Ek Chatur Kisan aur Bhalu ki Kahani: आज हम आपके लिए चतुर किसान और भालू की कहानी लेकर आए हैं। यह एक भालू और किसान की कहानी है। इस कहानी में एक चतुर किसान एक बुरे भालू को बेवकूफ़ बनाता है। पूरा जानने के लिए पढ़िए चतुर किसान और भालू की कहानी (Chatur Kisan aur Bhalu ki Kahani)
Chatur Kisan aur Bhalu ki Kahani
एक बार की बात है। एक गांव में एक किसान रहता था। किसान बेहद गरीब था और उसके पास खुद की जमीन भी नहीं थी। वह अक्सर बड़े किसानों की जमीनों में मेहनत करता और उसे हिस्से में ज्यादा कुछ नहीं मिलता। वह बहुत परेशान था तो उसने सोचा कि इस बार मैं खुद की जमीन पर खेती करूंगा।
गांव में किसी के बिना कब्जे वाली जमीन मिलना नामुमकिन था। तो वह पास के जंगल में चला गया। वहां उसने कुछ जमीन साफ करी, कंकड़ पत्थर आदि हटाए, झाड़ियां साफ करी और फसल की बुवाई करने लगा। तभी वहां जंगल से एक भालू आ पहुंचा। भालू ने गुस्से से कहा “मूर्ख आदमी, तुम यहां क्या कर रहे हो? यह जमीन मेरी है। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, इस जमीन पर हल चलाने की? यहां से भाग जाओ, अन्यथा मैं तुम्हें मार डालूंगा।”
बेचारा किसान चिंता में पड़ गया। उसने सोचा कि बहुत ही मुश्किल से तो खेती करने लायक जमीन का टुकड़ा मिला था। यह जमीन भी अब भालू के डर से छोड़ दूंगा तो अपने परिवार को क्या खिलाऊंगा?
उसने बहुत ही हिम्मत से हाथ जोड़कर भालू से कहा, “अरे भालू भैया, यह जमीन आपकी ही है। मैं इस पर कब्जा नहीं करने वाला हूं। मैं आपसे पूछना भूल गया, इसके लिए मुझे माफ करना। पर मैं इस पर फसल बोने वाला हूं। इस जमीन पर मेहनत मैं करूंगा और फसल का आधा हिस्सा आपको दे दूंगा। फसल का ऊपर का हिस्सा में आपको दे दूंगा। मैं खुद तो जड़ें लेकर ही संतुष्ट हो जाऊंगा।”
भालू मन ही मन सोच रहा था कि सौदा तो फायदे वाला है। भालू ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, मुझे मंजूर है। लेकिन कोई साजिश करने की कोशिश मत करना, वरना मैं तुम्हें खा जाऊँगा।” इतना कहकर भालू जंगल में चला गया।
अब किसान ने खेत में गाजर की बुवाई कर दी। वह दिन-रात खेत में मेहनत करता। कभी खेत में पानी लगाता, तो कभी खरपतवार हटाता। धीरे-धीरे गाजर की फसल तैयार हो गई। किसान ने जब सारी गाजर खोद ली तो भालू किसान के पास आया और कहा कि “बेवकूफ़ किसान, मुझे मेरी फसल का हिस्सा दो, वरना मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।”
तो किसान ने कहा कि “भालू भैया, मैं आप ही का इंतजार कर रहा था। मैंने आपके हिस्से के हरे-हरे सुंदर पत्ते अलग कर दिए हैं और जड़े मेरी गाड़ी में रख ली है। आप अपना हिस्सा ले सकते हैं।” भालू खुश हो गया।
किसान गाजर गाड़ी में लादकर चल पड़ा तो पीछे से भालू ने आवाज दी कि “अरे ओ किसान, मुझे भी अपनी एक जड़ देता जा, मैं भी तो देखूं कि तुम्हारी जड़ों का स्वाद कैसा है?” तो किसान ने एक गाजर भालू की ओर फेंक दी। भालू ने जब गाजर को खाया तो उसे अपने पत्तों से बहुत ज्यादा मीठी लगी।
अब भालू ने चिंघाड़ता हुए कहा, “तुमने मेरे साथ धोखा किया है। तुम्हारी जड़ें तो मेरे पत्तों से बहुत ज्यादा मीठी है। यहां से जल्दी चले जाओ और यहां दोबारा दिखाई दिए तो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।” किसान खुशी-खुशी वहां से चला गया।
अगले साल जब खेतों की बुवाई करने का वक्त आया तो किसान फिर से वहां पहुंचा। उसने फिर से जमीन को साफ किया और खेत में हल चलाने लगा तो कहीं से भालू आ टपका। किसान को देखते ही भालू ने तेज आवाज में कहा कि “तुम फिर से यहां आ गए। क्या तुम्हें अपनी जान प्यारी नहीं है?”
किसान ने प्यार से कहा, “अरे भालू भैया, ऐसी बात नहीं है। आप मुझसे नाराज मत होइए। पिछली बार शायद आपको फसल का ऊपर वाला हिस्सा अच्छा नहीं लगा। चलिए कोई ना, इस बार आप जड़ें ले लेना। ऊपर का हिस्सा मैं ले लूंगा। आपकी खुशी के लिए मैं ऊपर का हिस्सा लेकर ही संतुष्ट हो जाऊंगा।”
भालू फिर से लालच में आ गया उसने सोचा कि यह सौदा जरूर फायदे वाला साबित होगा। तो भालू ने तेज आवाज में कहा कि “कोई भी होशियारी करने की कोशिश मत करना, वरना इस बार तुम नहीं बचोगे।”
इस बार किसान ने टमाटर बोए। पिछली बार की तरह ही वह इस बार भी खूब मेहनत करता रहा। सही समय पर टमाटर की फसल पककर तैयार हो गई। किसान ने जब सारे टमाटर तोड़ लिए तो वहां भालू आ पहुंचा और अपने हिस्से की जड़ें मांगी। तो किसान ने सारी जड़े भालू को दे दी। भालू मन ही मन किसान की बेवकूफी पर हँसा।
जब किसान अपने टमाटर गाड़ी में लादकर चल पड़ा। तो पीछे से भालू ने आवाज़ लगाई कि “अरे ओ किसान, जरा मुझे भी दिखाता जा कि इस बार तेरे हिस्से में क्या आया है?” तो किसान ने एक टमाटर भालू की ओर फेंक दिया। भालू ने जब टमाटर को खाया तो उसे बहुत अच्छा लगा और फिर अपनी जड़ों को चखा तो नीरस लगी।
अब भालू गुस्सा हो गया और चिंघाड़ते हुए किसान पर टूट पड़ा। परंतु किसान भी चतुर था। इस बार वह खाली हाथ नहीं आया था बल्कि अपने साथ एक बड़ी सी कुल्हाड़ी लेकर आया था। साथ ही, गांव से कुछ आदमी भी अपने साथ लेकर आया था, जो छुपे हुए थे।
चतुर किसान ने भालू को झपटता हुआ देखकर कुल्हाड़ी से वार कर दिया और तभी गांव से आए आदमी भी बाहर निकल आए। उन सब के हाथ में बड़ी-बड़ी कुल्हाड़ी थी। सबने मिलकर भालू की खूब धुनाई की। भालू किसी भी तरह से बचकर वहां से जंगल में भाग गया और फिर से कभी भी उस किसान के खेत में नहीं आया।
चतुर किसान को अब किसी का भी भय नहीं रहा था। वह आए साल बिना किसी भय के वहां फसल उगाता। अब वह छोटा सा खेत हमेशा के लिए उस चतुर किसान का हो चुका था।
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चतुर किसान और भालू की कहानी से सीख
- हमें कभी भी दूसरों की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए। हमेशा खुद की मेहनत पर भरोसा रखना चाहिए।
- हमें हर परिस्थिति में बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए और समस्या को कोसने के बजाय समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए।
- जरूरत पङने पर हमें किसी मजबूर की मदद करनी चाहिए। यदि हम लोगों की मदद करते है तो हमें भी जरूरत पङने पर मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको चतुर किसान और भालू की कहानी (Chatur Kisan aur Bhalu ki Kahani) बतायी। आपको यह भालू और किसान की कहानी (Bhalu aur Kisan ki Kahani) कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। यदि आप इसी तरह की और हिंदी कहानी पढ़ना चाहते है तो हमें सब्सक्राइब करना न भुले।
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