जादुई सोने की मुर्गी की कहानी: the story of the magical golden hen

नमस्ते! हम लोग बचपन से ही अपनी पाठ्य पुस्तकों में जादुई सोने की मुर्गी की कहानी पढ़ते आए हैं। आज हम आपके लिए वही जादुई सोने की मुर्गी की कहानी लेकर आए हैं। जादुई सोने की मुर्गी की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है और उन लोगो के लिए बेहतरीन सीख हैं, जो लालच करते हैं। पूरा पढ़िए हमारी जादुई सोने की मुर्गी की कहानी (jadue sone ki murgi ki kahani)-

जादुई सोने की मुर्गी की कहानी । the story of the magical golden hen

जादुई सोने की मुर्गी की कहानी: काफी समय पहले की बात है, एक मिर्जापुर नामक गांव था। उस गांव में सुमन नामक एक औरत रहती थी। सुमन का पति मोहित एक गरीब किसान था। मोहित अपनी जिंदगी से बेहद खुश था। लेकिन सुमन को यूं गरीब रहना बिल्कुल पसंद नहीं था।

सुमन को अमीर बनने का बेहद शौंक था। सुमन मोहित को हमेशा दूसरों से तुलना करके खुद की हालात बताती थीं। वह लालच में आकर रोज मोहित को गलत काम करने की सलाह देती थी।

लेकिन मोहित अपने असूलों का पक्का था। मोहित को गलत तरीके से पैसे कमाने की कोई भी जरूरत नजर नहीं आती थी। मोहित के अनुसार मोहित अपनी मेहनत की कमाई से कम में भी सुखी था। उनकी आवश्यक जरुरते पूरी हो रही थी और वे एक अच्छी और खुशहाल जिंदगी जी रहे थे।

लेकिन सुमन को इतने में संतोष नहीं था। सुमन को महंगे कपड़ों, गहनों और चीजों का बेहद शौंक था। सुमन हर हालत में बहुत ज्यादा अमीर बनना चाहती थी। जिससे वह अपने महंगे-महंगे शौंक पूरे कर सके।

मोहित को सुमन के ऐसे शौंक और बाते बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। मोहित एक सीधा-साधा किसान था। मोहित हर रोज खेत में मेहनत करता था, ताकि उसकी फसल अच्छी हो सके। मोहित का मन बेहद साफ था, उसके मन में किसी भी तरह का कोई लालच नहीं था।

मोहित अक्सर अपनी कमाई से लोगों की मदद भी करता था। पूरे गांव में मोहित की इस दानवीरता के बारे में सभी लोग जानते थे, इसलिए वे उसकी इज्जत भी करते थे। वहीं पूरा गांव सुमन के बर्ताव से भी परिचित था।

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सुमन की सहेलियां भी उसकी कमजोरी जानती थी। इसलिए सुमन को अक्सर उसकी सहेलियां ताने मारती थीं। वह उसे अपने महंगे कपड़ों और गहनों से सुमन को जलाती और उसके मन में लालच पैदा करती थीं। सुमन उनकी बातों में आसानी से आ जाती थी।

एक दिन मोहित जब अपने खेत में काम करके वापस घर आ रहा था तो रास्ते में मोहित को एक घायल मुर्गी दिखती हैं। मोहित देखता है कि उस मुर्गी की चोंच और पंखों पर चोट लगी हुई थी। मोहित को उस मुर्गी की हालत देख कर उस पर तरस आ जाता हैं। मोहित उस मुर्गी को उठा कर अपने साथ घर पर ले आता है।

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सुमन को यह सब देख कर बिल्कुल खुशी नहीं होती हैं। वह मोहित से कहती हैं, “दूसरों की हालत पर तुम्हें तरस आ जाता हैं, चाहे इंसान हो या जानवर। लेकिन कभी मेरी हालत देख कर मेरे बारे में नहीं सोचते हो।” सुमन यह सब बोल रही होती हैं। मोहित उस मुर्गी को उठा कर घर के अंदर ले आता है। वह उस मुर्गी की मरहम पट्टी करता हैं। वह सुमन को कोई भी जवाब नहीं देता हैं।

वह उस मुर्गी को एक साफ और सुरक्षित जगह पर रख देता हैं। मोहित उस मुर्गी को पानी पिलाता है और उसे खाने को भी देता हैं। सुमन मोहित को कुछ भी नहीं कहती हैं। वह जाकर सो जाती हैं। अब मोहित भी उस मुर्गी को सब कुछ देकर सोने चला जाता हैं।

अगले दिन सुबह मोहित जब उस मुर्गी के पास आकर देखता है तो उसे वहां पर एक सोने का अंडा मिलता हैं। मोहित को बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता हैं कि ये सब सच है। मोहित तुरंत चिल्ला कर सुमन को बुलाता है। सुमन जब वहां आती हैं तो मोहित उसे सब कुछ बता देता हैं। मोहित कहता हैं, “यह देखो, इस मुर्गी ने सोने का अंडा दिया है।”

सुमन को ये सब एक सपना ही लगता हैं। अब उन्हें यह समझ आ जाता हैं कि वो एक जादुई सोने की मुर्गी थी। अब मोहित उस अंडे को बेच देता हैं। उस अंडे को बेचने पर उन्हें बहुत सारा पैसा मिलता हैं। मोहित सोचता है कि वो कुछ पैसे दान में दे देगा और कुछ से वो अपना काम बढ़ाएगा।

लेकिन सुमन मोहित को कुछ भी दान नहीं करने देती है। सुमन मोहित से पैसे यह कहकर ले लेती है कि सुमन उसे मोहित के नाम से दान कर देगी। लेकिन सुमन उन पैसों से केवल अपने शौंक पूरे करती हैं। मोहित को सुमन पर बिल्कुल भी शक नहीं होती हैं।

अब मोहित और सुमन रोज उस जादुई सोने की मुर्गी की अच्छी देखभाल करने लगे थे। वह मुर्गी हर रोज एक सोने का अंडा देती थी। उसे बेचने पर उन्हें अच्छी कीमत मिलती थी। अब धीरे-धीरे सुमन और मोहित की जिंदगी बदल गई थी। वे अब काफी अमीर हो चुके थे।

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मोहित ने इतने की कभी उम्मीद भी नहीं रखी थी। लेकिन सुमन का तो यह एक सपना ही था। लेकिन सुमन को सब कुछ मिलने के बाद भी सुमन के मन में लालच खत्म नहीं हो रहा था।

अब सुमन के मन में सबसे बड़ा लालच पैदा होता हैं। सुमन सोचती हैं कि मुर्गी के पेट में ढेर सारे अंडे होंगे। यदि वह उस मुर्गी का पेट काटकर उसमें से सारे अंडे निकाल ले और उन्हें बेच दें तो वो एक ही पल में करोड़पति बन जाएंगे। सुमन यह सब मोहित को भी बताती हैं। लेकिन मोहित यह करने से सुमन को मना कर देता हैं।

अब सुमन और मोहित सोने चले जाते हैं। लेकिन सुमन के मन से लालच नहीं जाता है। वह मोहित के मना करने बाद भी रात को उठ कर जाती हैं और लालच में आकर उस मुर्गी को मार डालती हैं। अब वह उस मुर्गी का पेट काटकर देखती हैं। लेकिन उसे मुर्गी के पेट में कुछ भी नहीं मिलता हैं।

सुमन बेहद घबरा जाती हैं। सुमन तुरंत जाकर मोहित को सब कुछ बता देती है। अब मोहित और सुमन की सारी दौलत गायब हो जाती हैं। सुमन को अब यह समझ आ जाता हैं कि उसने लालच में आकर उसके पास जो था, उसे भी खो दिया है।

अब मोहित और सुमन पहले की तरह ही एक छोटे से मकान में आ जाते हैं। उनके महंगे कपड़े, गहने और सारी धन-दौलत एक ही पल में छीन जाती हैं। मोहित मन ही मन बहुत खुश था कि सुमन को उसके किए की सजा मिली।

मोहित सुमन को समझाता है कि, “हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। जितना मिलता है, उसी में संतुष्ट रहना सिखों।” सुमन को ये सब समझ आ जाता हैं लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। वे फिर से अपनी साधारण जिंदगी खुशी-खुशी जीने लगते है।

जादुई सोने की मुर्गी की कहानी से शिक्षा

जादुई सोने की मुर्गी की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा हमारे पास जितना है उतने में ही खुश और संतुष्ट रहना चाहिए। ज्यादा पाने के लिए हमें ज्यादा मेहनत करनी चाहिए, ना कि लालच

Conclusion:

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