chatur kisan ka beta moral story in hindi: हम सब ने बहुत सारी हिंदी कहानियाँ (Hindi Stories) सुनी है। लेकिन आज की चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी (Chatur Kisan ka Beta Hindi Kahani) बहुत ही रोचक है। चतुर किसान का बेटा कहानी से आपको बहुत सारी शिक्षाएं मिलने वाली है।
चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी से आपको दया, सद्भावना, दूसरों की मदद करना और दूसरों का हित चाहना आदि शिक्षा मिलती है। चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी (Chatur Kisan ka Beta Hindi Story) पढ़ना शुरू करोगे तो पूरी पढ़े बिना खुद को नहीं रोक पाएंगे। तो आइये पढ़ते हैं चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी (Chatur Kisan ka Beta Hindi Kahani)
चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी । Chatur Kisan ka Beta Hindi Kahani । Moral Story in Hindi
एक बार की बात है। जंगलपुर गांव में एक किसान रहता था, जो बहुत ही बुद्धिमान था। आए दिन वह बुद्धिमान किसान गांव के लोगों के सभी मसले सुलझाता रहता था। इस कारण उसे लोग चतुर किसान के नाम से जानते थे।
चतुर किसान का एक बेटा भी था, जिसका नाम रघु था। लेकिन रघु को गांव के लोग चतुर किसान का बेटा (Chatur Kisan ka Beta Hindi Kahani) कहकर बुलाते थे। चतुर किसान अब बुड्ढा हो चला था। इस कारण से उसने अब अपना सारा काम-धंधा रघु को सौंप दिया था।
रघु भी अपने पिता की तरह ही बुद्धिमान और नेक दिल का था। वह अपने पिता की तरह ही आए दिन लोगों की समस्याओं को सुलझाता और उनकी मदद करता।
पिता द्वारा परख: चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी
एक दिन किसान ने अपने बेटे को परखने की सोची। उसने अपने बेटे को बुलाया और कहा कि “तुम हमारे एक महीने की आमदनी का एक प्रतिशत हिस्सा ले जाओ और उसे किसी ऐसी जगह लगाओ, जहां से तुम बदले में बहुत कुछ लेकर घर लौटो।”
तो रघु ने अपनी 1 महीने की आमदनी का एक प्रतिशत लिया और घर से निकल पड़ा। पूरे दिन चतुर किसान का बेटा बाहर रहा। अपने पिता के कहे अनुसार रघु शाम को लौट आया। जब वह अपने पिता के पास पहुंचा तो किसान ने देखा कि उसके हाथों में तो कुछ भी नहीं है।
तो किसान ने रघु से कहा कि “मैंने तुम्हें उस धन को ऐसी जगह खर्च करने के लिए कहा था, जहां से तुम बदले में उससे और ज्यादा लेकर लौटो लेकिन तुम्हारे हाथों में तो कुछ नहीं है।”
रघु ने अपने पिता की बात का जवाब दिया कि “पिताजी, मैं खाली हाथ नहीं लौटा हूं। मैं अपने साथ लोगों की बहुत सारी दुआएं और आशीर्वाद लेकर आया हूं जो हमारे धन को और अधिक गुणा कर देगी।”
चतुर किसान ने पूरी बात पूछी तो रघु ने बताया कि “जब मैं घर से निकला तो मुझे एक वृद्ध आदमी मिला जो बीमार था और उसके पास अपने इलाज के लिए पैसे नहीं थे तो मैंने कुछ पैसे उन्हें दे दिए।”
“जब मैं इससे आगे गया तो एक लड़की भीख मांग रही थी। जब उससे पूछा कि वह भीख क्यों मांग रही है तो उसने कहा कि वह तो पढ़ना चाहती है लेकिन उसकी मजबूरी है। तो मैंने कुछ पैसों से उसका स्कूल में एडमिशन करा दिया।”
“वहीं पर कुछ बच्चे खाने के लिए भी मांग रहे थे तो मैंने बाकी बचे पैसों से उन बच्चों को भोजन करवाया। इन सबने मुझे बहुत दुआएं और आशीर्वाद दिया, जिससे मुझे आंतरिक शांति और खुशी का अनुभव हुआ जो मुझे धन से नहीं मिल सकती थी।”
इतनी बात सुनते ही किसान ने गर्व से कहा कि “बेटा, मुझे तुमसे यही उम्मीद थी। आज तुमने मेरा विश्वास और अधिक जीत लिया है। मेरा भी आशीर्वाद तुम्हारे साथ हमेशा है।”
साहूकार की समस्या का निवारण: चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी
इस गांव में एक साहूकार रहता था। जिसके खेतों में से आए दिन अनाज की चोरी हो जाती थी। वह साहूकार बहुत ही परेशान था। एक दिन उसने रघु को बुलाया और कहा कि “तुम चतुर किसान का बेटा हो तो अपने पिता की तरह ही बुद्धिमान होंगे। मैं तुम्हारा मेहरबान रहूंगा, यदि तुम किसी भी तरह मेरे खेतों से चोरी रोक दो।”
रघु ने एक तरकीब सोची और खेत के चारों ओर कांटेदार तारो की तारबंदी करवा दी। उस तारबंदी के बीच आने-जाने के लिए एक गलियारा छोड़ दिया और गलियारे में एक बहुत बड़ा गड्ढा खुदवाकर, उसे घास-फूस और पत्तों से ढक दिया। जिससे वह दिखाई नहीं देता था। कोई भी अनजान आदमी बिल्कुल भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि यहां कोई गड्ढा भी है।
उसने गड्ढे में एक धागा भी लगा दिया जो बहुत सारी घंटियों से बंधा हुआ था। जैसे ही कुछ उस गड्ढे में गिरता तो वह धागा टूट जाता और घंटियां बजने लगती। साथ ही रघु खुद भी निगरानी करने के लिए एक पेड़ पर चढ़कर बैठ गया।
अब उस रात जैसे ही चोर आए तो उन्होंने देखा कि खेत में घुसने के लिए केवल एक ही गलियारा है। जब वे उस गलियारे से गुजरने लगे तो गड्ढे में गिर गए और धागा टूटते ही घंटियां जोर-जोर से बजने लगी। इससे सारे गांव वाले दौड़कर आ गए और उन चोरों को पकड़ लिया।
साहूकार ने रघु का बहुत-बहुत धन्यवाद किया और उसे बहुत सारा इनाम भी दिया अब आसपास के गांवो में भी रघु की बुद्धिमानी की चर्चा होने लगी और सब लोग उसे चतुर किसान का बेटा (Chatur Kisan ka Beta Hindi Kahani) कहकर बुलाने लगे।
गाँव के लोगों की मदद: चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी
रघु के गांव का जमींदार बहुत ही लालची था। वह आए दिन लोगों से कर (टैक्स) वसूल करने के नए-नए तरीके अपनाता था। एक दिन व्यापारी ने एक जाल रचाया और लोगों को बुलाकर कहां कि “मैं तुम सब लोगों का कर्ज माफ करना चाहता हूं। लेकिन क्या करूं? मेरी भी आमदनी का जरिया यही है। और मुझे कर के बदले में तुम सब लोगों को सुरक्षा भी देनी होती है।”
“लेकिन अब मैंने एक उपाय सोच लिया है। अब आप लोग यह खुद ही तय करोगे कि आप लगान दोगे या नहीं। मैंने एक तरकीब सोची है। मैं आप लोगों से एक पहेली पूछूंगा, जो भी उस पहेली का सही जवाब दे देगा, मैं उसकी एक बात मानूंगा और जो जवाब नहीं दे पाएगा, उससे दोगुना लगान लिया जाएगा। आप सब लोगों को इस शर्त को स्वीकार करना होगा और जो इस शर्त को स्वीकार नहीं करेगा उसे दोगुना लगन देना होगा।”
व्यापारी को आशा थी कि उसकी पहेली का जवाब कोई भी नहीं दे पाएगा और अब वह लोगों से दोगुना लगान वसूल करेगा और इसका जिम्मेदार भी उन्हीं को ठहराएगा।
व्यापारी ने एक-एक करके सब लोगों से पहेली पूछी लेकिन किसी को भी इसका जवाब नहीं पता था। अब सब गांव वालों को दोगुना लगान देना था। जमींदार की लगान दर पहले ही इतनी ऊंची थी कि किसानों के हाथ कुछ भी नहीं रहता था। अब सब चिंता में पड़ गए कि दोगुना लगान कैसे भरेंगे।
सब लोग मिलकर रघु के पास पहुंचे और हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगे कि अब तो आप ही हमें बचा सकते हैं। तो रघु ने उनसे पहेली पूछी तो उन्होंने बताया की जमींदार की पहेली यह है कि
कोई ऐसी चीज बताओ जो जीवित भी है और मृत भी, चलती भी है और रुकती भी है।
तो रघु मुस्कुराया और कहा कि “मैं इस पहेली का जवाब जमींदार के सामने दूंगा।” रघु और बाकी सब लोग जमींदार के पास पहुंचे और जमींदार ने फिर से वही पहेली रघु से पूछी तो रघु ने जवाब दिया कि “वह चीज छाया है जो दिखने में तो जीवित लगती है लेकिन असल में मृत है। वह इंसान के साथ चलती भी है और रुक भी जाती है।”
अब जमींदार का चेहरा उतर गया। जमीदार को डर था कि कहीं रघु लोगों का लगान माफ नहीं करवा दे तो जमींदार ने रघु से कहा कि “मैं इस पहेली के जवाब के इनाम में लगान का एक-चौथाई हिस्सा तुम्हें दे दूंगा। क्या यह तुम्हें मंजूर है?” तो रघु ने कहा “नहीं, शर्त के अनुसार आपको मेरी एक बात माननी होगी।”
तो जमींदार ने निराशा से पुछा, “क्या?” तो रघु ने कहा कि “आपको इन सब लोगों का सारा लगान माफ करना होगा” तो जमीदार हिचकिचाने लगा लेकिन अब उसके पास कोई और चारा भी नहीं था। अगर वह मना करता तो गांव के लोग उसके खिलाफ बगावत कर देते इसलिए जमींदार ने रघु की बात मान ली और गांव वालों का सारा लगान माफ कर दिया।
ये भी पढ़े:
10+ Very Short Story in Hindi । छोटी कहानी इन हिंदी । Chhoti Kahani in Hindi
सभी लोग रघु की जय-जयकार करने लगे और सारा गांव अब बहुत खुश था। आसपास के गांव में भी अब रघु की बुद्धिमानी की चर्चा होने लगी और अब रघु को अब चतुर किसान का बेटा (चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी) नाम से पुकारने लगे।
चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी से शिक्षा
चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी (Chatur Kisan ka Beta Hindi Kahani) से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें सदैव दूसरों की सहायता करनी चाहिए। जिस तरह रघु ने व्यापारी के एक-चौथाई लगान लेने वाले प्रस्ताव को स्वीकार न करके गांव के लोगों का लगान माफ करवाया। उसी तरह हमें भी सबके हित में ही अपना हित देखना चाहिए।
जिस तरह चतुर किसान का बेटा कहे जाने वाले रघु ने साहूकार और गांव के लोगों की निस्वार्थ भाव से मदद की। इसी तरह हमें भी बिना किसी स्वार्थ को देखते हुए लोगों की मदद करनी चाहिए। खुशी और आंतरिक संतुष्टि में ही अपनी प्रसन्नता खोजनी चाहिए।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी (Chatur Kisan ka Beta Hindi Kahani) बताई। आशा है कि आपको यह चतुर किसान का बेटा हिंदी कहानी या Chatur Kisan ka Beta Hindi Story आई होगी। आपको यह hindi story कैसी लगी? कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं और यदि आप भी कोई कहानी पब्लिश करवाना चाहते हैं तो kamleshsihagbhambhu@gmail.com पर भेजें।