही थी। चुड़ैल भयानक आवाज में कहती है, “तुम यहाँ क्यों आए हो?”
रवि बहुत डरा हुआ था, लेकिन फिर भी वो हिम्मत करके खड़ा होता है और उस चुडैल से कहता है, “यहाँ मेरा दोस्त आया था, मैं उसे ढूंढने आया हूं। तुम कौन हो? और मेरे दोस्त के साथ तुमने क्या किया?” चुड़ैल शैतानी हंसी के साथ कहती है “क्या तुम नहीं जानते कि मैं मौत का दूसरा नाम हूं। तुम ऊंची जाति लोगो के इस कुंए को मैंने मौत का कुंआ बना दिया है।” आशा है कि आपको ये daravani kahani अच्छी लग रही है।
अब रवि को कुछ-कुछ आभास हुआ। उसकी आवाज से रवि को लगा कि वो कोई बदला ले रही है। उसने पूछा कि “ऊंची जाति के लोगो के कुंए से तुम्हारा क्या मतलब है? मुझे पूरी बात बताओ कि तुम्हारे साथ क्या हुआ था। मैं तुम्हारी मुक्ति के लिए सब कुछ करूंगा।” चुड़ैल उससे कहती है कि “मै कनिका हूं। मैं भी इसी गाँव में रहती थी। मैं निम्न जाति से थी। उच्च जाति और निम्न जाति के भेदभाव में मैंने अपना पूरा परिवार खो दिया। सरपंच द्वारा हमारे कुंए की सफाई ना करवाने की वजह से हमें गंदा पानी पीना पड़ा। मेरे बच्चे अनेक बीमारियों के शिकार हो गए…मैंने उनको खो दिया।”
चुड़ैल की आवाज अब रुआंसी हो गई। वो कहती है “पानी की कमी से हमारी फसल खराब हो गई और मेरे पति ने आत्महत्या कर ली। मैं अब अकेली जी कर क्या करती। तब मैंने खुद को उच्च जाति के लोग बताने वाले से बदला लेने के लिए उनके कुंए में कुदकर आत्महत्या कर ली। मुझे मुक्ति नहीं मिली क्योंकि मेरे अंदर बदले की आग है और अब मैं उन सबसे बदला ले रही हूं। जिस कुंए को लोग उच्च जाति का कुंआ कहते थे, मैने उसे मौत का कुंआ बना दिया है।”
रवि को कनिका की बातें सुनकर बेहद दुख हुआ। उसने कहा “मैं समझ सकता हूं कि तुम पर क्या बीती है। पर जो तुम कर रही हो वो भी सही नहीं है। इससे तुम्हे मुक्ति नही मिल पाएगी। तुम केवल उच्च जाति के लोगो से बदला नहीं ले रही हो, बल्की निम्न जाति के लोगो को भी पानी के लिए तरसा रही हो। ना जाने कितने बेगुनाहों को तुम तकलीफ दे रही हो? ना जाने और कितने बेगुनाह परिवार ठीक तुम्हारी तरह आत्महत्या कर रहे है? इसमें उनकी क्या गलती है। सबको माफ करके बदले की भावना त्याग दो।”
कनिका को रवि की बातें सुनकर ये समझ आ जाता है कि वो बदले की भावना में जो भी कर रही है, वो सही नहीं है। वह थोड़ी देर के लिए चुप हो जाती है। अब कनिका चुप्पी तोड़ती है “मुझे माफ कर दो, पता नहीं मैंने कितने बेगुनाहों को अपनी बदले की आग में भस्म कर दिया। मैंने उन सबको मार डाला।”
यह सुनकर रवि का कलेजा मूंह को आ जाता है। वह बेहद दुखी होता है। वो पूछता है “क्या तुमने सूरज को मार दिया?” तो वो कहती है “मैने यह बदले की आग में किया है। मुझे माफ कर दो।” रवि बहुत दुखी हुआ पर वह कनिका को मुक्ति दिलाने का वादा करता है “मैं तुमसे वादा करता हूं कि मैं गाँव वालों को समझाऊंगा और आज के बाद इस गाँव में कभी भी कोई भेदभाव नहीं होगा, पर तुम्हें अब यहाँ से जाना होगा! तुम्हारी मुक्ति का समय आ गया है।”
कनिका रवि की बाते सुनकर शांत हो जाती है। उसे रवि पर विश्वास होता है। वह इशारा करती है तो रवि समझ जाता है और वह उस कुंए में आग लगा देता है। आग की लपटों के साथ धीरे-धीरे कनिका की आकृति धुंधली हो जाती है। वह पूरी तरह गायब हो जाती है।
रवि सुबह गाँव वालो को इकट्ठा करता है और कनिका की Daravani Kahani सुनाता है। वो कहता है कि “सबने अपने अज्ञान के कारण अपनों से बिछड़ने का दर्द झेला है। आप लोगो को समानता का महत्व समझना होगा, अन्यथा इससे बुरे परिणाम भुगतने होंगे। भले ही कोई किसी भी जाति, धर्म या लिंग का हो, कुछ मनुष्य होने के नाते प्रकृति ने सबको बराबर मानवाधिकार दिए है। जो भी इन मानवाधिकारों का हनन करेगा, उन्हें भी क्षति भुगतनी होगी।” गाँव वाले रवि की बातें समझ जाते है। गांव का सरपंच और उच्च जाति के सभी लोग निम्न जाति के कहे जाने वाले लोगो से माफी मांगते है। वे अपने किए पर बेहद शर्मिंदा होते है।
पर फिर भी सबके मन में खौफ था तो रवि उन्हें बताता है कि अब डरने की आवश्यकता नहीं है। कनिका की आत्मा को शांति मिल गई है। सब गांव वाले कनिका से माफी मांगते है और उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते है। उन्होंने गांव-गांव इस मौत का कुंआ जैसी daravani kahani का प्रचार किया ताकि समाज को एक नया संदेश मिले।
अब रामपुर में सभी लोग एकसाथ रहने लगे। निम्न जाति व उच्च जाति का भेदभाव पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है। सभी लोगों के दिल में एक-दूसरे के लिए सहानुभूति थी। गाँव के लोग एक नया कुंआ खोदते है, जिसकी नींव उच्च जाति और निम्न जाति के कहे जाने वाले लोग एक साथ मिलकर रखते है। रामपुर मैं अब एक ही कुंआ था, जिसको दोनो जातियों के लोग इस्तेमाल करते थे। गांव मौत का कुंआ हमेशा के लिए बन्द कर देते है और उस जगह कनिका की याद में एक स्मारक बनवाते है।
Daravani Kahani के माध्यम से मेरा संदेश
इस Daravani kahani से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें जाति, लिंग, संप्रदाय, नस्ल आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। जब भगवान और प्रकृति ने मनुष्यों को बनाने में जाति-धर्म का भेदभाव नहीं किया तो क्या हम तुच्छ मनुष्य इस योग्य है की किसी ओर मनुष्य को अपने से कम आंके? यह विचार करने योग्य बात है। लेकिन हम में से अधिकांश की प्रोग्रामिंग ही ऐसी हुई है कि वो बस घिसी पीटी बातों पर बेवजह चल रहे है। कारण उन्हें भी नही पता, लेकिन वो बस सुनी-सुनाई बातों को ही ग्रंथो में लिखी हुई मान लेते है।
मनुष्य रूप में जन्म लेने के नाते कुछ अधिकार हमें प्रकृति ने विरासत में दिए हैं, जिनमें शामिल है समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, न्याय का अधिकार, विचारों की स्वतंत्रता आदि। इन अधिकारों की भी एक सीमा है कि आपके अधिकारों की वजह से किसी और के अधिकार का हनन ना हो। यदि आप खुद के और दूसरों के अधिकारों का सम्मान नहीं करते हैं तो आपका मनुष्य होना व्यर्थ है।
महत्वपूर्ण नोट
हम किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय का समर्थन नहीं करते है। Daravani Kahani – मौत का कुंआ केवल सामाजिक भेदभाव व्यवस्था को दर्शाने के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी भी जाति या धर्म को निशाना बनाना नहीं है। Daravani Kahani – मौत का कुंआ का लक्ष्य केवल समाज को एक सकारात्मक संदेश देना है। इस Daravani Kahani में उच्च जाति और निम्न जाति शब्दो का संदर्भ केवल सामाजिक वयवस्थाएं है। हम केवल “वासुदेव कुटुम्बकम” के समर्थक है।
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