दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी (do billi aur ek bandar ki kahani hindi mein)

आज हम आपके लिए दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी (do billi aur ek bandar ki kahani hindi mein) लेकर आए हैं। यह कहानी बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है। इस कहानी में बहुत सारी ज्ञानवर्धक बातेँ छुपी हुई है जो आपकी जिंदगी के हर मोड़ पर काम आएगी।

इस कहानी में दो बिल्लियों के बीच गहरी दोस्ती होती है लेकिन जंगल के जानवरों को उनकी मित्रता अच्छी नहीं लगती। एक चालाक बंदर उनकी मित्रता को तोड़ने का प्रयास करता है। आगे कहानी में जानिये की क्या वो अपनी योजना में सफल होता है या उसको हार का सामना करना पड़ता है? आइए पढ़ते हैं दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी (do billi aur ek bandar ki kahani hindi mein)

दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी: भाग-1 (do billi aur ek bandar ki kahani hindi mein: part-1)

दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी– एक बहुत बड़ा जंगल था। उस जंगल का नाम सुंदरवन था। वह जंगल बहुत घना और सुंदर था। उस जंगल में चारों तरफ बेहद खूबसूरत हरियाली थी। उस जंगल की खूबसूरती और शोभा देखने लायक थी। उस जंगल में बहुत सारे अलग-अलग किस्म के जानवर रहते थे। जंगल के सभी जानवर कुछ ना कुछ काम करते थे।

वह जंगल और उसमें रहने वाले जानवर आम जंगल और जानवरों की तरह नहीं थे। वह जंगल एक जादुई जंगल था और उसमें रहने वाले जानवर भी इंसानी भाषा बोलते थे और वे इंसानों की तरह काम भी किया करते थे।

जंगल के सभी जानवर अपनी इच्छा अनुसार काम करते और उससे उन्हें उनकी जरूरत की चीजें मिल जाती थी। जंगल के जानवर जो भी काम करते वो उसके बदले जंगल के दूसरे जानवरों से अपनी जरूरत की या काम की चीज ले लेते थे। इस तरह जंगल के सभी जानवर काम करते थे।

टिया और मिया की दोस्ती (दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी)

उसी जंगल में दो बिल्लियां रहती थीं। उन दोनों बिल्लियों का नाम टिया और मिया था। वे दोनों बिल्लियां बेहद घनिष्ठ दोस्त थी। दोनों हर काम एक साथ मिलकर करती थी और उन्हें उस काम से जो भी मुनाफा होता था, वे दोनों आपस में बांट लेती थी। उन दोनों में कभी भी कोई मन मुटाव नहीं हुआ था। दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ खुश रहती थीं।

उनकी मित्रता के बारे में सभी जंगल के जानवर जानते थे। उनकी इसी मित्रता और एकता के कारण वे अक्सर जो भी काम करती, उससे उन्हें सभी जंगल के जानवरों से ज़्यादा मुनाफा होता था। इस बात से जंगल के सभी जानवर उनसे बेहद जलते थे। लेकिन वे उन दोनों की एकता और मित्रता नहीं तोड़ पाये।

उसी जंगल में एक बेहद चालाक बन्दर रहता था। वह भी हर बार एक नया काम करता था। लेकिन उसे कभी इतना मुनाफा नहीं होता था। वो भी उन दोनों बिल्लियों की एकता और मित्रता से जलता था। वह बन्दर अपना दिमाग लगाता है और उसे एक तरकीब मिलती हैं। अब बन्दर अपने काम में लग जाता हैं।

बंदर की तरकीब (दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी)

अगले दिन बन्दर टिया के पास जाता है और वो उसे मिया के बारे में भड़काने लगता है। बन्दर उसे कहता है, “टिया, तुम मिया के साथ मिलकर काम करती हो। लेकिन मैने ये देखा है कि मिया तुम्हे मुनाफे का हिस्सा भी सही से नहीं देती हैं। तुम उससे ज्यादा काम और मेहनत करती हो। लेकिन तुम्हे तुम्हारी जरूरत की चीजें भी नहीं मिलती हैं। ये तो गलत है।”

टिया बन्दर से कहती हैं कि, “देखो बन्दर, मैं तुम्हारी बातों में नहीं आने वाली हूँ। मिया मेरी दोस्त हैं और तुम्हारे कहने पर मैं ये दोस्ती नहीं तोड़ूंगी।”

बन्दर टिया से कहता हैं, “मुझे तो जो लगा, मैने कह दिया। मुझे तुम्हारे लिए बुरा लगा इसलिए तुम्हें सच बताने आ गया। लेकिन मुझे क्या? तुम्हें जो सही लगे करो। लेकिन जाने से पहले यही कहूंगा कि अगर मेरी बातों पर यकीन न हो तो इस बार आजमा कर देख लेना।” बन्दर अपना काम करके वहां से चला जाता हैं। बन्दर की बातों को टिया सोचने लगती हैं।

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कुछ दिनों बाद मिया और टिया साथ में मिलकर रंगों का काम शुरू करती है। बन्दर भी उनकी देखा देख रंगों को बेचने का काम करता हैं। लेकिन मिया और टिया का काम बन्दर के काम से काफी अच्छा चलता है। बन्दर को ये देख कर बेहद जलन होने लगती है।

एक दिन मिया और टिया को रंग के बदले एक जानवर एक चश्मा देकर जाता हैं। टिया को चश्मे की जरूरत होती है। लेकिन मिया उसे वो चश्मा नहीं देती है। बन्दर को पता लग जाता हैं कि टिया को बुरा लगा है। अब बन्दर आग में घी डालने चला जाता है।

बंदर की चाल सफल हुई (दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी)

वह अगले दिन फिर टिया के पास जाता हैं और उसे कहता हैं, “मैं जानता हूं, तुम मेरी बातों पर विश्वास नहीं करोगी। लेकिन मैने कल भी देखा सारा काम तुम कर रही थी। लेकिन तुम्हें जिस चीज की जरूरत थी। मिया को पता था तुम्हें वो चाहिए, फिर भी उसने वो तुम्हें नहीं दिया। मुझे बुरा लगा। बस यही कहना था।”

बन्दर ये बोल कर वहां से चला जाता हैं। अब टिया के मन में कड़वाहट का बीज आ जाता हैं। वह सोचने लगती हैं कि बन्दर ने कुछ गलत नहीं कहा है। मिया उसे अगर एक चीज दे भी दे तो क्या हो जाता?

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अगले दिन मिया और टिया रंग बेच रही होती हैं। तभी टिया, मिया से कहती हैं कि उसे मिया उसके रंग दे दे। आज से टिया मिया के साथ काम नहीं करेगी। मिया को टिया की बातों पर बड़ी हैरानी होती हैं। वह टिया से कहती है वो ऐसा क्यों कह रही हैं? इसके बाद मिया और टिया में बहुत ज़्यादा झगड़ा और बहस होती हैं। बन्दर दूर से खड़ा ये सब देख रहा होता हैं।

काफी देर तक दोनों के बीच झगड़ा होने के बाद, मिया टिया को उसके रंग अलग कर के दे देती हैं। बन्दर सब देख कर खुश होता हैं। अब टिया और मिया चुपचाप अपना-अपना काम करने लगती हैं, लेकिन बन्दर को ये पसंद नहीं आता।

वो धीरे से टिया के पास जाकर कहता हैं कि, “देखो मिया के रंग ज़्यादा बिक रहे हैं। तुम उसके रंगों की बुराई करो ताकि लोग तुम्हारे रंग ज़्यादा बीके।”

टिया बन्दर की बातों में आ जाती हैं। वह अब मिया के रंगों की बुराई करने लगती हैं। मिया को ये अच्छा नहीं लगता हैं। वो भी अब टिया के रंगों बुराई करने लगती हैं। अब दोनों एक दूसरे के रंगों की बुराई करने लगते हैं और एक दूसरे को नीचा दिखाने लगते हैं। बन्दर को अब मौका मिल जाता हैं। जिससे वह उन दोनों की लड़ाई का फायदा उठाता हैं।

दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी: भाग-2 (do billi aur ek bandar ki kahani hindi mein: part-2)

जब जंगल के दूसरे जानवर मिया और टिया  रंग लेने आते तो वे उलझन में पड़ जाते की अब वे किस से रंग खरीदे। यदि मिया से रंग लेने की कोशिश करते तो टिया उन्हें रंग लेने से रोक देती। वैसे ही यदि वे टिया से रंग लेते तो मिया उन्हें रोक देती थी। वे दोनों एक दूसरे के रंगों को नकली व खराब बताती थीं।

अब बन्दर जंगल के दूसरे जानवरों को अपनी ओर लाने और उससे रंग खरीदने के लिए कहने लगता हैं। वह हर खरीददार अपनी दुकान पर लेकर आता और उन्हें कहता कि मिया और टिया दोनों बेहद करीबी दोस्त हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने अलग-अलग दुकान लगाई है और उन्होंने ये रंग एक साथ एक ही जगह से लिए हैं।

बाकी हर जानवर बन्दर की बातों को ध्यान से सुनने लगे थे। बन्दर उन्हें आगे कहता हैं, “अब अगर वो एक दूसरे के रंगों को बुरा बता रहे है। इसका मतलब है उन में से किसी का भी रंग सही नहीं है। वे सिर्फ अपने रंगों को बेचने के लिए ऐसा कर रहे है। मेरे पास जो रंग हैं, वो उनसे काफी अच्छे हैं। अगर यकीन न हो तो परख कर देख लो।”

बन्दर इन्हीं बातों के साथ हर जानवर को अपनी दुकान रंग खरीदने के लिए मनाता था। हर जानवर को बन्दर की बाते सही लगती थी। क्योंकि ये सभी अच्छे से जानते थे कि मिया और टिया हर काम साथ में करती है। लेकिन अगर वो अब अलग-अलग काम कर रही हैं तो इसके पीछे जरूर कोई कारण होगा। और ये सब सोच कर सभी जानवर बन्दर से रंग खरीदने लगे। अब मिया और टिया दुकान से कोई भी रंग नहीं ले रहा था, सभी बन्दर की दुकान से रंग ले रहे थे।

मिया और टिया की लड़ाई का फायदा बन्दर उठा लेता हैं और इस बार बन्दर को उन दोनों से ज़्यादा मुनाफा होता हैं। बन्दर को उन दोनों को यूँ देखकर बड़ी खुशी मिलती हैं और उसे खुद पर बेहद गर्व होता हैं। मिया और टिया को इस बार अपने काम में बेहद नुकसान होता हैं।

टिया को हुआ गलती का अहसास (दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी

कुछ दिन बाद बन्दर मिया और टिया के पास जाता हैं और उन्हें देख कर हँसने लगता हैं। उन दोनों को कुछ समझ नहीं आता है। बन्दर बिना कुछ कहे वहां से चला जाता हैं।

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अब टिया को सब कुछ समझ आ जाता हैं। टिया को अपनी नादानी पर बेहद गुस्सा आता है। टिया, मिया से माफी मांगती हैं। मिया को समझ नहीं आता कि टिया को क्या हुआ है? मिया उसे पूछती हैं कि “टिया यूँ माफी क्यों मांग रही हैं। हम दोस्त हैं और दोस्तों में झगड़ा होता रहता हैं उसमें उसकी कोई ग़लती नहीं है।”

दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी का समापन और शिक्षा

टिया मिया को बताती हैं कि कैसे बन्दर ने टिया को मिया से झगड़ा करने के लिए उकसाया। और टिया को इसी बात पर गुस्सा आ रहा होता हैं कि मिया उसकी बेहद करीबी दोस्त है। ऐसे किसी के भी कुछ भी कहने पर उसे मिया से झगड़ा नहीं करना चाहिए था।

उन दोनों की लड़ाई होने के कारण बन्दर ने लाभ उठा लिया। मिया, टिया को समझाती हैं कि हमे कभी भी किसी तीसरे इंसान की वजह से अपने रिश्ते खराब  करने चाहिए। इससे दो लोगों की लड़ाई में कोई तीसरा इंसान लाभ उठा लेता हैं और हमारे हाथ झगड़ा करने से कुछ भी नहीं लगता हैं।

टिया को मिया की बातें समझ आ जाती है और वो एक बार फिर मिया से माफी मांगती हैं। मिया उसे माफ कर देती हैं और वे दोनों पहले की तरह फिर से एक साथ मिलकर काम करने लगती हैं।

दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी से शिक्षा (do billi aur ek bandar ki kahani hindi mein kahani ki moral)

दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी से हमे निम्न शिक्षाएं मिलती हैं-

  1. हमे किसी और की बातों में आकर अपने रिश्ते खराब नहीं करने चाहिए क्योंकि जिस प्रकार दो बिल्लियों की लड़ाई में बन्दर फायदा उठा लेता हैं। उसी तरह अक्सर दो लोगों की लड़ाई में तीसरा इंसान अपना काम निकाल लेता हैं।
  2. साथ ही दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी (do billi aur ek bandar ki kahani hindi mein) se hmen ye शिक्षा भी मिलती है कि हमें अपनी गलती का अहसास होते ही माफी मांग लेनी चाहिए।
  3. हमे हमेशा अपने दिल और दिमाग से काम लेना चाहिए। कभी भी भावनाओं में बहकर फैसले नहीं करने चाहिए।
  4. दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी में जिस तरह से मिया ने टिया को माफ किया। उसी तरह हमें भी सामने वालों के पश्चाताप करने पर माफ कर देना चाहिए।

दो बिल्ली और एक बंदर की कहानी (do billi aur ek bandar ki kahani hindi mein) को पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद दोस्तों। आज की दो बिल्ली और बंदर की कहानी आपको कैसी लगी, हमें कमेन्ट में जरूर बताए।

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