चींटी की कहानी: आलसी मेंढक और चींटी की कहानी

चींटी की कहानी: नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए मेंढक और चींटी की कहानी लेकर आये हैं। यह चींटी की कहानी आपको मेहनत का पाठ सिखाती है। यह मेंढक और चींटी की कहानी एक आलसी मेंढक और मेहनती चींटी की है। आइए पूरा पढ़ते हैं चींटी की कहानी में-

आलसी मेंढक और चींटी की कहानी

एक बार एक जंगल था। उस जंगल में एक बेहद सुंदर झील थी। जंगल में वह झील बेहद खूबसूरत लगती थी। उस झील के आस-पास बहुत सारे पेड़-पौधे थे। उस झील के आस-पास बहुत खूबसूरत अलग-अलग प्रकार के रंग-बिरंगे फूल थे, जो उस झील को और भी ज़्यादा खूबसूरत बनाते थे। वह झील जंगल की शोभा में चार चांद लगाती थीं। जंगल के सभी जानवर, उस झील से ही पानी पीते थे और उसी झील से जंगल को पानी उपलब्ध होता था।

उस झील के पास एक किनारे पर एक छोटी सी चींटी रहती थीं। उस छोटी सी चींटी का नाम चिंकी था। वह चींटी दिखने में बेशक बेहद छोटी थी लेकिन वह बेहद मेहनती थी। वह चींटी सारा दिन खाने-पीने का सामान इकट्ठा करती रहती थीं।

चिंकी हर रोज खूब मेहनत करती और यहां-वहां खाना ढूंढती रहती थीं। वह दूर-दूर से खाना लेकर आती थीं। उस झील में एक मेंढक भी रहता था। उस मेंढक का नाम टिंकू था। टिंकू मेंढक बेहद आलसी था। वह सारा दिन झील में पड़ा रहता था। वह मेंढक स्वयं के खाने-पीने हेतु भी कोई मेहनत नहीं करता था।

टिंकू को जब भी खाने की आवश्यकता होती थी। वह हमेशा दूसरों का खाना चुरा कर खा लेता था। टिंकू मेंढक को अभी भी यह अहसास नहीं था कि मेहनत करना कितना जरूरी होता हैं। टिंकू मेंढक दूसरों का खाना खाता और मजे करता था। टिंकू मेंढक झील में पड़े-पड़े रोज चिंकी चींटी को दूर-दूर से खाना उठा कर लाते हुए देखता था।

टिंकू मेंढक सोचता था कि ये चींटी कितनी छोटी सी है। इसे तो खाने के लिए एक दाना भी काफी होगा। लेकिन फिर भी ये रोज इतना सारा खाना इकट्ठा करती रहती हैं। यह इतना काम और मेहनत क्यों करती हैं। टिंकू मेंढक को लगता था कि चींटी पागल है जो रोज इतना खाना लाती है और उसमें से खाती बहुत थोड़ा हैं।

चिंकी चींटी भी रोज टिंकू मेंढक को बिना मेहनत किए, सारा दिन आलस में पानी में पड़े हुए देखती थीं। चिंकी चींटी सोचती थी कि मेंढक उससे काफी बड़ा है। यदि वह थोड़ी सी भी मेहनत करे तो वो चिंकी से भी ज्यादा खाना केवल कुछ ही दिनों में इकट्ठा कर सकता हैं। चिंकी चींटी सोचती हैं कि मेंढक को तो उससे अधिक भूख लगती होगी, क्योंकि वह चिंकी से काफी बड़ा है। लेकिन टिंकू मेंढक फिर भी खाना तक ढूंढने नहीं जाता हैं। आखिर मेंढक अपने लिए भी कोई काम क्यों नहीं करता हैं? उसे लगता हैं कि मेंढक बेहद कामचोर हैं।

एक दिन चिंकी चींटी और टिंकू मेंढक आपस में बात करते हैं। चिंकी चींटी टिंकू मेंढक से पूछती हैं, “टिंकू मेंढक, तुम सारा दिन यूं ही पानी में पड़े रहते हो। तुम कोई काम क्यों नहीं करते हो? क्या तुम्हें भूख नहीं लगती है? तुम तो खुद के लिए खाना तक नहीं ढूंढने जाते हो। तुम अपनी भूख कैसे मिटाते हो?”

टिंकू मेंढक, चिंकी चींटी से कहता हैं, “मुझे कोई भी काम करना अच्छा नहीं लगता हैं। मुझे यूँ सारा दिन पानी में पड़े रहना अच्छा लगता हैं। मुझे भूख बहुत लगती हैं, लेकिन मैं खाना नहीं ढूंढता हूं। खाना मुझे अपने आप ढूंढ लेता हैं।”

टिंकू मेंढक ये कहकर हंसने लगता हैं। चिंकी चींटी को कुछ भी समझ नहीं आता है। टिंकू उसे कहता हैं, “मेरा मतलब जब भी कोई अपने लिया खाना लाता है, मैं उसमें से थोड़ा खुद के लिए ले लेता हूं और बाकी सभी को लगता हैं कि मैं चोरी करता हूं।”

चिंकी चींटी को अब सब समझ आ जाता हैं। चिंकी को भी बाकियों की तरह लगता हैं कि मेंढक अच्छा नहीं है। चिंकी को लगता हैं कि टिंकू मेंढक दूसरों की मेहनत को चुरा कर खा जाता हैं और वह एक चोर है, इसलिए वो एक बेहद बुरा मेंढक है। और वह अपने अलावा किसी और के बारे में नहीं सोचता है।

अब चिंकी मेंढक से कहती हैं, “टिंकू मेंढक, अभी तो तुम दूसरों का लाया हुआ खाना खा लेते हो। लेकिन क्या तुम्हें पता है कि बारिश का मौसम आने वाला है। और तब खाना मिलना मुश्किल हो जाएगा। तुम तब कैसे गुजारा करोगे? इससे अच्छा, तुम थोड़ी सी मेहनत करो और अपने लिए थोड़ा सा खाना इकट्ठा कर लो। जिससे तुम्हे बारिश के मौसम में तकलीफ ना हो।”

लेकिन टिंकू मेंढक को लगता हैं कि चिंकी चींटी यूं ही बोल रही हैं। टिंकू मेंढक चिंकी चींटी से कहता हैं, “तुम मेरी चिंता मत करो। मैं तो अपनी मस्ती में रहता हूं और वैसे भी मैं तो पानी मै तैर लूंगा। मुझे तो पानी में ही रहना पसंद है और मैं पानी में ही रहता हूं। लेकिन मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूं कि तुम बहुत छोटी सी हो लेकिन काम बहुत बड़े-बड़े करती हो। तुम काफी मेहनत करती हो। मैं तो कभी सपने में भी इतनी मेहनत ना कर पाऊं।”

टिंकू मेंढक चिंकी चींटी की बातों को अनसुना कर देता हैं। टिंकू वैसे ही रहता हैं जैसे वह था। अब कुछ दिनों बाद बारिश का मौसम शुरू हो जाता हैं। अब टिंकू मेंढक को खाने-पीने की मुश्किल हो जाती हैं। जैसे चिंकी चींटी ने कहा था वैसा ही होता हैं। अब काफी दिन बीत जाते हैं, बारिश का मौसम था और टिंकू मेंढक को इतने दिनों से कुछ भी खाने को नहीं मिलता है।

टिंकू ने अब काफी दिनों से कुछ भी नहीं खाया था, इसी वजह से टिंकू को बेहद भूख लगी होती हैं। अब टिंकू खाने के लिए तरस रहा होता हैं। टिंकू को लगता हैं कि कही से भी थोड़ा सा खाना मिल जाए तो टिंकू की जान बच जाएगी। टिंकू मेंढक को लगता हैं कि यदि अभी भी उसे खाने को कुछ भी नहीं मिला तो वो भूख से मर जाएगा।

अब टिंकू खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। लेकिन टिंकू को कहीं से भी खाने का एक दाना तक नहीं मिलता हैं। न ही टिंकू को कोई दिखता है जिससे वह खाना चुरा सके। बारिश के मौसम में अब रोज बारिश होने लगी थी।

धीरे-धीरे बारिश से जंगल की झील में पानी का स्तर तेजी से बढ़ने लगा था। इसकी वजह से टिंकू मेंढक का घर भी पूरी तरह से डूब गया था। अब टिंकू बेघर भूखा इधर-उधर भटक रहा था और वह भूख के मारे तड़फ रहा था। टिंकू मेंढक अपने बाकी मेंढक साथियों के पास जाता हैं। (चींटी की कहानी)

वह उनसे जाकर हाथ जोड़ कर खाने के लिए खाना मांगता हैं। लेकिन उनमें से कोई भी टिंकू की मदद नहीं करता हैं। वे सभी टिंकू की मदद इसलिए भी नहीं करते हैं क्योंकि वे सभी जानते थे कि टिंकू बेहद आलसी हैं और उसने अपनी भूख मिटाने के लिए एक समय पर दूसरों की मेहनत का खाना चुराया था।

वे सभी उससे कहते है कि टिंकु को जब यह मालूम था कि बारिश का मौसम आ रहा है तो उसे कुछ खाना इकट्ठा करके रखना चाहिए था। यदि टिंकू थोड़ी सी मेहनत कर लेता और अपने लिए खाना इकट्ठा कर लेता तो आज उसे इन सब तकलीफों का सामना नहीं करना पड़ता।

टिंकू मेंढक को अब कही से भी खाना नहीं मिलता हैं। जब कोई भी टिंकू मेंढक की मदद नहीं करता है तो अब टिंकू को भी लगने लगता हैं कि यदि वो समय रहते थोड़ी सी भी मेहनत कर लेता तो उसे आज इतनी मुश्किल नहीं होती। टिंकू मेंढक को अब मेहनत  अहमियत समझ आ जाती हैं। टिंकू को समझ आ गया था कि अच्छे भविष्य के लिए मेहनत करना कितना जरूरी होता हैं।

लेकिन टिंकू मेंढक को यह समझने में काफी देर हो चुकी थी। अब टिंकू को चिंकी चींटी की बातें याद आने लगी थी। टिंकू मेंढक को लगता हैं कि चिंकी चींटी उससे इतनी छोटी थी, लेकिन फिर भी वह उससे इतना ज्यादा काम करती थीं और वहीं टिंकू जो उससे इतना बड़ा था। वह आलस में पड़ा रहा।

अब टिंकू मेंढक बेहद उदास और निराश हो जाता हैं। बारिश की वजह से हर जगह पानी भर जाता हैं। टिंकू मेंढक को अब झील में चिंकी चींटी दिखाई देती हैं। जो कि पानी में डूब रही थी। टिंकू मेंढक को लगता हैं कि चिंकी चींटी तैर नहीं सकती है। इसलिए टिंकू मेंढक चिंकी चींटी की मदद करने पानी में चला जाता हैं। टिंकू मेंढक पानी में जाकर चिंकी चींटी को अपनी पीठ पर बैठाकर पानी से बाहर एक किनारे पर ले आता है। इस तरह टिंकू मेंढक चिंकी चींटी की जान बचा लेता हैं।

चिंकी चींटी टिंकू मेंढक का शुक्रिया अदा करती हैं। टिंकू मेंढक ने बिना किसी स्वार्थ के चिंकी चींटी की मदद की थी। चिंकी चींटी मेंढक की हालत देखती हैं। मेंढक बेहद उदास होता हैं। चिंकी चींटी टिंकू मेंढक से पूछती हैं कि, “टिंकू मेंढक क्या हुआ? तुम बेहद निराश लग रहे हो?”

अब टिंकू मेंढक चिंकी चींटी को सब कुछ बता देता हैं कि उसके पास खाने को कुछ भी नहीं है और उसकी कोई मदद भी नहीं कर रहा है। उसे समझ आ गया है कि मेहनत करना कितना जरूरी होता हैं। चिंकी चींटी को सब समझ आ जाता हैं।

चिंकी चींटी मेंढक को खाना देती हैं। मेंढक खाना खाकर चिंकी को धन्यवाद कहता हैं। अब टिंकू मेंढक भी मेहनत करना शुरू कर देता हैं। अब टिंकू मेंढक खुशी से रहता हैं और सारा दिन काम करता रहता हैं।

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मेंढक और चींटी की कहानी से शिक्षा

इस मेंढक और चींटी की कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती हैं कि हमें हमारे अच्छे भविष्य के लिए हमेशा मेहनत करनी चाहिए। यदि हम आज मेहनत करेंगे तो हम आने वाली मुश्किलों का आसानी से सामना कर सकते हैं। इस मेंढक और चींटी की कहानी से हमें यह भी सीखने को मिलता हैं कि यदि हम अच्छा करते है या किसी की बिना स्वार्थ के सहायता करते हैं तो हमारे साथ भी अच्छा ही होता हैं।

Conclusion: मेंढक और चींटी की कहानी को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद दोस्तों! आपको आज की हमारी चींटी की कहानी कैसी लगी? कमेन्ट करके जरूर बताए। साथ ही, यदि आप चींटी की कहानी की तरह ही और भी प्रेरणादायक हिंदी कहानियां पढ़ना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं।

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