एक हिरण की कहानी: ek hiran ki kahani

नमस्ते, आज मैं आपके लिए एक हिरण की कहानी (ek hiran ki kahani) लेकर आई हूं। यह एक हिरण की कहानी बहुत ही सुंदर है। एक हिरण की कहानी आपको जीवन में बुरे वक्त से निकलने की प्रेरणा देती है।

चाहे हमारे जीवन में कितना भी बुरा समय हो लेकिन एक हिरण की कहानी (ek hiran ki kahani) हमें सिखाती है कि बुद्धि के सही उपयोग से हर समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है। आइए पढ़ते है एक हिरण की कहानी:ek hiran ki kahani- 

एक हिरण की कहानी

कुछ समय पहले की बात है। एक प्रीतमपुर नामक गांव था। उस गांव में एक शिकारी रहता था। उस शिकारी का नाम महेश था। महेश बेहद होशियार था। सभी गांव वाले जानते थे कि महेश बेहद अच्छा शिकारी हैं। यदि वह किसी जानवर का शिकार करने का ठान ले तो उस जानवर का बच पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता था।

उस गांव के पास में एक जंगल था। वह शिकारी रोज उस जंगल में जाकर शिकार किया करता था। उस जंगल के सभी जानवर महेश शिकारी के आते ही डर जाते थे। वे सभी जानते थे कि महेश शिकारी के बिछाए हुए जाल से कोई भी बच नहीं पाता था। महेश को शिकार करने का बेहद शौंक था।

एक दिन महेश हर रोज की तरह जंगल में शिकार करने जाता हैं। महेश जैसे ही जंगल में जाता है, सारे जानवर महेश से डर कर भाग जाते है। महेश सारा दिन जंगल में इधर उधर घूमता रहता है, लेकिन महेश को कोई भी जानवर दिखाई नहीं देता हैं। अब शाम हो जाती हैं, महेश वापस गांव की तरफ लौट रहा होता हैं।

वापस लौटते समय वह बेहद उदास था। महेश खुद से कहता हैं, “आज तो कोई अच्छा जानवर ही नहीं दिखा जिसका शिकार कर पाता।” महेश यह कहते हुए आगे बढ़ता रहता है, तभी अचानक से महेश को दूर कहीं पर कोई शोर सुनाई देता हैं।

अब महेश को कुछ अजीब लगने लगता है। महेश उस आवाज को सुन कर उस आवाज के पीछे चला जाता है। महेश उस आवाज का पीछा करते हुए, एक नदी के पास पहुंच जाता हैं। वहां पहुंच कर महेश देखता है कि एक बहुत सुंदर और बड़ा हिरण उस नदी के पास उछल कूद कर रहा होता हैं।

एक हिरण की कहानी, ek hiran ki kahani

वह हिरण देखने में बेहद सुंदर था। उसके बड़े बड़े सिंग थे, बड़ी बड़ी सुंदर आंखें थी। बड़ा सुडौल शरीर था। महेश उस हिरण को झाड़ियों के पीछे से छुप कर देख रहा होता हैं। उसे देख कर महेश कहता हैं, “वाह! कितना सुंदर हिरण है। यदि मैं इसका शिकार करके इसे बेच दूं तो मुझे अच्छी कीमत मिल जाएगी।” अब महेश उस हिरण का शिकार करने का निर्णय ले लेता हैं। महेश वापस गांव लौट आता है। वापस आकर महेश उसी हिरण के बारे में सोचता रहता हैं। महेश सोच लेता हैं कि वो उस हिरण का शिकार करके ही रहेगा।

अगले दिन महेश हिरण का शिकार करने के लिए जंगल में चला जाता हैं। महेश पहले से ही शिकार की योजना बना कर आता है। महेश आज वापस उसी नदी के पास चला जाता हैं। जहां उसने उस हिरण को देखा था। महेश वहां जाकर देखता है तो अभी तक हिरण वहां नहीं आया था।

अब महेश उस हिरण को पकड़ने के लिए वहां पर जमीन पर एक जाल बिछा कर उसे पतियों से ढक देता हैं। महेश जाल की सारी व्यवस्था करके थोड़ी दूरी पर झाड़ियों के पीछे जाकर छिप जाता हैं। महेश वहां बैठकर हिरण के आने का इंतजार करने लगता हैं। अब शाम होने लगती हैं, वह हिरण अभी तक नदी के पास नहीं आया था। महेश को लगता हैं कि शायद वह आज भी शिकार नहीं कर पाएगा।

तभी थोड़ी देर बाद महेश देखता है कि हिरण वहां आ जाता हैं। महेश हिरण को देख कर बेहद खुश हो जाता हैं। हिरण रोज की तरह नदी किनारे आकर पानी पीकर वहां खेलने लगता हैं। हिरण इधर उधर उछल कूद करने लगता हैं। तभी अचानक उछलते हुए हिरण महेश के बिछाए हुए जाल पर पैर रख देता हैं। उस पर पैर रखते ही अचानक हिरण महेश के जाल में फंस जाता हैं।

जैसे ही हिरण महेश के जाल में फंसता है तो महेश बेहद खुश हो जाता हैं। महेश तुरंत झाड़ियों से बाहर आ जाता हैं। महेश पास आकर उस जाल में फंसे सुंदर हिरण को ध्यान से देखने लगता हैं। महेश हिरण को देख कर सोचता है कि अब तो महेश उस हिरण को बेच कर बहुत सारा पैसा कमाएगा। महेश हिरण को देखता है, वह हिरण बेहद उदास हो जाता हैं।

महेश हिरण से कहता हैं, “माफ करना दोस्त। लेकिन अगर मैं तुम्हारा शिकार नहीं करूंगा तो मैं अमीर कैसे बनूंगा।” हिरण महेश को ध्यान से देखने लगता हैं। महेश आगे हिरण को खुशी भरे स्वर में कहता हैं, “अब तुम हो ही इतने सुंदर। शिकार तो बनोगे ही न, किसी न किसी का। अब मैं तुम्हे बेच कर पैसे कमाऊंगा।”

हिरण को महेश की बातों से सब कुछ समझ आ जाता हैं। हिरण भी चालाक था। अब हिरण खुद को बचाने की तरकीब के बारे में सोचने लगता हैं। हिरण इस परिस्थिति में दिमाग से काम लेता है और हिरण को काफी सोचने के बाद खुद को शिकारी से बचाने की योजना मिल ही जाती हैं। अब हिरण शिकारी से कहता हैं, “तुम मुझे बेच दोगे और तुम्हें केवल मेरे बिकने पर इतने पैसे मिलेंगे। यदि मेरे जैसे हिरण तुम्हें और मिल जाए तो तुम तो इस दुनिया के सबसे अमीर इंसान बन जाओगे।”

महेश हिरण की बातों को सुनकर लालच में आ जाता हैं। अब महेश सोचता है कि वह सही कह रहा हैं। हिरण महेश से आगे कहती हैं, “मेरे पास तुम्हारे लिए एक सौदा है। यदि तुम आज मुझे जाने दोगे तो कल मैं इसी जगह पर मेरे जैसे बाकी हिरणों को ले आऊंगी। तुम उन सब को पकड़ लेना। तुम्हे इतने सारे सुंदर हिरणों के बहुत सारे पैसे मिल सकते हैं। लेकिन उसके लिए तुम्हें मुझे छोड़ना होगा।”

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महेश हिरण की बातों में आ जाता हैं। वह हिरण को छोड़ देता हैं और उससे बाकी हिरणों को कल वहां लाने को कहता हैं। हिरण महेश को हां कहकर वहां से भाग जाता हैं। अब हिरण बाकी सभी हिरणों को महेश से दूर और सावधान रहने को कह देता हैं। अगले दिन महेश हिरण का नदी किनारे इंतजार करता हैं लेकिन वह नहीं आता है। महेश समझ जाता हैं कि हिरण ने उसे झूठ कहा था।

एक हिरण की कहानी से शिक्षा

एक हिरण की कहानी (ek hiran ki kahani) से हमे यह शिक्षा मिलती है कि

  1. हमें मुश्किल समय में हमारी सूझ-बूझ और दिमाग से काम करना चाहिए।
  2. हमें कोई भी समस्या आने पर घबराना नहीं चाहिए और उस समस्या का सामना करना चाहिए।
  3. एक हिरण की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें खुद के स्वार्थ के लिए किसी का भी बुरा नहीं करना चाहिए।
  4. जिस तरह उस हिरण ने अपने बाकी साथियों को बचाकर परोपकार किया, उसी तरह हमें भी परोपकारी बनना चाहिए।

एक हिरण की कहानी का निष्कर्ष

दोस्तों, आज आपने एक हिरण की कहानी (ek hiran ki kahani) पढ़ी। आशा है कि आप इस कहानी को पढ़कर प्रेरित हुए होंगे। जिस तरह एक हिरण की कहानी में समस्या से निकलने के लिए अपने दिमाग का इस्तेमाल किया। उसी तरह, हमें भी कोई समस्या आने पर घबराने की बजाय हल निकालना चाहिए।

आप हमारी वेबसाइट Hindi Stories पर एक हिरण की कहानी की तरह ही और भी हिंदी कहानियां पढ़ सकते हैं। एक हिरण की कहानी आपको कैसी लगी? कमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद!

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