जमीदार की कहानी (ek jamidar ki kahani)– आपने बहुत सारी हिंदी कहानियाँ सुनी होगी जिनमे से जमींदार की कहानियां भी शामिल होगी। आज मैं भी आपके लिए एक रोचक जमीदार की कहानी (एक जमींदार की कहानी) लेकर आयी हूं। इस जमीदार की कहानी की कहानी में पढ़िए की कैसे एक जमीदार के अंहकार का नाश होता है। है ना रोचक जमीदार की कहानी? आइए जमीदार की कहानी को पूरा पढ़ते हैं-
जमीदार की कहानी । Jamidar ki Kahani । एक जमींदार की कहानी
एक बार एक गांव में एक जमींदार रहता था। उस जमींदार का नाम गोपाल था। गोपाल जमींदार के पास बहुत सारी ज़मीन थी और वह बहुत धनवान व्यक्ति था। गोपाल को इस बात का बेहद घमंड था। वह खुद को सबसे बड़ा व्यक्ति मानता था।
गोपाल के खेत में बहुत सारे किसान काम करते थे। गोपाल जमींदार खुद को उनका भगवान मानता था। वह सोचता था कि जो वो किसानों से कहेगा वो वहीं करेंगे। गोपाल में इतना अहंकार था कि वह किसानों की तकलीफों को अनदेखा कर देता था और उन्हें कहता था यदि वे काम नहीं करेंगे तो गोपाल उन्हें पैसे नहीं देगा।
गोपाल ने बहुत सारे किसानों को उन्हीं की मेहनत कमाई तक नहीं दी थी। गोपाल के अनुसार वे किसान बीमार हुए तो गोपाल को उन खेतों की एक दिन ही सही परन्तु देखभाल करनी पड़ी। गोपाल जमींदार किसानों की मेहनत से ही इतना धनवान था परन्तु गोपाल उन्हें खुद से नीचा समझता था।
गोपाल ने किसानों के लिए इंसानियत तक नहीं दिखाई और उन्हें एक जानवर की तरह रखा। गोपाल जमींदार किसानों को भूखा तक रख चुका था और उसके अनुसार यदि वे एक दिन खाना नहीं खाएंगे तो मर नहीं जाएंगे। सभी किसान गोपाल के इस बर्ताव से बेहद दुःखी थे परन्तु वे कुछ कर भी नहीं सकते थे।
गोपाल जमींदार को घूमने-फिरने का बेहद शौक था। एक दिन गोपाल अपने गांव के पास वाले जंगल में जाकर घूमने का सोचता है। वह जंगल बेहद घना और बड़ा था। गोपाल को उस जंगल के रास्तों के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी। लेकिन गोपाल फिर भी उस जंगल में जाने का तय कर लेता हैं।
अगले दिन गोपाल अपने साथ बहुत सारा खाने-पीने का सामान और बाकी जरूरी चीजें ले लेता हैं। गोपाल अपने साथ बहुत सारे पैसे और जंगल का एक मैप भी ले लेता हैं। गोपाल को लगता हैं कि अब उसे कोई परेशानी नहीं आएगी। गोपाल जंगल में जाने के लिए निकल जाता हैं।
अब गोपाल जंगल के अंदर चला जाता हैं। जंगल में कुछ दूरी तक अंदर जाने तक तो गोपाल बिल्कुल खुश होता हैं और उसे लगता हैं कि अब वो आसानी से जंगल में घूम सकता हैं। लेकिन गोपाल जैसे जैसे जंगल में अंदर की ओर चलता जाता हैं वैसे-वैसे जंगल बेहद घना होता जाता हैं।
जंगल के घना होने के साथ-साथ गोपाल के लिए जंगल का रास्ता और भी मुश्किल होता जाता हैं। अब गोपाल को धीरे-धीरे उस जंगल के मैप पर विश्वास कम होने लगता हैं। गोपाल को यूं जंगल के अंदर जाते हुए तीन दिन हो जाते है। अब गोपाल जो अपने साथ जो खाने पीने का सामान और जरूरी चीजें लेकर आया था वो भी खत्म हो चुकी थी।
गोपाल को अब लगने लगता हैं कि उसे किसी भी तरह जल्द से जल्द इस जगह से निकलना होगा। गोपाल अब मैप के अनुसार जंगल से बाहर निकलने के रास्ते पर चलने लगता हैं। चलते-चलते शाम हो जाती हैं, अब गोपाल को यह समझ आ चुका था कि वो जंगल में रास्ता भटक चुका है, अब वो जंगल से बाहर नहीं निकल पाएगा।
गोपाल अब बेहद परेशान हो जाता हैं। गोपाल अगले दिन फिर से जंगल से बाहर निकलने की कोशिश करता हैं, लेकिन वह बाहर नहीं निकल पाता है। यूं गोपाल को जंगल में भटकते भटकते दो दिन बीत जाते हैं। गोपाल को बेहद ज़ोर से भूख और प्यास लगने लगती हैं, लेकिन उसके पास खाने-पीने को कुछ भी नहीं होता हैं।
अब गोपाल को अपनी गलतियां समझ आने लगती हैं। गोपाल को भूख की कीमत पता लग जाती हैं। वह अपने खेत में काम करने वाले किसानों की मेहनत और अहमियत भी समझने लगता हैं। गोपाल अब निराश जंगल में बैठा होता हैं। तभी गोपाल को किसी के आने की आवाज़ सुनाई देती हैं। गोपाल एक दम से खड़ा होकर देखने लगता हैं।
सामने से एक लकड़हारा आ रहा होता हैं। वह लकड़हारा गोपाल के पास आकर उसे पूछता है, “आप कौन है? और यहां क्या कर रहे हैं?” गोपाल उस लकड़हारे को सब कुछ बता देता हैं, “मैं यहां घूमने आया था, लेकिन रास्ता भटक गया। मैं यही पास के गांव से हूं। मुझे यहां फंसे हुए काफ़ी दिन बीत चुके हैं। मुझे बेहद भूख और प्यास लगीं हैं।”
लकड़हारा गोपाल की बात सुनकर उसे अपने हिस्से का खाना और पानी दे देता हैं। गोपाल जो इतना अहंकारी था,वो एक गरीब लकड़हारे खाना और पानी लेकर खा लेता हैं। उसके बाद, वह लकड़हारा गोपाल को जंगल से बाहर छोड़ देता हैं।
गोपाल अपने घर चला जाता हैं, लेकिन गोपाल अब पूरी तरह से बदल गया था। गोपाल अब सभी को एक समान मानता और सभी के प्रति इंसानियत भी रखने लगा था। गोपाल ने अपना अहंकार त्याग दिया था।
जमीदार की कहानी से शिक्षा (Moral of the story)
जमीदार की कहानी (jamidar ki kahani) से हमें शिक्षा मिलती हैं कि हमें कभी भी किसी भी चीज़ का अहंकार नहीं करना चाहिए। हमें सभी को एक समान रूप से देखना चाहिए और दूसरों के प्रति इंसानियत रखनी चाहिए।
Conclusion- दोस्तों, आपको जमीदार की कहानी (एक जमींदार की कहानी) कैसी लगी? हमें जमीदार की कहानी (जमींदार की कहानी) के बारे में अपने विचार जरूर कमेन्ट में जरूर बताए। इस जमींदार की कहानी (ek jamidar ki kahani) की तरह ही आप हमारी वेबसाइट पर और भी प्रेरणादायक हिंदी कहानियाँ पढ़ सकते हैं।