अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी । Akbar Birbal ki Khichdi wali kahani

Akbar Birbal ki khichdi wali kahani (अकबर बीरबल की खिचड़ी): सबने बहुत सारी अकबर बीरबल की कहानियाँ सुनी है। इन सभी कहानियों से हमें बीरबल की तीव्र बुद्धि का पता चलता है। पता नहीं इन कहानियों में कितनी सच्चाई है, लेकिन कहानियों के द्वारा हम यह तो पता लगा सकते हैं कि बीरबल कितने चतुर थे। साथ ही लगभग सब लोगों ने अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी (Akbar Birbal ki khichdi wali kahani) भी सुनी है। इस अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी से भी हमें बीरबल की चतुरता का पता चलता है।

अकबर बीरबल की खिचड़ी के बारे में हमने अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी भी सुनी है। यह तो हम नहीं जानते कि यह सच है या झूठ लेकिन आज भी यह Akbar Birbal ki khichdi wali kahani उतनी ही रोचक और सार्थक लगती है जितनी यह पहले थी।

अकबर बीरबल की खिचड़ी: अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी

एक बार की बात है, सर्दी की एक कम्पाने वाली रात में अकबर और बीरबल दोनों महल की बालकनी में बैठे थे। इस ठंडी रात में कोई भी अपने घर से बाहर दिखाई नहीं दे रहा था।

अकबर पास बह रही बर्फ जमी नदी को देख रहा था। तभी उसके मन में कुछ ख्याल आया और अपना गरम शॉल ओढ़ते हुए बीरबल से कहा कि “बीरबल, क्या कोई इंसान बिना गर्म कपड़ों या आग के जाड़े की पूरी रात इस नदी में खड़ा रह सकता है?”

बीरबल ने हंसते हुए कहा, “जहाँपनाह, इंसान कुछ भी कर सकता है, यदि उसके इरादे मजबूत हो।”

अकबर की चुनौती: अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी

अकबर ने कहा, “बीरबल, तुम मुझे कोई ऐसा इंसान ढूंढकर दिखाओ, जो बिना गर्म कपड़ों या आग के पूरी रात इस नदी में खड़ा रह सकता है और अपनी कही हुई बात को सच साबित करो। यदि तुम ऐसा नहीं कर पाए तो तुम्हें अपनी बुद्धिमानी का दावा छोड़ना होगा।”

बीरबल ने चुनौती को स्वीकार कर लिया और कहा कि “जहांपनाह, मैं आपके समक्ष जल्द ही अपनी बात का प्रत्यक्ष प्रमाण दूंगा।”

बीरबल द्वारा खोज: अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी

बीरबल ने राज्य में एक ऐसे व्यक्ति की तलाश शुरू कर दी जो ईमानदार और दृढ़ निश्चयी था। आखिरकार बीरबल की खोज पूरी हुई और उन्हें एक गरीब व्यक्ति मिला जो ईमानदार और अपनी बात का पक्का था। उसके हालात कुछ ऐसे थे कि उसके पास ना कुछ खाने को था और ना ही कुछ पहनने को था। लेकिन उसका आत्मविश्वास उसकी आंखों की चमक में साफ नजर आता था। आप अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी पढ़ रहे हैं।

बीरबल ने उसे व्यक्ति से कहा कि “क्या तुम इस ठंडी रात में किले की सामने वाली नदी में बिना गर्म वस्त्रों और आग के पूरी रात खड़े रह सकते हो? यदि तुम ऐसा कर देते हो तो तुम्हें ढेर सारा सोना इनाम में दिया जाएगा।”

क्योंकि उस व्यक्ति को अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करनी थी इसलिए उसने बीरबल की चुनौती को स्वीकार किया और कहा कि “मुझे आपकी चुनौती मंजूर है।”

परीक्षा की घड़ी: अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी

अगली शाम उस व्यक्ति को किले के सामने वाली नदी के पास लाया गया और बिना गर्म कपड़ों के उसे नदी में उतर जाने को कहा तो वह व्यक्ति उस ठंडे पानी में उतर गया। वह शरीर को पानी से बाहर रखते हुए खड़ा हो गया। ठंडी हवाएं उसकी हड्डियों के अंदर से गुजर रही थी लेकिन उसका निश्चय मजबूत था तो उसने हार नहीं मानी।

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पूरी रात इसी तरह वह पानी में खड़ा रहा और अगले दिन वह व्यक्ति बादशाह अकबर के दरबार में पहुंचा।बादशाह अकबर इस सबसे आश्चर्यचकित थे तो उससे पूछा कि “तुमने यह कैसे किया?” तो उस व्यक्ति ने कहा कि “महाराज, मैंने पूरी रात दूर पहाड़ी पर जलते हुए एक दीपक को देखते हुए गुजार दी। वह दीपक ही इस रात में मेरा साथी था। मुझे उस दीपक से उम्मीद मिलती रही।”

इतना सुनते ही बादशाह अकबर गुस्से से आग बबूला हो गए और कहा कि “तुमने यह ठीक नहीं किया। तुमने हमारी चुनौती का मजाक बनाया है। तुम उस दीपक की गर्माहट के सहारे ठंडे पानी में खड़े रहे।” बादशाह ने उस व्यक्ति को इनाम देने से भी मना कर दिया।

बीरबल की चतुराई: अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी

अगले दिन जब बीरबल को यह बात पता चली तो उन्होंने एक योजना बनाई। बीरबल ने बादशाह को अपने घर खिचड़ी की दावत पर बुलाया। बादशाह बीरबल के घर पहुंचे हुए 2 घंटे से अधिक का वक्त हो गया लेकिन बीरबल का सिर्फ एक ही जवाब था कि “हुजूर, खिचड़ी पक रही है।”

आखिरकार जब अकबर ने रसोई में जाकर देखा तो एक पांच फीट ऊंचा चूल्हा था, जिस पर किसी बर्तन में चावल डालकर रखे हुए थे और उसके पेंदे में कुछ दो-चार लकड़ियां जल रही थी।

यह देखकर अकबर हंसने लगा और कहा कि “बीरबल, हम तो तुम्हें बुद्धिमान मानते थे लेकिन तुम तो कोरे बेवकूफ निकले। भला इन चार-पांच लकड़ियों की आग इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंच पाएगी। इससे तो तुम्हारी खिचड़ी का पानी भी गर्म नहीं हो पाएगा।”

बीरबल ने कहा कि “महाराज, यदि किसी दीपक की रोशनी से आदमी को गर्माहट मिल सकती है तो इतनी लकड़ियों से खिचड़ी तो आसानी से पक सकती हैं।”

गलती का अहसास: Akbar Birbal ki khichdi wali kahani

अकबर को तुरंत अपनी गलती समझ में आ गई। उन्होंने अगले दिन सुबह ही उस गरीब व्यक्ति को दरबार में बुलाया और उसे ढेर सारा सोना इनाम में दिया। अकबर ने बीरबल की बुद्धि की सराहना भी की और माना कि यदि आदमी के इरादे मजबूत हो तो वह असंभव को भी संभव कर सकता है।

आप अकबर बीरबल की कहानी चित्र सहित भी पढ़िए।

अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी से शिक्षा

अकबर बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हमारे इरादे पक्के हो तो हम असंभव को भी सम्भव बना सकते है। साथ ही, बीरबल की तरह ही हमें प्रत्येक परिस्थिति में बुद्धि से काम लेना चाहिए। जिस तरह बीरबल ने उस गरीब व्यक्ति को न्याय दिलाया, उसी तरह हमें भी न्याय के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

दोस्तो, Akbar Birbal ki khichdi wali kahani की तरह ही यदि आप भी हमे अपनी कोई कहानी भेजना चाहते हैं तो kamleshsihagbhambhu@gmail.com पर भेज सकते हैं।

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