दादी मां की कहानियां बच्चों वाली: आज मैं आपके लिए दादी मां की कहानियां बच्चों वाली लेकर आयी हूं, इस कहानी का नाम है- “कौवा और चिड़िया की कहानी“। हम सबने बचपन में ये कहानी अपने माता-पिता या दादा-दादी से सुनी होगी। आइए फिर से वो यादें ताजा करते हैं और दादी मां की कहानियां बच्चों वाली पढ़ते हैं-
दादी मां की कहानियां बच्चों वाली । कौवा और चिड़िया की कहानी
एक बार एक जंगल था। वह जंगल बेहद बड़ा और सुंदर था। उस जंगल में अनेक प्रकार के जानवर रहते थे। उस जंगल में एक कौवा भी रहता था। वो कौवा खुद को बेहद होशियार मानता था। वह कौवा केवल अपने बारे में सोचता है।
एक दिन वो कौवा बहुत भूखा था। कौवा जंगल में खाने की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। कौवे को जंगल में भटकते हुए अब काफी देर हो चुकी थी। लेकिन उसे खाने के लिए कुछ भी दिखाई नहीं देता हैं। कौवे की भूख अब बढ़ती जा रही थी।
काफ़ी देर बाद अब कौवे को जंगल में एक छोटी सी चिड़िया दिखाई देती हैं। कौवे को बेहद भूख लगी थी। इसलिए जैसे ही कौवा उस चिड़िया को देखता है, वह उसे खाने की सोच लेता हैं। कौवा अब उस चिड़िया को खाना चाहता था।
कौवा उस चिड़िया को खाने के लिए एक योजना बनाता हैं। कौवा उस चिड़िया के पास जाता हैं और उसे कहता हैं, “अरे ओ चिड़िया रानी, तुम यहां क्या कर रही हों? तुम्हें तो तुम्हारे घर वाले कब से ढूंढ रहे हैं।” चिड़िया कौवे की बात सुनकर उसे हैरानी से देखने लगती हैं। वो कौवे से पूछती हैं, “कौवा भईया, तुम मेरे घर वालों को जानते हो?”
कौवा चिड़िया से कहता हैं, “हां चिड़िया रानी, तुम्हारे घर वालों ने ही मुझे यहां भेजा है। उन्होंने मुझे कहा है कि मैं तुम्हें अपने साथ यहां ले आऊ। वो तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं।”
चिड़िया कौवे की बातों पर विश्वास कर लेती हैं। चिड़िया कौवे के साथ चली जाती हैं। कौवा उसे अपने पेड़ पर ले जाता हैं। चिड़िया को वहां कोई भी नहीं दिखाई देता हैं। चिड़िया कौवे से पूछती हैं, “कौवा भईया, यहां तो कोई भी नहीं है। मेरे घर वाले कहां हैं?”
कौवा उसे कहता हैं, “तुम यहां रुको चिड़िया रानी। मैं उन्हें लेकर आता हूं।” कौवा अन्दर जाकर रस्सी लेकर आता है। कौवा चिड़िया को देख कर हंसता है। चिड़िया को कौवे की नियत ठीक नहीं लगती हैं। चिड़िया कौवे को देखने लगती हैं। कौवा चिड़िया को पकड़ लेता हैं और उसे रस्सी से बांध देता हैं।
चिड़िया कौवे से पूछती हैं, “कौवा भईया, आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? आपने मुझसे झूठ बोला?” कौवा चिड़िया को देखता है और उसे कहता हैं, “अरे भोली चिड़िया रानी, इतना भी नहीं समझती तुम। वो सब झूठ था, ताकि तुम्हें अपने साथ यहां ला सकू।”
चिड़िया भावुक होकर कौवे से पूछती हैं, “आपने ऐसा क्यों किया कौवा भईया?” कौवा चिड़िया को बताता है, “मुझे तुम्हें खाना था। इसलिए मैं तुम्हे यहां झूठ बोलकर लाया हूं। अब मैं तुम्हें खा कर अपनी भूख मिटाऊंगा।” कौवे की बात सुनकर चिड़िया बेहद घबरा जाती हैं। अब चिड़िया को लगता हैं कि वो नहीं बचेगी वो कौवा उसे खा जाएगा।
चिड़िया इतनी बड़ी परेशानी में भी शांति से सोचती हैं। अब चिड़िया अपने दिमाग का इस्तेमाल करती हैं। चिड़िया कौवे से कहती हैं, “कौवा भईया, अब आप मुझे मार कर खा जाओगे। ये मेरा आखिरी समय है। अब मैं कुछ नहीं कर सकती हूं। लेकिन मेरी एक आखिरी इच्छा है। अगर आप उसे पूरा कर दे तो।”
कौवा चिड़िया से पूछता है, “बोलो चिड़िया रानी, तुम्हारी क्या आखिरी इच्छा है।” चिड़िया कौवे से कहती है, “कौवा भईया, आप मुझे खा लेना। लेकिन उससे पहले आप अपनी चोंच धो कर आओ। आपकी चोंच गंदी है। मेरी आखिरी इच्छा यही है।” कौवा चिड़िया की बात सुनता है और उसे मान भी लेता हैं। वह चिड़िया को कहता हैं, “ठीक है, चिड़िया रानी। तुम यहां रुको मैं अपनी चोंच धोकर आता हूं।”
अब कौवा अपनी चोंच धोने के लिए चला जाता हैं। कौवा दरिया पर चोंच धोने जाता हैं। कौवा वहां पहुंच कर, दरिया से कहता हैं, “दरिया ओ दरिया… तू दरिया जात, मैं कौवा जात। दे पानी, धोऊ चोंच और चिड़िया को मैं खा जाऊ।” इसका मतलब कौवा उसे कहता हैं कि तुम दरिया हो, मैं कौवा हूं। मुझे थोड़ा पानी दे दो। ताकि मैं अपनी चोंच धोकर चिड़िया को खा सकूं।
दरिया कौवे से कहता हैं कि, “कौवे, मैं तुम्हें पानी दे दूंगा। लेकिन तुम अपनी चोंच दरिया में मत डालना, वरना दरिया का सारा पानी खराब हो जाएगा। तुम एक काम करो। कही से एक प्याली ले आओ और उसमें पानी ले लो फिर तुम चाहे उस पानी का जो मर्जी करो।” दरिया की बात सुनकर कौवा पानी लेने के लिए प्याली लेने चला जाता हैं।
अब कौवा कुम्हार के पास प्याली लेने चला जाता हैं। कौवा कुम्हार से कहता हैं, “कुम्हार ओ कुम्हार…. तू कुम्हार जात, मैं कौवा जात। दे प्याली, ले पानी, धोऊ चोंच और चिड़िया को मैं खा जाऊ।” इसका मतलब कौवा कुम्हार से कहता हैं कि तुम कुम्हार हो और मैं एक कौवा हूं। तुम मुझे एक प्याली बना दो, ताकि दरिया से, मैं पानी लेकर, अपनी चोंच धो सकूं और मैं फिर चिड़िया को खा सकता हूं।
कुम्हार प्याली बनाने के लिए मिट्टी ढूंढने लगता हैं। लेकिन उसे मिट्टी नहीं मिलती हैं। तो कुम्हार कौवे से कहता हैं, “कौवा, मैं तुम्हें प्याली बना दूं। लेकिन मेरे पास मिट्टी खतम हो गई है। तुम मुझे मिट्टी ला दो। तो मैं तुम्हें प्याली बना दूंगा।” कुम्हार की बात सुनकर अब कौवा मिट्टी ढूंढने निकल जाता हैं।
अब कौवा मिट्टी के पास जाता हैं और उसे कहता हैं, “मिट्टी ओ मिट्टी….तू मिट्टी जात, मैं कौवा जात। दे मिट्टी, ले प्याली, ले पानी, धोऊ चोंच और चिड़िया को मैं खा जाऊ।” इसका मतलब कौवा मिट्टी से कहता हैं कि तुम मिट्टी हो, मैं कौवा हूं। तुम मुझे मिट्टी दे दो ताकि मैं प्याली बनवा सकूं और फ़िर उसमें पानी लेकर अपनी चोंच धोकर। मैं चिड़िया को खा सकूं।
अब मिट्टी कौवे बात सुनकर उसे कहती हैं, “कौवे, मैं तुम्हें मिट्टी तो दे दूं। लेकिन मैं बहुत सख्त हूं। मुझे तोड़ने के लिए तुम्हे सिंघाली (जंगली जानवर के सिंघ, जो पुराने समय में खुदाई करने में काम आते थे।)की जरूरत पड़ेगी। तुम सिंघाली ले आओ और मिट्टी तोड़ कर ले जाओ।” अब कौवा मिट्टी तोड़ने के लिए सिंघाली लेने जाता हैं।
अब कौवा गैंडे के पास जाकर उसे सब कुछ बताता हैं। कौवा गैंडे से कहता हैं, “गैंडा ओ गैंडा…तू गैंडा जात, मैं कौवा जात। दे सिंघाली, ले मिट्टी, ले प्याली, ले पानी, धोऊ चोंच और चिड़िया को मैं खा जाऊ।” इसका मतलब वो गैंडे से मिट्टी तोड़ने के लिए उसके सिंघ मांगता हैं और कहता हैं कि फिर मैं उस मिट्टी से प्याली बना कर, उसमें पानी लेकर, अपनी चोंच धोकर चिड़िया को खा सकूं। आशा है कि आपको दादी मां की कहानियां बच्चों वाली पसंद आ रही है।
गैंडे को कौवे की बात समझ आ जाती हैं। वो कौवे से कहता हैं, “कौवे, मैं तुम्हें अपने सींग तो दे दूं। लेकिन तुम मेरे सींग तभी ले सकते हो जब मैं मर जाऊ। अभी तो मैं जिंदा हूं। तुम एक काम करो कही से छुरा ले आओ। और फिर मुझे मार कर सींग ले जाओ।” कौवा गैंडे की बात समझ जाता हैं।
अब कौवा लोहार के पास जाता हैं। कौवा लोहार को भी सब कुछ बताता हैं और उसे कहता हैं, “लोहार ओ लोहार… तू लोहार जात, मैं कौवा जात। दे छुरा , ले सिंघाली, ले मिट्टी, ले प्याली, ले पानी, धोऊ चोंच और चिड़िया को मैं खा जाऊ।” इसका मतलब कौवा लोहार से कहता हैं कि तुम मुझे छुरा बना दो ताकि मैं गैंडे को मार कर उसके सींग ले सकू और फिर मिट्टी लेकर प्याली बनवा सकूं। फिर प्याली में पानी लेकर अपनी चोंच धोकर मैं चिड़िया को खा सकूं।”
लोहार कौवे से कहता हैं, “ठीक है, मैं तुम्हें छुरा बना देता हूं। तुम यहां थोड़ी देर बैठो मैं अभी छुरा बना कर लाता हूं।” अब लोहार छुरा बना कर कौवे के सामने देता हैं। लेकिन लोहार कौवे से ये कहना भूल जाता हैं कि छुरा अभी गरम है। लोहार अपने काम में व्यस्त हो जाता हैं। अब कौवा जैसे ही उस छुरे को उठा कर अपने साथ ले जाने के लिए अपनी गर्दन पर रखता है, वैसे ही कौवे की मौत हो जाती हैं। कौवा अपनी गलती की वजह से मर जाता हैं।
अब कौवे की एक मासी होती हैं, जो उस दिन कौवे का इंतजार कर रही होती हैं। वो सारा दिन बीत जाता हैं। लेकिन कौवा अपनी मासी के पास नहीं पहुंचता है। अब अगले दिन कौवे की मासी सोचती हैं कि वो कौवे के घर पर जाकर देखती हैं कि कौवा अभी तक क्यों नहीं आया है। कौवे की मासी जैसे ही वहां पहुंचती हैं, वो देखती हैं कि वहां पर एक चिड़िया बंधी हुईं थीं।
कौवे की मासी चिड़िया को देख कर हैरान हो जाती है। वह चिड़िया से पूछती हैं, “चिड़िया रानी, तुम यहां ऐसे क्यों बंधी हों? और मेरा कौवा कहां हैं?” चिड़िया अपना दिमाग लगाती हैं और वो उसे कहती हैं, “अगर आप चाहती है कि मैं आपको बताऊं कि आपका कौवा कहां हैं तो आप पहले मुझे खोलो।” कौवे की मासी तुरंत चिड़िया की रस्सी खोल देती हैं।
चिड़िया अब अपनी बुद्धिमता से कौवे का शिकार होने से बच जाती हैं। चिड़िया कौवे की मासी को बताती हैं कि कौवा अपनी चोंच धोने दरिया पर गया था। ये कहकर चिड़िया वहां से उड़ जाती हैं। कौवे की मासी कौवे को ढूंढती हुई दरिया के पास पहुंचती हैं। वह वहां जाकर दरिया से पूछती हैं, “दरिया ओ दरिया… मैं कौवे की मासी सुबह-सुबह बिना खाए-पिए यहां आई हूं। मैं कौवे को ढूंढ रही हूं। तुमने कौवे को कहीं देखा है क्या?”
दरिया कौवे की मासी को बताती हैं कि “कौवा तो कुम्हार के पास गया था, प्याली लेने के लिए। फिर वो अभी तक वापस नहीं आया है।” कौवे की मासी कौवे को ढूंढती हुई कुम्हार के पास जाती हैं। कौवे की मासी कुम्हार से कहती हैं, “कुम्हार ओ कुम्हार… मैं कौवे की मासी हूं। मैं सुबह-सुबह यहां बिना खाए-पिए आई हूं। तुमने कौवे को कहीं देखा है क्या?” कुम्हार उसे बताता हैं कि, “कौवा तो मिट्टी लेने गया था।”
अब कौवे की मासी मिट्टी के पास जाकर भी यही पूछती हैं। मिट्टी उसे बताती हैं कि कौवा सिंघाली लेने गया था। अब कौवे की मासी गैंडे के पास जाकर भी उसे वही कहती हैं। गैंडा उसे बताता हैं कि कौवा लोहार के पास छुरा लेने गया था। अब कौवे की मासी लोहार के पास जाती हैं और उसे कहती हैं, “लोहार ओ लोहार.. मैं कौवे की मासी हूं। सुबह-सुबह बिना खाए-पिए यहां आई हूं। तुमने कौवे को कहीं देखा है क्या?”
लोहार ये सुनकर उसे कहता हैं, “हां, मुझे पता है कौवा कहां हैं। तुम एक काम करो पहले आराम से यहां बैठो कुछ खा पी लो।” कौवे की मासी वहां बैठ जाती हैं। अब लोहार अंदर जाकर उसके लिए खाना बना कर ले आता है। कौवे की मासी अच्छे से पेट भर कर खाना खा लेती हैं। अब वो लोहार से कहती हैं, “अब बताओ कौवा कहां हैं?”
लोहार कौवे की मासी से कहता हैं, “ये जो तुमने अभी खाया है, ये तुम्हारा कौवा ही था। मैंने इसे छुरा बना कर दिया था। इसने चिड़िया को खाने के लालच में गरम छुरा अपनी गर्दन पर रख लिया और ये मर गया।” अब कौवे की मासी रोती हुई, वहां से वापस आ जाती हैं।
कौवा और चिड़िया की कहानी से शिक्षा
इस दादी मां की कहानियां बच्चों वाली से हमें ये शिक्षा मिलती हैं कि जब हम दूसरों के लिए गड्ढा खोदते है तो हम ही उसमें गिर जाते हैं। इसलिए हमें अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को हानि नहीं पहुचानी चाहिए। जैसे को तैसा मिलता हैं। इस दादी मां की कहानियां बच्चों वाली से हमें ये भी शिक्षा मिलती हैं कि हमें कितनी भी कठिन परिस्थिति में शांति से अपनी बुद्धि का उपयोग करना चाहिए।
Conclusion: दादी मां की कहानियां बच्चों वाली: कौवा और चिड़िया की कहानी एक काल्पनिक कहानी है। गैंडे का या किसी अन्य जंगली जानवर का शिकार करना और उसके मरने पर उसका उपयोग किसी भी तरह हथियार बनाना अवैध है। आपको आज की हमारी दादी मां की कहानियां बच्चों वाली कैसी लगी, हमें कमेन्ट करके जरूर बताए। साथ ही ये भी बताए कि आपने कौन-कौनसी दादी मां की कहानियां बच्चों वाली पढ़ी हैं।
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