शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी: नमस्ते!, दोस्तो आज हम आपके लिए ‘सच्चा शिक्षक’ नामक शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी लेकर आए है। यह कहानी शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी (inspirational story for teachers) है। शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी से हमें यह पता लगता हैं कि एक ‘सच्चा शिक्षक’ क्या होता हैं? और उनका हमारे जीवन में क्या महत्व होता हैं? आइए, हम शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी (inspirational story for teachers) पढ़ते हैं।
शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी । inspirational story for teachers
कुछ समय पहले की बात है। रामपुर नामक एक गांव था। वह गांव बहुत बड़ा और सुन्दर था। उस गांव की सुंदरता केवल वहां के पेड़-पौधों और हरे-भरे खेतों की वजह से थी। रामपुर गांव में सभी लोग खेती करते थे। वहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी खेती किया करते थे।
वह गांव जितना सुंदर था, उतनी ही उस गांव में एक पुरानी सोच लोगों के मन में बस चुकी थी। उस गांव के लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता नहीं थी। रामपुर के लोगों का मानना था कि उनके बच्चों को बड़ा होकर खेती ही करनी है। उसके लिए पढ़ाई लिखाई की क्या जरूरत है। इसकी वजह से उस गांव में लोग अधिक पढ़ें लिखे हुए नहीं थे।
इस तरह की सोच के कारण वहां के कुछ बच्चे जिन्हें पढ़ाई में दिलचस्पी थी, वह भी नहीं पढ़ पाते थे। उन्हें अपने घर वालों की सोच की वजह से पढ़ाई करने का सपना छोड़ना पड़ता था। (शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी)
उन्हीं बच्चों में से एक बच्चा था। जिसका नाम गोलू था। गोलू को पढ़ने-लिखने में काफी दिलचस्पी थी। गोलू पढ़-लिख कर अपने गांव को एक ऊंचा स्थान दिलाना चाहता था। गोलू अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल अपने गांव में अपने परिवार की खेती बाडी के काम को ओर भी अधिक बढ़ाना चाहता था।
गोलू अकसर पुरानी किताबों को छुपा कर अपने घर में रखता था और उन्हें पढ़ता रहता था। लेकिन गोलू के माता-पिता गोलू की इन हरकतों से बेहद परेशान थे। गोलू के माता-पिता को गोलू का पढ़ना-लिखना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। इसलिए वे गोलू को डांटते रहते थे। उन्होंने गोलू को डांट कर उसकी पढ़ाई तो छुड़वा दी थी। लेकिन वे गोलू की पढ़ने की इच्छा को नहीं खतम कर पाए थे।
रामपुर गांव में केवल एक ही स्कूल था। वह एक सरकारी स्कूल था। जिसे सरकार ने उस गांव में इस उद्वेश्य से खोला था ताकि वहां के बच्चे पढ़-लिख सकें। उस स्कूल का नाम सरस्वती स्कूल था। लेकिन उस स्कूल में कोई भी बच्चा पढ़ने नहीं आता था। सरकार ने उस स्कूल में कुछ सरकारी अध्यापकों की ड्यूटी लगाई थी।
सरकार ने उन अध्यापकों से यह उम्मीद रखी थी कि वे उस गांव में लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक बना सके और वहां के बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अच्छी शिक्षा देकर उनका भविष्य उज्जवल कर सके। सरकार हर साल उस स्कूल से वहां पर कितने बच्चे पढ़ रहे है? और स्कूल में क्या प्रगति हुई है? स्कूल का हर साल क्या रिजल्ट रहा है? इसका हिसाब मांगती हैं। (शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी)
लेकिन उस स्कूल के अध्यापक हर साल एक नकली हिसाब सरकार को भेज देते थे। सरस्वती स्कूल के अध्यापकों का मानना था कि यदि उस गांव के बच्चे और वहां के लोग अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते हैं तो उसमें वे अध्यापक क्या कर सकते हैं? उनके मुताबिक उनके लिए तो अच्छा ही है, यदि उस स्कूल में कोई पढ़ने नहीं आएगा तो क्योंकि उन्हें मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और बिना मेहनत के उन्हें सरकार की तरफ से अच्छी खासी इनकम मिल रही है।
सरस्वती स्कूल के अध्यापकों को अपने पद का कोई अंदाजा ही नहीं था। गोलू हर रोज सरस्वती स्कूल को बाहर से देखता और यह सोचता है कि काश वह भी इस स्कूल में पढ़ पाता। लेकिन गोलू का सपना एक अच्छे और सच्चे अध्यापक के बिना अभी अधूरा था।
अब काफी समय बाद सरस्वती स्कूल में गणित के एक नए अध्यापक की ड्यूटी लगती हैं। उन अध्यापक का नाम समीर था। समीर बचपन से ही एक बड़ा आदमी बनना चाहता था। समीर का सपना था कि वो पढ़-लिख कर इतना बड़ा आदमी बने कि एक दिन सभी लोग उसकी बेहद इज्ज़त करे और वो अपनी तरह ही सपने देखने वाले बाकी बच्चों को इतना काबिल बना सके कि वो अपना सपना साकार कर पाए।
इसी वजह से समीर ने एक अध्यापक बनने का निर्णय लिया। अब समीर एक गणित का अध्यापक बन चुका था। समीर को रामपुर में सरस्वती स्कूल के बच्चों को पढाने का मौका मिला था। समीर बेहद खुश था। (शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी)
अब शाम को जब समीर रामपुर पहुंचता है तो वह सबसे पहले सरस्वती स्कूल देखने जाता हैं। समीर सरस्वती स्कूल और रामपुर गांव देखकर बेहद प्रसन्न हो जाता हैं। समीर सोचता है कि कल उसका सरस्वती स्कूल में पहला दिन होगा। वह कल सरस्वती स्कूल के बच्चों को पढ़ाएगा और उन्हें अच्छी शिक्षा देगा। अब अगले दिन समीर खुश होकर स्कूल के लिए तैयार होने लगता हैं।
जब समीर तैयार होकर सरस्वती स्कूल पहुंचता है, तो सबसे पहले वह वहां जाकर अध्यापकों से मिलता है। समीर सरस्वती स्कूल के अध्यापकों को नमस्ते! कहकर, स्कूल की कक्षाओं में बैठे बच्चे देखने चला जाता है। समीर पूरे स्कूल में घूमता है, समीर को उस पूरे स्कूल में एक भी बच्चा दिखाई नहीं देता है।
समीर को लगता है कि अभी स्कूल के शुरू होने का समय नहीं हुआ होगा। समीर एक कक्षा में बैठकर बच्चों के आने का इंतजार करने लगता है। समीर काफी देर वहां बैठा रहता हैं। अब दोपहर होने वाली थी। समीर को कुछ भी समझ में नहीं आता है। समीर वहां से उठकर बाकी अध्यापकों से बात करने चला जाता है।
समीर बाकी अध्यापकों से पूछता है, “गुरुजी, आज स्कूल मैं अवकाश है? आज स्कूल में एक भी छात्र दिखाई नहीं दे रहा है।” बाकी सभी यह सुनकर हँसने लगते है। वह समीर से कहते है,” आप यहां नए हैं, इसलिए ये सवाल कर रहे हैं। यह आज की ही बात नहीं है, यह रोज़ की बात है। जब यहां कोई पढ़ने ही नहीं आता है, तो आपको यहां कोई भी कैसे दिखाई देगा।”
समीर को कुछ भी समझ नहीं आता है। वह उनसे पूछता है, “पर गुरुजी, सरकारी कागजों के मुताबिक यहां पर तो बहुत सारे बच्चे पढ़ते है।”
वे अध्यापक समीर से कहते है, “वह सब कुछ नकली है। यदि हम यह सब नहीं करेंगे, तो सरकार हमें बिना मेहनत के पैसे कैसे देगी? अब आप भी आराम किजिए। न तो यहां कोई पढ़ना चाहता है। न ही कोई अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है।” (शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी)
यह कहकर बाकी सभी अध्यापक वहां से चले जाते है। समीर सोच में पड़ जाता है कि रामपुर गांव में क्या चल रहा है? अब समीर स्कूल के मैदान में जाकर खड़ा हो जाता है। वह वहां खड़ा स्कूल के दरवाजे पर देखता रहता हैं। समीर खामोश खड़ा वहां इधर-उधर देखने लगता है।
समीर बेहद उदास हो जाता है। अब समीर को दरवाजे पर एक बच्चा दिखता है, जो वहा खड़ा स्कूल की तरफ देख रहा होता है। थोड़ी देर बाद वह बच्चा वहां से चला जाता है। अब समीर हर रोज उस बच्चे को स्कूल के बाहर खड़ा देखता था। वह बच्चा और कोई नहीं गोलू था।
एक दिन समीर गोलू के पास चला जाता हैं। समीर उससे पूछता है, “तुम कौन हो बेटा? मैं समीर इस स्कूल में गणित का अध्यापक हूं।” गोलू यह सुनते ही समीर के पैर छू लेता है। समीर हैरान हो जाता है। समीर गोलू से कहता है, “यह तुम क्या कर रहे हो?” गोलू समीर से कहता है, “गुरु जी, मैं गोलू हूँ। आप एक अध्यापक है। इसलिए मैं आपसे आर्शीवाद ले रहा हूँ।”
समीर यह सुनकर बेहद प्रसन्न होता हैं। वह गोलू से पूछता है,”मैं तुम्हें रोज यहां खड़ा देखता हूँ। तुम यहां खड़े होकर क्या करते हो?” गोलू समीर से कहता है,”गुरुजी, मैं भी पढ़ना चाहता हूँ। मेरा सपना है कि मैं पढ़-लिख कर एक बड़ा आदमी बनू। मैं रोज यहां खड़ा होकर इस स्कूल को देखता हूँ। मुझे विश्वास है, एक दिन में भी यहां पढूंगा।”
यह कहकर गोलू वहां से चला जाता हैं। अब तक समीर को लग रहा था कि शायद रामपुर के बच्चे पढ़ना ही नहीं चाहते हैं। लेकिन गोलू की बातों ने समीर की सोच बदल दी थी।
समीर बाकी अध्यापकों के पास जाता है और उनसे पूछता है, “गुरुजी, क्या आपने कभी भी इन गांव वालों की सोच बदलने की कोशिश कि है?” सभी समीर की बातों से काफी बौखला जाते है। वह समीर से कहते है,” यदि उन्हें अपने बच्चों को पढ़ाना होता तो, वे उन्हें यहां अपने आप भेज देते। लेकिन यहां एक भी बच्चा नहीं आता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है, कि उन्हें अपने बच्चों को नहीं पढ़ाना है।”
समीर उन्हें कहता है कि, “लेकिन, यदि उनके बच्चों को पढ़ने की इच्छा हो तो?” वह अध्यापक समीर को तैश में कहते है, “अब हम एक-एक बच्चे को तो नहीं पूछ सकते है। यदि आपको इतनी ही दिक्कत है तो आप बच्चों को ले आइए। हम पढ़ा देंगे। लेकिन हम एक-एक घर पर जाकर बच्चे नहीं ला सकते है।”(शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी)
समीर को उनकी बातों से यह समझ आ जाता है कि उसे अब क्या करना है। अगले दिन समीर तैयार होकर रामपुर गांव में एक-एक घर में जाता हैं और समीर उनसे पूछता है कि क्या वह पढ़ना चाहते है? बच्चे तो कहते है, “हां, गुरुजी हम पढ़ना चाहते हैं।” लेकिन उनके माता-पिता समीर को दरवाजे से ही भगा देते थे। अब समीर को यह समझ आ गया था कि बच्चों को पूछने से कुछ नहीं होगा।
उसे उनके माता-पिता को समझाना होगा। उनकी सोच बदलनी पड़ेगी। उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक करना पड़ेगा। समीर सोचता है कि यदि गांव में एक की भी सोच बदल जाए तो वह बाकियों को भी समझा पाएगा। समीर बहुत सोचता है, तब समीर को गोलू याद आता है। समीर अगले दिन सबसे पहले गोलू के ही घर जाता है।
समीर, गोलू के घर जाकर उसके माता-पिता से मिलता है। गोलू, समीर को घर पर देखकर बेहद हैरान हो जाता है। समीर गोलू के माता-पिता से मिलता है और कहता हैं, “नमस्ते! मैं सरस्वती स्कूल में गणित का अध्यापक हूं।” यह सुनकर गोलू के माता-पिता बिल्कुल भी खुश नहीं होते हैं।
समीर उन्हें समझाता है, “मैं जानता हूँ कि आप मुझे देखकर बिल्कुल भी खुश नहीं हैं। लेकिन आप शायद यह नहीं जानते है कि गोलू पढ़ना चाहता है। मैं चाहता हूँ कि आप उसे एक मौका दे। वो पढ़-लिख कर आपका नाम रोशन करेगा। मैं भी पढ़ा हूं, तभी आज इतने बड़े पद पर हूँ। आपका बच्चा पढ़ना चाहता है, उसके भी अपने सपने है। आप एक बार गोलू के सपने के बारे में सोचिए।” गोलू के माता-पिता गोलू को देखने लगते हैं।
समीर उन्हें आगे समझाता है, “मैं जानता हूँ। आपका मानना है कि गोलू को आगे खेती-बाडी ही करनी है। उसके लिए उसे पढ़ने की क्या जरूरत है? लेकिन क्या आपको पता है। आजकल खेती-बाडी के लिए कितनी आधुनिक तकनीकें आ चुकी है। यहां तक की पराम्परागत खेती के लिए भी पढ़ना बहुत जरूरी है। यदि गोलू पढ़ेगा तो वो आगे जाकर आपके गांव का नाम पूरे विश्व में प्रसिद्ध कर सकता है। आपकी फसल पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो सकती है। यदि इस गांव के बच्चे पढ़ेंगे तो आपका गांव भी तरक्की कर सकता हैं और आपके बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सकता हैं। आज कल पढ़ाई जरूरी है और उसका काफी महत्व है।”
गोलू के माता-पिता को समीर की बातें समझ आ जाती है। वह पढ़ाई का जीवन में कितना महत्त्व है, यह समझ जाते हैं।
वह गोलू को पढ़ने की इजाजत दे देते है। गोलू समीर को धन्यवाद कहता है। गोलू बेहद खुश होता है।अब गोलू सरस्वती स्कूल में पढ़ने लगता हैं। गोलू को पढ़ता देख कर गांव के बाकी बच्चे भी सरस्वती स्कूल में पढ़ने के लिए आ जाते है। स्कूल के बाकी अध्यापक यह देख कर बेहद हैरान हो जाते है।
लेकिन समीर को किए वादे के अनुसार वे सभी बच्चों को पढ़ाने लगते है। उन्हें पहली बार लगता है कि वे सच में एक अध्यापक हैं। अब रामपुर गांव में सभी लोग शिक्षा के प्रति जागरूक हो गए थे। रामपुर गांव के सभी बच्चे सरस्वती स्कूल में पढ़ने जाने लग गए थे। रामपुर गांव के सभी लोग समीर की बेहद इज्जत करने लगे थे। (शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी)
अब गोलू और समीर दोनों का सपना साकार हो गया है। सरस्वती स्कूल का रिजल्ट भी हर साल अव्वल आता है। रामपुर गांव के लोगों को अपने बच्चों को यूं पढ़ता देख और उनका रिजल्ट देखकर बेहद खुशी होती हैं।
सरस्वती स्कूल के अध्यापकों को भी यह समझ आ गया था कि एक सच्चा अध्यापक क्या होता हैं। अब वह सभी अध्यापक भी समीर की बेहद इज्जत करते हैं और उसकी तरह ही एक सच्चा और अच्छा अध्यापक होने का दायित्व निभातें है।
शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी से शिक्षा
शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी ‘सच्चा शिक्षक’ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एक सच्चा और अच्छा अध्यापक हो तो हम जीवन में सफल हो सकते है। इससे हमें यह भी समझ आता है कि यदि हम सच्चे दिल से कुछ पाना चाहें तो वह हमें मिल ही जाता हैं। जीवन मे शिक्षा का क्या मोल होता है, इससे हमें यह भी पता लगता है।
Conclusion:- आपको आज की ‘सच्चा शिक्षक कहानी’ (शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी) पसंद आई होगी। आप इसी तरह हमारी वेबसाइट पर शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी पढ़ सकते हैं। यदि आपको आज की शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी ‘सच्चा शिक्षक’ पसंद आई तो हमें कमेंट में अपने विचार जरूर बताये।