Daravani Kahani: आधी रात की चुड़ैल

आज हम आपके लिए एक Daravani Kahani लेकर आए है। इस कहानी में सोहमगढ़ नाम के गांव पर एक भयानक चुड़ैल का साया होता है। यह कहानी बहुत ही Daravani Kahani है। यदि आप इस Daravani Kahani को एक बार पढ़ना चालू करेंगे तो आप इसे पूरी पढ़े बिना नहीं छोड़ सकेंगे।

इस Daravani Kahani में एक चुड़ैल है जो गांव के बच्चों को उठा ले जाती हैं। एक दिन वो चुड़ैल रीमा और संजय के बेटे राघव को भी अपने साथ ले गई। तो इस Daravani kahani में पूरा पढ़िए कि क्या रीमा और संजय को अपना बेटा राघव वापस मिला या नहीं।

Daravani Kahani: आधी रात की चुड़ैल

सोहमगढ़ नाम का एक छोटा सा गांव था। जो अपनी सुन्दरता और हरियाली के लिए जाना जाता था। हर तरफ फैले खेत और हरियाली से  लहराते पेड़ पौधे और खुशहाल शान्त वातावरण आखों और मन को लुभाने वाला था। उस गांव की शोभा देखने लायक थी। वहां हर रोज़ दिन के समय चारों ओर लोगों की चहल-पहल रहती थी। बच्चे गांव की गलियों मे भागते-खेलते और खिलखिलाते हुए नजर आते थे। बड़े-बुजुर्ग अपने-अपने काम मे लगे रहते थे।

उस गांव की शांति मे भी एक जिंदादिली थी, जैसे उस गांव की हवा मे अनकही खुशी का संगीत घुला हुआ हो। पर उस गांव मे जितनी चहल-पहल, शोर-शराबा और खुशहाली दिन के सवेरे मे रहती थी। उतनी ही खामोशी और खौफ रात के अंधेरे मे नज़र आता था।

सोहमगढ़ गांव पर एक चुड़ैल का भयानक साया था। रोज आधी रात को उस चुड़ैल का खौफ चारों तरफ छा जाता था। वहां के लोगो का मानना था कि आधी रात को चुड़ैल गांव की गलियों में निकलती थी, अपने अगले शिकार की तलाश मे।

डर के मारे सभी गांव वाले शाम होते ही जल्दी अपने काम से घर वापस आ जाते थे और घड़ी में 8 बजने से पहले ही अपने अपने घरों के दरवाजे बंद कर देते थे। इस गांव में 8 बजे के बाद कोई भी अपने घरों से बाहर निकलने की हिम्मत नही करता था। ये एक लिखा हुआ नियम बन गया था कि चुड़ैल के आने से पहले ही लोग अपने अपने  घरों में छुप जाए।

आधी रात होते ही चुड़ैल हर घर के दरवाजे पर दस्तक देती, और रात के उस मनहूस अंधेरे और सन्नाटे में सिर्फ एक आवाज आती, “अपने बच्चे को बाहर भेजो।” सभी मां-बाप अपने-अपने बच्चो को डर के मारे संभाल कर अपनी गोद में छुपा लेते थे। लेकिन अगर कोई भी बच्चा उस आवाज की जादू में आकर घर से बाहर आ जाता था, तो वो चुड़ैल उसे अपने साथ उठा कर ले जाती। उस दिन के बाद वो कभी भी वापस लौट कर नही आता।

अब गांव वालो को ये समझ आ गया था कि उस चुड़ैल का इरादा क्या था। वो चुड़ैल सिर्फ बच्चो को अपना शिकार बनती थी। इसलिए गांव के सरपंच ने ये नियम बना दिया कि गांव का कोई भी बच्चा 7 बजे के बाद घर से बाहर नही निकलेगा..और के सरपंच ने सभी मां बाप को ये कहा कि वो अपने बच्चो को चुड़ैल से छुपा कर रखे और उन्हें 7 बजे से पहले ही अपने घर पर वापस ले जाए। सभी गांव वालो ने सरपंच की बात मानी।

एक दिन सोहमगढ में एक नया परिवार रहने के लिए आया, जो गांव के इस श्राप से अनजान था। उन्हें गांव के नियम और चुड़ैल के बारे मे कुछ भी पता नही था। उस परिवार में तीन सदस्य थे- संजय, रीमा और उनका एक बेटा राघव, जो सिर्फ 6 साल का था। राघव काफी जिज्ञासु बच्चा था। वो हर एक बात पर बहुत सारे सवाल पूछता था। हर बच्चे से अलग, उस बच्चे के मासूम सवालों में छिपी एक बेचैन खोज होती थी।

जब संजय ओर रीमा अपने घर की साफ सफाई कर रहे होते है, तभी गांव के कुछ लोग आकर उन्हें गांव के अजीब नियम बताते है। उनमें से एक बुजुर्ग व्यक्ति गंभीर स्वर में कहता है कि “हमारे गांव में सभी बच्चो को 7 बजे तक ही खेलने और बाहर घूमने की अनुमति है। इसके बाद कोई भी बच्चा घर के बाहर नही निकल सकता। सभी अपने घरों के दरवाजे 8 बजे बंद कर लेते है। बच्चा हो या बूढ़ा सभी घर में ही रहते है। किसी को भी बाहर जाने की अनुमति नही है। ये नियम सरपंच साहेब ने बनाए है। लोगो की सलामती के लिए।”

संजय ओर रीमा को कुछ भी समझ नही आता है कि गांव वाले आखिर ऐसा क्यों कह रहे है। तो संजय पूछता है “ऐसे नियम क्यों बनाए है? कोई भी रात को बाहर क्यों नही निकल सकता है?”

गांव वाले उन्हें बताते है कि “क्योंकि रोज आधी रात को वो गांव में आती है, सबके घरों पर दस्तक देती है और सिर्फ बच्चो को अपना शिकार बनाती है। वो एक चुड़ैल है। वो जिस भी बच्चे को आज तक अपने साथ लेकर गई वो बच्चा कभी लौट कर वापस नही आया।”

संजय और रीमा गांव वालों की बातो को अफवाह या अंधविश्वास मानकर अनदेखा कर देते है। राघव ये सब सुनता है और उसे चुड़ैल को देखने की प्रबल इच्छा होती है। संजय और रीमा हर रोज देर रात तक गांव में घूमने लगे। उन्होंने गांव के नियमों की बिल्कुल भी परवाह नहीं की। वो नही जानते थे कि वो भी किसी Daravani Kahani का हिस्सा बनने वाले हैं।

एक रात जब संजय, रीमा ओर राघव सो रहे थे..तभी आधी रात को वो चुड़ैल उनके दरवाजे पर दस्तक देती हैं। रीमा दरवाजा खटखटाने की आवाज से उठ जाती है..वो घड़ी में समय देखती है रात के 1 बजे हुए थे। रीमा सोचती है इतनी रात को कौन आया होगा। वो संजय को उठाती है और उसे दरवाजे पर कौन है ,ये देखने के लिए कहती है। उन्हें एक बार फिर जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है।

संजय उठता है और अंदर से ही पूछता है “कौन है? कौन है बाहर?” बाहर से आवाज आती है “राघव को भेजो!” यह आवाज बहुत ही भयानक होती है.. संजय और रीमा डर जाते है, उनके रोंगटे खड़े हो जाते है। उन्हें गांव वालो की कही हुई बातें याद आती है। फिर भी उन्हें लगता है कि कोई उन्हें डराने के लिए मजाक कर रहा है। संजय दरवाजा खोलकर बाहर देखने जाता है। रीमा भी संजय के पीछे-पीछे जाती है। संजय बाहर आकर जोर से कहता है “कौन है? बाहर आओ, जो भी ये घटिया मजाक कर रहा है। एक बार मिल जाओ, फिर बताता हूं तुम्हे।”

राघव घर में अब अकेला होता है, राघव भी घर के अंदर से यह सब देख रहा होता है। उसे गांव वालों से सुनी हुई बातें याद आती है। तभी राघव खिड़की से देखता है तो उसे एक काला साया नजर आता है जो उनके घर के पास वाले जंगल की तरफ जा रहा होता है.. जैसे ही राघव उसे देखा है उसके मन में देखने की प्रबल जिज्ञासा उत्पन्न होती है। राघव खिड़की से कुदकर उस साये के पीछे चला जाता है।

थोड़ी दूर जंगल में जाने के बाद वो काला साया रुक जाता है तो राघव भी रुक जाता है.. वो साया राघव के सामने खड़ा था। तभी वह चुड़ैल राघव को आवाज देती है “आओ, आ जाओ! यहां मेरे पास आओ राघव” राघव उस चुड़ैल की आवाज से सम्मोहित हो जाता है और फिर से उसके पीछे चलने लगता है.. इस तरह वो चुड़ैल राघव को जंगल के बीच ले जाती है। अक्सर जैसा Daravani Kahani में होता है, उसी तरह।

इधर संजय और रीमा घर पर वापस आती है और दरवाजा बंद करके अपने कमरे में जाते हैं। वो देखते हैं कि राघव अपनी जगह पर नहीं है। रीमा और संजय राघव को पूरे घर में ढूंढने लगते हैं। पर उन्हें राघव कहीं नहीं मिलता है.. अब रीमा घबरा जाती है और जोर-जोर से रोने लगती है.. संजय घर के बाहर भी राघव को ढूंढता है और जोर-जोर से आवाज लगता है.. पर उसे राघव नहीं मिलता है।

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संजय की आवाज सुनकर सभी गांव वाले बाहर आ जाते हैं। गांव वाले संजय से पूछते हैं क्या हुआ तो संजय उन्हें बताता है कि उसे राघव कहीं नहीं मिल रहा। संजय गांव वालों को पूरी बात बताता है। गांव वाले आशंका जताते है कि शायद वह चुड़ैल राघव को अपने साथ ले गई। वह चुड़ैल राघव को लेकर जंगल की तरफ ही गई होगी हमें राघव को जंगल में ढूंढना चाहिए। तो संजय बाकी गांव वालों के साथ लालटेन लेकर जंगल में राघव को ढूंढने जाता है। आप Daravani Kahani पढ़ रहे हो।

वह जंगल बहुत ही खतरनाक और भयानक होता है। वे राघव को पूरे जंगल में ढूंढते हैं लेकिन उन्हें राघव की कोई भी खोज-खबर नहीं मिलती। पूरी रात जंगल में ढूंढने के बाद सभी गांव आ जाते हैं। 

राघव के गायब होने के बाद गांव में खूब का माहौल था। सब लोग और भी ज्यादा डर गए थे। सारे गांव वालों ने मान लिया था कि राघव अब कभी लौटकर वापस नहीं आएगा। रीमा और संजय बार-बार रो रहे थे। गांव वाली संजय और रीमा को शांत बना देते हुए कहते हैं “अब आपको राघव को भूलना होगा। वो कभी लौटकर वापस नहीं आएगा। आप दोनो को संभलना ही होगा” उन्हें शांत होना देकर कुछ गांव वाले एक-एक करके जाने लगे।

संजय और रीमा का वह दिन बहुत मुश्किल और जैसे तैसे बीता। गांव के लोगों के जाने के बाद संजय और रीमा के घर में एक बारी सन्नाटा छा गया था। यह सन्नाटा उन्हें राघव के खो जाने का एहसास दिला रहा था। रीमा बार-बार रोने लगती और संजय खुद के मन को आश्वासन देता कि वह राघव को जरूर लेकर आएगा। संजय को बस रात होने का इंतजार था।

सोहमगढ़ पर रात का अंधेरा छाया हुआ था। हमेशा की तुलना में यह अंधेरा अधिक गहरा था। सोहमगढ़ के चारों ओर ठंडी हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी। आसमान में चांद हल्का सा झलक रहा था, मगर बादल उसकी रोशनी को निगल रहे थे। गलियां सुनसान थी और दरवाजे मजबूती से बंद कर दिए गए थे। खिड़कियों के पर्दे नीचे खींच दिए गए थे। यह वो रात थी जब कोई भी घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर पाता था। ऐसा लगता था जिसे सोहमगढ़ की हर चीज सांस रोककर खामोश हो गई हो। पूरा दृश्य Daravani Kahani जैसा था।

सभी गांव वालों के दिलों में डर बैठा हुआ था। पर इस रात की खामोशी में संजय के मन में तूफान उमड़ रहा था, राघव की यादें संजय के दिल को छलनी कर रही थी। गांव वालों की बातें उसके कानों में गूंज रही थी -“राघव अब लौटकर कभी वापस नहीं आएगा”

लेकिन संजय इस बात को मानने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था और उसने रीमा से कहा “तुम चिंता मत करो। कुछ भी हो जाए, आज मैं राघव को वापस लेकर ही आऊंगा।” रीमा ने अपनी नम आंखों से संजय की ओर देखा लेकिन उसकी कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं हुई।

संजय ने आधी रात होने का इंतजार किया। वह जानता था कि वह चुड़ैल इसी समय अपने शिकार की तलाश में निकलती है। रात के 12 बजते ही संजय अपने घर से बाहर निकल गया। चारों ओर अंधेरा था। पूरे गांव में खामोशी थी और दूर कहीं कुत्तों के रोने की आवाज आ रही थी। ठंडी हवा के झोंके संजय को बेचैन कर रहे थी, पर उसके दिल में सिर्फ राघव को फिर से पाने का जुनून था।

संजय गांव से बाहर निकल गया और जंगल की ओर बढ़ने लगा। जैसे-जैसे वो जंगल के अंदर जा रहा था, जंगल और भी भयानक और डरावना लग रहा था। हर कदम पर संजय को लग रहा था कि कोई अदृश्य शक्ति उसे रोकने की कोशिश कर रही है। पर वो नहीं रुका, वह अपने बेटे की खातिर उस चुड़ैल से सामना करने के लिए भी तैयार था। संजय आगे बढ़ता जा रहा था।

संजय अब जंगल के बीचो-बीच आ गया था। जंगल भीतर से और भी मनहूस लग रहा था। संजय ने जोर से चिल्लाकर चुड़ैल को आवाज़ लगाई “कहां हो तुम? बाहर आओ” संजय द्वारा चुड़ैल को बुलाते ही जोर-जोर से हवा चलने लगी.. सभी पेड़ पौधे हिलने लगे। तभी एक भयानक आवाज आई “तुम यहां क्यों आए हो?” संजय ने जवाब दिया “मैं यहां राघव को लेने आया हूं। हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? मैं तुम्हारी आगे हाथ-पैर जोड़ता हूं मुझे मेरे राघव को लौटा दो।” 

चुड़ैल ने शैतानी हंसी के साथ कहा “खाओ अब मेरा है। जैसे तुम सब गांव वालों ने मेरे बच्चे को मुझसे छीन लिया था, इस तरह मैंने तुम लोगों के बच्चों को छीन लिया है।” संजय चुड़ैल की बात सुनकर हैरान हो गया और उसने पूछा “तुम्हारा बच्चा? हम इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते।” चुड़ैल की आंखों में दर्द उभर आया।

उसने दर्द भरी आवाज में कहा “सालों पहले मेरा बच्चा भी इसी जंगल में खो गया था। वह मासूम था और खेलते-खेलते यहां चला आया। यह जंगल बहुत ही खतरनाक था और यहां बहुत जंगली जानवर रहते थे। मैंने उस दिन सभी गांव वालों के घर पर गुहार लगाई थी। मैने उन सभी के सामने हाथ पैर जोड़कर विनती की थी। मेरे साथ जंगल में चलो और मेरे बच्चे को ढूंढने में मेरी मदद करो। पर किसी ने भी मेरी मदद नहीं करी।”

“अगर उस दिन गांव वाले मेरी मदद करते तो मेरा बच्चा आज जिंदा होता। मेरी मदद किसी ने भी नहीं की तो मैं तांत्रिकों के पास गई। मैंने उनसे कई कई काली विद्याएं सीखी, अपने बच्चे को पाने के लिए। मेरा एकमात्र सहारा मेरा बच्चा था। उसकी कोई खोज खबर नहीं मिलने की वजह से मैंने खुद को खत्म कर दिया। पर मेरी आत्मा को शांति नहीं मिली। आज मैं वही कर रही हूं जो उन लोगों ने मेरे साथ किया। मैं उनके बच्चों को उनसे छीन रही हूं।”

संजय की आंखों में आंसू आ गए और उसे लगा कि चुड़ैल का गुस्सा गलत नहीं है। उसने भी ठान रखा था कि वह अपने बच्चे को अपने साथ लेकर जाएगा।

संजय ने बहुत ही विनम्र आवाज में कहा “मैं तुम्हारा दर्द समझता हूं। गांव वालों ने तुम्हारे साथ जो बर्ताव किया, वह गलत था। पर इस सब में इन बच्चों की क्या गलती है। ये बहुत मासूम है। इन्हें अपने मां-बाप से अलग करके सजा मत दो। इन बच्चों को छोड़ दो। मैं तुम्हारी मदद करूंगा। मैं सभी गांव वालों को समझाऊंगा। आगे से ऐसा कुछ भी हुआ तो मैं वादा करता हूं कि हम सब मिलकर सहायता करेंगे और इंसानियत दिखाएंगे। अब तुम्हारी मुक्ति का समय आ गया है।”

चुड़ैल ने संजय की बातें सुनी और उसकी डरावनी लाल आंखों में आंसू आ गए। चुड़ैल ने कहा कि “मैंने इन बच्चों के बारे में कभी भी नहीं सोचा था। मैं बस गांव वालों से बदला लेना चाहती थी। अब मुझे समझ आ गया है कि ये बच्चे मासूम है, बिल्कुल मेरे बच्चे की तरह। इनकी कोई गलती नहीं है। मुझे अब विश्वास है कि तुम सभी गांव वालों को समझाओगे और आगे से कभी कोई मां अपने बच्चों से जुदा नहीं होगी। मुझे तुम्हारी बातों से शांति मिल गई है।” संजय ने पूछा “क्या तुमने सभी बच्चों को मार डाला।”

चुड़ैल थोड़ी देर तक चुप रही और फिर उसने अपनी जादुई शक्ति से एक गुफा को प्रकट किया। चुड़ैल ने अपनी शक्ति से गुफा का दरवाजा खोल दिया। तो संजय दौड़कर गुफा में गया और उसने गुफा में देखा तो हैरान रह गया। उसे गुफा में बहुत सारे बच्चे दिखाई दिए। उनमें से एक राघव भी था जो डरा सहमा एक कोने में बैठा था।

संजय ने जोर से आवाज दी “राघव” राघव ने संजय की आवाज सुनी और अपने पिता की तरफ दौड़ा चला आया। संजय ने राघव को अपनी गोद में उठा लिया। संजय की आंखों से आंसू बहने लगे…. संजय ने सभी बच्चों को बाहर निकाला।

संजय चुड़ैल की ओर मुड़ा और उससे कहा कि “तुमने सभी बच्चों को जीवन दान दिया है। अब तुम भी मुक्त हो जाओ और खुद को शांति दो। तुम्हारा बच्चा अगले जीवन में तुम्हारा इंतजार कर रहा है।”

चुड़ैल ने आंखें बंद की और उसने अपने बच्चे को याद किया। अब धीरे-धीरे चुड़ैल हवा में घुलने लगी। उसका काला साया अब धीरे-धीरे हल्का होने लगा। उसके चेहरे पर दर्द की जगह अब शांति नजर आने लगी। उसने संजय की तरफ देखा और कहा “धन्यवाद, अब मैं मुक्त होने जा रही हूं।” जैसे ही सूरज की पहली किरण आसमान में निकली, चुड़ैल पूरी तरह से गायब हो गई। संजय ने अब राहत की सांस ली वह सभी बच्चों को लेकर गांव वापस आ गया।

संजय ने सभी गांव वालों को चौपाल में इकट्ठा किया। जैसे ही सभी गांव वालों ने अपने बच्चों को सही सलामत देखा। सभी माताओं ने दौड़कर अपने बच्चों को गले से लगा लिया। रीमा ने राघव को सीने से लगाया और जोर-जोर से रोने लगी। सबकी आंखें नम थी और सभी गांव वाले बहुत खुश थे।

संजय ने सभी गांव वालों को चुड़ैल की कहानी बताई। सारे गांव वाले अपनी करनी की वजह से शर्मिंदा थे। संजय ने गांव वालों को समझाया कि अगर हम उस औरत की समय रहते मदद कर देते तो आज वह और उसका बच्चा जिंदा होते। हम लोगो को भी अपने बच्चो से नहीं बिछड़ना पड़ता। ऐसी परिस्थितियों में मानवता दिखानी चाहिए और मदद का हाथ आगे बढ़ना चाहिए। हमें एकता रखनी चाहिए। अगर हम एक साथ होकर किसी भी मुसीबत का सामना करते हैं तो उसे टाल सकते हैं। याद रखिए कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। 

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गांव वालों ने संजय द्वारा बताइए बातें सुनकर दिल से चुड़ैल से माफी मांगी और उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। वो सब संजय की बहादुरी की तारीफ कर रहे थे। सबने प्रण लिया कि वे आगे से हमेशा एकता रखेंगे और एक साथ मिलकर सभी मुसीबत का सामना करेंगे। मानवता को सर्वोपरि धर्म मानेंगे। साथ ही, उन्होंने संकल्प लिया कि वो इस Daravani Kahani को अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी सुनाएंगे ताकि वो एकता का महत्व समझ सके।

गांव में अब कोई भी डर नहीं बचा था। सोहमगढ़ अब फिर से खुशहाल और शांत जगह बन गया था। अब उस गांव में कोई भी रात को बाहर निकलने से नहीं डरता था। साथ ही, सोहमगढ में कोई भी किसी की भी मदद करने से पीछे नहीं हटता था।

Daravani Kahani: आधी रात की चुड़ैल से शिक्षा

Daravani Kahani: आधी रात की चुड़ैल से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बदले की भावना हमें कभी शांति नहीं दे सकती है। अगर हम समय रहते दूसरों की मदद कर दे तो की ऐसी दर्दनाक घटनाओं से बच सकते हैं। मानवता और एकता ही वह मूल मंत्र है जो हमें शांति और मुक्ति की ओर ले जा सकता है।

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निष्कर्ष

आज आपने Daravani Kahani पढ़ी। यदि आपको हमारी Daravani Kahani: आधी रात की चुड़ैल अच्छी लगी तो अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे। साथ ही, आप इस Daravani Kahani की सीख को अपने जीवन में जरूर उतारे। इस Daravani Kahani को अपने बच्चो, भाई-बहन आदि को भी सुनाएं ताकि वो समझ सके कि एकता के अभाव में कितनी बुरी हालातों से गुजरना पड़ सकता है।

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