bandar ki kahani in hindi– कहानियाँ हमारा मनोरंजन तो करती ही है, लेकिन साथ ही हमें इनसे जिंदगी की कुछ महत्वपूर्ण शिक्षाएं भी मिलती हैं। आज हम आपके लिए ऐसी ही bandar ki kahani in hindi लाए हैं, जिसका नाम है- “बन्दर और नन्हीं चिड़िया की कहानी”। इस bandar ki kahani in hindi से आपको सच्ची मित्रता, अपनी गलतियों को सुधरना आदि शिक्षाएं मिलती है।
bandar ki kahani in hindi में पूरा पढ़िये कि कैसे एक नन्ही चिड़िया और बंदर की दोस्ती होती हैं? बंदर और नन्ही चिड़िया अपनी दोस्ती कैसे निभाते हैं और क्या वो अपनी दोस्ती निभा पाते है? पूरा पढ़िये bandar ki kahani in hindi में-
Bandar ki kahani in hindi (भाग-1)
एक बार एक जंगल था। जंगल बहुत बड़ा और बेहद खूबसूरत था। जंगल काफी हरा भरा था। उस जंगल में सभी प्रकार के जानवर रहते थे। जंगल के सभी जानवर अपने-अपने तरीके से काम करते और जीते थे।
उस जंगल में एक बंदर भी रहता था। वह बन्दर काफी उछल कूद करता था और बहुत सक्रिय रहता था। वह सारा दिन एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उछलता कूदता रहता था।
उस बंदर की एक बुरी आदत थी, वह हर जगह से जहां भी उसे कोई चीज मिल जाए, वह उसे वहां से उठा लेता था। उसे इस तरह चोरी करने की आदत थी। उसकी इस बुरी आदत की वजह से उसे बहुत डांट भी पड़ती थीं। लेकिन वह बन्दर बेहद नटखट था और उसे जो भी चीज पसंद आती थी, वह उसे चुरा लेता था।
उस जंगल में अलग-अलग पक्षी और जानवर रहते थे। एक बार वह बन्दर हमेशा की तरह ही एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उछल कूद कर रहा था। वह इसी प्रकार उछलते कूदते एक पेड़ पर पहुंच जाता हैं। वहां उसे एक चिड़िया का घोंसला दिखाई देता हैं। उस घोंसले में दो अंडे थे।
बन्दर को यह नहीं पता होता कि उस घोंसले में रखी हुई चीज क्या है? बन्दर को वो अंडे बेहद पसंद आ जाते हैं। बन्दर उसे चुराने की सोचता है। लेकिन उस घोंसले पर चिड़िया बैठी होती हैं, जो उन अंडों की निगरानी कर रही होती हैं। इस वजह से बंदर उस अंडे को चुरा नहीं पाता। लेकिन बन्दर वही बैठ कर चिड़िया का वहां से जाने का इंतजार करता हैं।
जैसे ही वह चिड़िया वहां से जाती हैं, वह बन्दर घोंसले के पास जाता हैं और उनमें पड़े अंडों को बड़ी उत्सुकता से देखने लगता हैं। बन्दर को वो अंडे काफी आकर्षित कर रहे थे। अब चिड़िया के आने का समय हो रहा था, इसलिए बन्दर वहां से जल्दी से एक अंडा उठाकर भाग जाता हैं।
जब चिड़िया वापस आती हैं तो वो देखती हैं कि उस घोंसले में से एक अंडा गायब था। चिड़िया बहुत परेशान होती हैं। वह इधर-उधर सभी जगह देखती हैं। लेकिन उसे उसका अंडा कहीं नहीं मिलता है। चिड़िया अपने घोंसले पर वापस लौट जाती हैं, परन्तु चिड़िया बेहद दुःखी होती हैं।
बन्दर अंडे को लेकर अपने पेड़ पर वापस आ जाता हैं। बन्दर हर बार की तरह वह अंडा भी उसी जगह रख देता हैं, जहां वह अपनी चुराई हुई चीजों को लाकर रखता था। बन्दर उस अंडे को वहां रखने के बाद उसे एकटक देखने लगता हैं। बन्दर के काफी देर लगातार देखने के बाद, उस अंडे में अचानक हलचल होने लगती हैं। बन्दर को कुछ समझ नहीं आता है कि वह अंडा क्यों हिल रहा है? और कैसे हिल रहा है?
बन्दर उस अंडे को हैरानी से देखने लगता हैं। अचानक अंडे में एक दरार आ जाती हैं और वो अंडा देखते देखते टूट जाता हैं।
बन्दर हैरान हो जाता हैं कि अंडा एकदम से टूट कैसे गया? अंडे के टूटते ही उसमें से एक नन्ही सी चिड़िया निकलती हैं। वह नन्ही चिड़िया बेहद मासूम और छोटी होती हैं। बन्दर उसे देखता रहता हैं। बन्दर को नन्ही चिड़िया को देखकर लगता हैं कि उसने अंडे को चुराकर गलत किया है।
बन्दर वापस चिड़िया के पेड़ पर जाता हैं, लेकिन उसे वहां वह चिड़िया नहीं मिलती है। बन्दर सोच में पड़ जाता हैं कि अब वो नन्ही चिड़िया का क्या करेगा। बन्दर जब अपने पेड़ पर वापस जाता हैं तो नन्हीं चिड़िया बन्दर को देखते ही खुश हो जाती हैं। वो उस बंदर के पास जाती हैं और उसे गले से लगा लेती हैं।
बन्दर को चिड़िया की मासूमियत बेहद पसंद आती हैं। वह अब सोच लेता हैं कि वो उस नन्हीं चिड़िया की देखभाल करेगा। नन्ही चिड़िया को अब भूख लगती हैं, बन्दर अब सोचता है कि वो नन्हीं चिड़िया को क्या खाने के लिए दे। बन्दर नन्हीं चिड़िया से कहता हैं कि नन्हीं चिड़िया वही रूके और बंदर के आने का इंतजार करे । बंदर यह कहकर नन्हीं चिड़िया के लिए खाने की तलाश में निकल जाता हैं।
बन्दर पूरे जंगल में खाना तलाश करता हैं, बन्दर को बहुत फल नजर आते हैं। बंदर उनमें से कुछ फल तोड़ता हैं और नन्हीं चिड़िया के लिए लेकर जाने लगता हैं। रास्ते में बन्दर को एक नदी दिखती हैं, वह सोचता है कि नन्हीं चिड़िया को पानी भी चाहिए होगा। वह सोचता है कि नन्हीं चिड़िया के लिए पानी भी लेकर जाए इसके लिए बंदर पानी को हाथ में लेता हैं लेकिन पानी तुरंत बंदर के हाथों से फिसल जाता हैं।
अब बन्दर सोचता है कि इस तरह वो पानी नहीं लेकर जा सकता। तभी बंदर को पास में ही बड़े-बड़े पत्तों वाला पेड़ नजर आता है। उस पेड़ के पत्ते बड़े और कुछ कटोरेनुमा थे। बन्दर दो-तीन पत्तों को एक के ऊपर एक रख देता हैं और उसमें पानी भर देता हैं।
अब बंदर अपनी होशियारी से नन्हीं चिड़िया के लिए खाना और पानी लेकर जाता हैं और अपने पेड़ पर जाकर उस नन्हीं चिड़िया को खाना और पानी दे देता हैं। नन्हीं चिड़िया उसे थोड़ा सा खा लेती है और पानी पी लेती हैं।
अब नन्हीं चिड़िया बन्दर को ही अपना परिवार मानने लगती हैं। नन्हीं चिड़िया को ये बात नहीं पता थीं कि बंदर ने उसे उसके असली परिवार से दूर किया है और वो उसे चुराकर लाया है। अब बंदर धीरे-धीरे रोज नन्हीं चिड़िया के लिए खाना और पानी लेने जाता था। बंदर और नन्हीं चिड़िया अब बेहद अच्छे दोस्त बन चुके थे।
अब नन्हीं चिड़िया बड़ी होने लगी थी। नन्हीं चिड़िया रोज आसमान में अपनी तरह बाकी चिड़ियों को देखती थी। परंतु वह सोचती थी कि ये चिड़िया मेरे जैसी दिखती हैं लेकिन ये उड़ती कैसे हैं? नन्हीं चिड़िया को उड़ना नहीं आता था। आशा है कि आप bandar ki kahani in hindi को एन्जॉय कर रहे हैं।
अब उस दिन बंदर वापस पेड़ पर आता है तो नन्हीं चिड़िया बन्दर से पूछती हैं, “बंदर भईया, मैं रोज मेरी जैसी बड़ी चिड़िया को आसमान में उड़ते देखती हूँ। मुझे बताओ ये उड़ती कैसे है? क्या मैं भी उनकी तरह उड़ सकती हूं?”
बंदर नन्हीं चिड़िया की बातें सुनकर बेहद परेशान हो जाता हैं। वह सोचने लगता हैं कि वो अब नन्हीं चिड़िया को उड़ना कैसे सिखाएगा? बंदर को इस बात का बेहद दुःख होने लगता हैं, बंदर नन्हीं चिड़िया के सवाल का जवाब दिए बिना वहां से चला जाता हैं।
बंदर उदास होकर नन्हीं चिड़िया के सवालों के जवाब के बारे में सोच रहा होता हैं, तभी बंदर को एक पेड़ पर एक चिड़िया दिखती हैं। वह चिड़िया अपने बच्चों को उड़ना सिखा रही होती हैं।
बंदर उस चिड़िया को देखता है कि चिड़िया अपने बच्चों को उड़ना सीखने के लिए उन्हें पंख खोलना और फैलाना सिखाती हैं। फिर चिड़िया पेड़ से कूद कर अपने पंखों से उन्हें उड़ना सिखाती हैं। चिड़िया अपने बच्चों को पेड़ से कूदने के लिए ओर उड़ने के लिए हौसला देती हैं। अब बंदर को ये समझ आ जाता हैं कि उसे नन्हीं चिड़िया को उड़ना कैसे सिखाना है।
बंदर वापस अपने पेड़ पर जाता हैं और नन्हीं चिड़िया को कहता हैं, “नन्हीं चिड़िया, तुम्हें उड़ना सिखना है तो मैं तुम्हें उड़ना सिखाउंगा। बस जैसा मैं कहूं तुम वैसा ही करना।” नन्हीं चिड़िया बन्दर की बात सुनकर बेहद खुश हो जाती हैं। नन्हीं चिड़िया बंदर को खुशी से देखती रहती है।
बंदर चिड़िया से कहता हैं कि तुम्हारे पास जो पंख है तुम उसे खोलो और फैला लो.. और फिर बंदर पेड़ से कूदने लगता हैं और नन्हीं चिड़िया से कहता हैं कि ऐसे कूद कर उड़ जाओ। लेकिन जैसे ही बंदर पेड़ से कूदता हैं, वह उड़ता नहीं बल्कि नीचे गिर जाता हैं। नन्हीं चिड़िया भोली थी, वो जैसे बंदर करता हैं वैसे ही नन्हीं चिड़िया करने लगती हैं।
बंदर नीचे खड़ा होता हैं। जैसे ही नन्हीं चिड़िया कूदती है वो भी बंदर की तरह नीचे गिर जाती हैं। लेकिन बन्दर उसे पकड़ लेता हैं और नन्हीं चिड़िया को चोट नहीं लगती हैं।
बंदर कई बार कोशिश करता हैं लेकिन वो हर बार नीचे गिर जाता हैं और नन्हीं चिड़िया भी बंदर की तरह नीचे गिर जाती हैं। बंदर नन्हीं चिड़िया से कहता हैं कि तुम अपने पंखों से उड़ो। नन्हीं चिड़िया बंदर से कहती हैं, “बंदर भईया, जैसे आप कर रहे हैं मैं भी वैसे ही कर रही हूं।”
बंदर नन्हीं चिड़िया को देखता है कि नन्हीं चिड़िया कितनी मासूम हैं। अब बंदर सोच में पड़ जाता हैं कि वो नन्हीं चिड़िया को उड़ना कैसे सिखाएगा।
Bandar ki kahani in hindi (भाग-2)
कुछ दिन बाद बन्दर को एक तरकीब सुझती हैं। वह एक केले के पेड़ के कुछ पते तोड़ता हैं और उन्हें पंखों की तरह बना देता हैं। बंदर नन्हीं चिड़िया के पास जाता हैं और केले के पेड़ के पतों से बने पंखों की मदद से वह नन्हीं चिड़िया को उड़ना सिखाता हैं। वह नन्हीं चिड़िया को कहता हैं कि ये देखो ये मैंने पंख फैला लिए (केले के पतों के पंखों को फैलाते हुए) और फिर बंदर पेड़ से कूद जाता हैं। बंदर हर बार की तरह नीचे गिर जाता हैं। बंदर घबराने लगता हैं कि नन्हीं चिड़िया अब उड़ेगी या नहीं?
अब नन्हीं चिड़िया बंदर की तरह अपने पंख फैलाती है और पेड़ से कूद जाती हैं। इस बार नन्हीं चिड़िया थोड़ा सा उड़ती है और फिर से गिर जाती हैं। बंदर बेहद खुश होता हैं कि नन्हीं चिड़िया उड़ रही थी।
अब बंदर दो-तीन बार नन्हीं चिड़िया को उड़ना सिखाता हैं, बन्दर हर बार नीचे गिरता है लेकिन नन्हीं चिड़िया उड़ना सिख जाती हैं। बंदर को यूँ बार-बार पेड़ से गिरने पर चोट आती हैं लेकिन नन्हीं चिड़िया को उड़ता और खुश देखकर बंदर बेहद खुश हो जाता हैं।
अब नन्हीं चिड़िया बड़ी हो गई थी लेकिन बन्दर के लिए तो अभी भी वो नन्हीं चिड़िया ही थीं। अब नन्हीं चिड़िया रोज खुद उड़कर जाती और अपने लिए खाना-पानी की तलाश करती।
नन्हीं चिड़िया जब खुद अपना खाना लाती है तो उसे ये अहसास होता हैं कि इतने समय से बंदर किस तरह नन्हीं चिड़िया लिए खाना और पानी लेकर आता होगा। चिड़िया बेहद भावुक हो जाती हैं। नन्हीं चिड़िया बंदर के पास वापस जाती हैं और उसे गले से लगा लेती हैं।
अब बन्दर और नन्हीं चिड़िया को एक साथ रहते हुए काफी समय बीत गया था। बंदर के बाकी बंदर दोस्तों को नन्हीं चिड़िया और बंदर की दोस्ती से बिल्कुल खुशी नहीं होती थी। बंदर के दोस्त उसे रोज उकसाते थे कि वो नन्हीं चिड़िया को बेच दे। लेकिन बन्दर नन्हीं चिड़िया को नहीं बेचना चाहता था।
अब बंदर के दोस्तों ने एक योजना बनाई। उस योजना के मुताबिक बंदर के दोस्त नन्हीं चिड़िया के पास जाते हैं और उसे कहते है कि, “नन्हीं चिड़िया, तुम तो बंदर के साथ खुश रहती हो। लेकिन तुम्हारी वजह से बंदर को हमारे बाकी बंदर अपने से दूर रखते है। तुम्हें अच्छा लगेगा, यदि बंदर को तुम्हारी वजह से खुद की प्रजाति के जानवरों से दूर रहना पड़े।”
बंदर नन्हीं चिड़िया से आगे कहते हैं कि, “हम तो तुम्हें बस सच बताने आए थे।” ये कहकर वे वहां से चले जाते है। नन्हीं चिड़िया को बेहद दुःख होता हैं कि उसकी वजह से बंदर को उसी के लोगों से दूर रहना पड़ रहा है। अब नन्हीं चिड़िया बंदर से बात करना बंद कर देती हैं और उससे दूर रहने लगती हैं। बंदर को कुछ समझ नहीं आता है कि नन्हीं चिड़िया ऐसा क्यों कर रही हैं।
कुछ दिनों बाद बन्दर के दोस्त बंदर को कहते है, “देखा? तुमने इस चिड़िया के लिए इतना सब किया और ये तुम्हें ही कुछ नहीं मानती। अभी भी समय हैं इसे बेच दो हमें बहुत पैसे मिलेंगे।”
बंदर भी उनके भड़काने पर भड़क गया और गुस्से में आकर अपने दोस्तों से कहता है कि, “हां, तुम सही कह रहे हो।” नन्हीं चिड़िया बंदर और उसके दोस्तों की बातें सुन लेती है, लेकिन नन्हीं चिड़िया बंदर से कुछ भी नहीं कहती हैं।
अगले दिन बन्दर नन्हीं चिड़िया को झूठ बोलकर अपने साथ ले जाता हैं। बंदर नन्हीं चिड़िया को एक शिकारी की दुकान पर ले जाता हैं और उसे कहता हैं, “नन्हीं चिड़िया, तुम यहां बैठो और मेरा इंतजार करना। मैं वापस आकर तुम्हें ले जाऊंगा।” नन्हीं चिड़िया बंदर की बात मान लेती हैं। लेकिन वह जानती थी कि अब बंदर वापस नहीं आएगा।
बन्दर जब वापस लौट कर अपने पेड़ पर आता है तो वो वहां आकर बेहद उदास हो जाता हैं। बंदर को नन्हीं चिड़िया की बेहद याद आने लगती हैं। बंदर अब पेड़ पर बेहद उदासी और ख़ामोशी के साथ बैठा रहता हैं।
थोड़ी देर बाद बन्दर को पेड़ पर कुछ चीजें नजर आती है। बंदर उन्हें देखने लगता हैं, वहां पर कुछ फल, पतों में पानी, केले के पते से बने पंख और नन्हीं चिड़िया की बंदर के लिए लिखीं हुई कुछ बातें थी।
नन्हीं चिड़िया बंदर के लिए लिखती है कि, “बंदर भईया, आपके दोस्तों ने मुझे बताया कि आप मेरी वजह से अपनी ही प्रजाति के लोगों से दूर हो गए हैं। ये जानकर मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। मैंने आपकी और आपके दोस्तों की बातें सुनी थीं। मैं जानती हूं आप मुझे बेचने जा रहे हो।”
चिड़िया ने आगे लिखा था, “आपने मेरे लिए इतना सब किया है, इसलिए मैं आपके लिए इतना तो कर ही सकती हूं। बंदर भईया, मुझे माफ कर देना अगर मैंने आपका दिल दुखाया हो तो। अब आपको अपने लोगों से दूर नहीं रहना पड़ेगा। भईया आज मैं आपके लिए खाना और पानी लेकर आई हूं, जैसे आप मेरे लिए लाते थे।”
बंदर नन्हीं चिड़िया की बातों से बेहद उदास और भावुक हो जाता हैं। बंदर को अब अपनी गलती का अहसास हो जाता हैं। उसे समझ आ जाता हैं कि उसके नकली दोस्तों की वजह से उसने अपने एक बेहद करीबी और खास दोस्त को खो दिया है। बंदर तुरंत उस दुकान पर वापस जाता हैं, और दुकानदार को सारे पैसे वापस कर देता हैं और नन्हीं चिड़िया को वहां से लेकर वापस पेड़ पर आ जाता हैं।
बंदर नन्हीं चिड़िया से माफी मांगता है। बंदर नन्हीं चिड़िया से कहता हैं, “नन्हीं चिड़िया, मुझे माफ कर दो। मैंने मेरे नकली दोस्तों के जाल में फंसकर तुम्हारे साथ बहुत बुरा किया।”
नन्हीं चिड़िया बंदर से कहती हैं, “नहीं बंदर भईया, आप माफी मत मांगो। मेरी वजह से आप अपने ही लोगों से दूर रहो ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा।”
बंदर नन्हीं चिड़िया से कहता हैं कि, “तुम्हारी वजह से मैं अपने लोगों से दूर नहीं हुआ हूं, बल्कि मेरी वजह से तुम अपने परिवार से दूर हो गई। मैंने तुम्हें चुराया था और मेरी वजह से आज तक तुम अपने परिवार से दूर हो। मुझे माफ कर दो।”
नन्हीं चिड़िया को ये सुनकर बेहद आश्चर्य होता हैं, परन्तु उसने देखा था, किस प्रकार बंदर ने नन्हीं चिड़िया के लिए इतना सब किया था। नन्हीं चिड़िया बंदर को माफ कर देती हैं और उसे गले से लगा लेती हैं। नन्हीं चिड़िया और बंदर फिर से दोस्त बन जाते हैं।
कुछ समय बाद बन्दर और नन्हीं चिड़िया मिलकर नन्हीं चिड़िया के परिवार को ढूंढ लेते हैं। बंदर नन्हीं चिड़िया के परिवार से माफ़ी मांगता हैं। नन्हीं चिड़िया के कहने पर उसके परिवार वाले बंदर को माफ कर देते हैं। अब नन्हीं चिड़िया अपने परिवार के साथ रहती थी और बंदर भी उसके पास ही रहता था और बंदर ने अपनी चोरी की आदत भी छोड़ दी थी।
बन्दर और नन्हीं चिड़िया की कहानी से शिक्षा (Moral of the story)
bandar ki kahani in hindi से हमें ये शिक्षा मिलती हैं कि हमें कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि हमारी वजह से किसी ओर की बेहद कीमती चीज़ उनसे दूर हो जाती हैं। हमें कभी भी दूसरों की बातों में आकर अपने दोस्त को धोखा नहीं देना चाहिए। इससे कभी कभी हम अपने बेहद अजीज दोस्त को खो देते हैं या उन्हें मुसीबत में डाल देते हैं।
दोस्तो आपको bandar ki kahani in hindi कैसी लगी, हमें कमेन्ट में बताएँ। आज की bandar ki kahani in hindi पूरी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद!