ईमानदार दुकानदार की कहानी । Story of an honest shopkeeper in hindi

Story of an honest shopkeeper in hindi – आज के लेख में हम आपके लिए ईमानदार दुकानदार की कहानी (Imandar dukandar ki kahani) लेकर आए है। हम सबने ईमानदारी पर बहुत सारी हिंदी कहानियां सुनी है। लेकिन यह ईमानदार दुकानदार की कहानी (Story of an honest shopkeeper in hindi) बहुत ही रोचक है। यह दोनों ईमानदार दुकानदार की कहानी आपको ईमानदारी के लिए प्रेरित करती है और बताती है कि ईमानदारी भी हमारा एक कर्तव्य है। तो आइए पढ़ते हैं ईमानदार दुकानदार की कहानी

ईमानदार दुकानदार की कहानी । Imandari par kahani । Story of an honest shopkeeper in hindi

एक बार धन की देवी मां लक्ष्मी और दरिद्रता की देवी में झगड़ा हो गया। एक कहती कि मैं ज्यादा सुंदर हूं तो दूसरी कहती कि मैं। अंत में दोनों अपने झगड़े का फैसला करवाने के लिए शिवजी के पास पहुंची।

शिवजी भी इन दोनों के बीच नहीं पङना चाहते थे। उन्होंने सोचा कि अगर किसी एक को सुंदर बता दिया तो दूसरी नाराज हो जाएगी।

उन्हीं दिनों स्वर्गलोक में आए दिन की वार्ता का विषय धरती लोक का एक ईमानदार दुकानदार बना हुआ था। उस दुकानदार की ईमानदारी की कहानी आए दिन स्वर्ग लोक में सुनाई जाती थी। साथ ही, दुकानदार की बुद्धिमत्ता की भी दाद दी जाती थी।

शिवजी उस दुकानदार की बुद्धिमानी की परीक्षा लेना चाहते थे। तो शिवजी ने मन ही मन कुछ सोचा और दोनों देवियों से कहा कि इसका फैसला मैं तो नहीं कर सकता। लेकिन धरती लोक पर एक दुकानदार है, वह शायद तुम्हारी समस्या को हल कर दे। आप दोनों उस ईमानदार दुकानदार के पास जाओ और उसी से अपना सवाल पूछो।

इतना सुनते ही दोनों देवियों वहां से अंतर्ध्यान हो गई और धरती लोक पर उस ईमानदार दुकानदार के पास पहुंची। दोनों देवियों ने एक-एक करके अपना परिचय दिया। एक ने बताया कि वह धन की देवी मां लक्ष्मी है और दूसरी ने बताया कि वह दरिद्रता की देवी है। फिर उन्होंने अपना सवाल पूछा कि उन दोनों में से ज्यादा सुंदर कौन है?

दुकानदार चिंता में पड़ गया। अगर वह किसी एक को सुंदर बताता तो उसे दूसरी के प्रकोप का सामना करना पड़ता। इसलिए उसने कहा कि “आप कल ठीक इसी समय यहां आना तब मैं आपको जवाब दूंगा।” दुकानदार पूरी देर इस समस्या का समाधान ढूंढता रहा।

अगले दिन ठीक उसी समय दोनों देवियाँ दुकानदार के पास पहुंच गई और पूछा कि हम दोनों में से ज्यादा सुंदर कौन है? तो दुकानदार ने कहा कि “पहले आप दोनों दिखाई दे रहे उस पीपल के पेड़ को छूकर आओ। उसके बाद मैं आपको बताऊंगा कि ज्यादा सुंदर कौन है?”

अब दोनों देवियाँ उस पीपल के पेड़ को छूकर आई तो दुकानदार ने कहा कि “आप दोनों ही सुंदर है। लेकिन दोनों की सुंदरता अलग-अलग तरह से दिखाई देती है। मां लक्ष्मी आप आती हुई ज्यादा सुंदर लगती है और दरिद्रता की देवी आप जाती हुई ज्यादा सुंदर लगती हैं।”

दोनों देवियाँ खुश हो गई। उसके बाद मां लक्ष्मी उस दुकानदार के पास से कभी गई नहीं और दरिद्रता की देवी कभी वहां आई नहीं। इस तरह उस दुकानदार के घर में सुख-समृद्धि बनी रही।

सीख – हमें सदैव बुद्धिमत्ता से काम लेना चाहिए।

ईमानदार दुकानदार की कहानी । ईमानदारी पर छोटी कहानी with moral । Imandar dukandar ki kahani

एक बार एक 5-6 साल का बच्चा था। वह अक्सर अपने माता-पिता को खरीददारी करते देखता, तो वह यह तो जानता था कि पैसों से चीज खरीदी जाती है। लेकिन उसे यह मालूम नहीं था कि किस चीज के कितने पैसे दिए जाते हैं।

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एक दिन उसने अपने घर से ₹2000 निकाल लिए और एक दुकानदार के पास पहुंचा और पैसे देकर एक गुलाबी प्लास्टिक बॉल की ओर इशारा किया कि मुझे यह चाहिए। वह बॉल मुश्किल से ₹10 या ₹20 की होगी।

दुकानदार ने उसे वह बॉल दे दी और बाकी पैसे उस बालक ने नहीं मांगे तो नहीं दिए। जब वह बच्चा घर गया तो वह ईमानदार दुकानदार भी उसके पीछे-पीछे उसके घर पहुंचा।

दरवाजा खटखटाने पर एक व्यक्ति ने दरवाजा खोला जो बहुत ही सभ्य पोशाक में था। दुकानदार ने उस व्यक्ति को अभिवादन कर वह नोट उनके हाथ में थमा दिया और कहा कि “जरा अपने बच्चों का ख्याल रखिए। इन पैसों के बदले वह मुझसे एक प्लास्टिक बॉल लेकर गया है। इस उम्र में बच्चों का ध्यान नहीं रखा जाए तो बड़े होने पर यह उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।”

वह इंसान उस दुकानदार की ईमानदारी देखकर बहुत प्रभावित हुआ और उसने उसे इनाम देना चाहा। लेकिन उस ईमानदार दुकानदार ने अपनी बॉल के रुपयों के अलावा और कुछ नहीं लिया और कहा कि “ईमानदारी मेरा कर्तव्य है, मेरा व्यवसाय नहीं।”

सीख – हमें अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए और ईमानदारी को हमें अपना कर्तव्य समझना चाहिए।

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आज के लेख में मैंने आपको दो ईमानदार दुकानदार की कहानी बताई। आशा है कि आपको यह दोनों ईमानदार दुकानदार की कहानी पसंद आई होगी। आपको यह imandar dukandar ki kahani कहानी कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताएं। यदि आप भी अपनी कोई हिंदी कहानी पब्लिश करवाना चाहती है तो हमें kamleshsihagbhambhu@gmail.com ईमेल पत्ते पर भेज सकते हैं।

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