real horror story in hindi: शनिवार वाड़ा की 1 सच्ची घटना पर आधारित

real horror story in hindi: आज हम आपके लिए एक सच्ची घटना पर आधारित real horror story लेकर आए हैं। शनिवार वाड़ा के बारे में बहुत सारे लोगों ने सुन रखा होगा। शनिवार वाड़ा की अपनी बहुत सारी real horror story है, जो लोग अक्सर बताते हैं। आइए आज की शनिवार वाड़ा की real horror story in hindi पढ़ते हैं-

real horror story in hindi: शनिवार वाड़ा की सच्ची घटना पर आधारित

मुंबई में अपने ऑफिस के केबिन में बैठे-बैठे विकास जी अपनी horror story वाली वेबसाइट की प्रोग्रेस देख रहे थे। वैसे तो प्रोग्रेस बहुत अच्छी थी लेकिन तुलनात्मक रूप से बढ़ने के बजाय थोड़ी सी कम हो गई थी। इससे चिंतित विकास ने अपनी टीम के कुछ सदस्यों से बात की और इसके बाद अपनी horror story राइटर अनविका को फोन लगाया।

“अनविका जी, आपने स्टोरी तो बहुत बढ़िया लिखी है। मुझे आपकी स्टोरी बहुत पसंद आ रही है। लेकिन पिछले कुछ महीनों की तुलना में आजकल views थोड़े कम आ रहे हैं।” चिंतित विकास ने कहा।

“ओके, पर आप चिंता मत करें। मैं अपनी तरफ से अपनी स्टोरी में और भी इंप्रूवमेंट करूंगी। पर मेरा ख्याल है कि एक बार आप टीम के बाकी मेंबर्स से बात करके देखिए कि उनका क्या मानना है?” अनविका ने जवाब दिया।

विकास ने कहा, “मैंने बाकी टीम मेंबर्स से बात कर ली है। उनका कहना है कि आजकल real horror story की डिमांड ज्यादा है तो हमें real horror story पर फोकस करना चाहिए।”

“real horror story?” अनविका ने थोड़े आश्चर्य के साथ पूछा।

“यस, real horror story. जैसे कि अलवर का भानगढ़, जैसलमेर का कुलधरा, या फिर पुणे का शनिवार वाड़ा की कोई real horror story. क्यों ना आप इनमें से किसी एक पर real horror story in hindi लिखो।” विकास ने उत्साह के साथ कहा।

“हां, मैंने इन सब लोकेशन के बारे में सुन तो रखा है। लेकिन मुझे इनमें से किसी भी लोकेशन के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं हैं।” अनविका ने धीरे से कहा।

विकास ने कहा, “कोई ना, पर आप एक बार गूगल से किसी एक लोकेशन के बारे में जानकारी ले लीजिए और बेहतर होगा कि आप उस लोकेशन को विजिट करें और वहां के लोगों से बातचीत करें और एक real horror story लिखें। मुझे कोई काल्पनिक स्टोरी नहीं चाहिए, I want real horror story.”

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“ओके, don’t worry. पुणे का शनिवार वाड़ा हमारे पास में ही है तो मैं शनिवार वाड़ा के लिए कुछ प्लान करती हूं।” अनविका ने कहा।

“सुना है कि वहां पूर्णिमा के दिन जाने के लिए मनाही होती है। और इस शनिवार को ही पूर्णिमा पड़ती है तो क्यों ना आप इस वीकेंड पर ही ट्राई करो?” विकास ने उतावला होकर कहा।

“ओके, मैं कुछ प्लान करती हूं और फिर आपको अपडेट दूंगी।” कहकर अनविका ने फोन रख दिया।

अब अनविका शनिवार वाड़ा जाने के लिए तैयारी करने लगती हैं और वहां जाने के लिए इस शनिवार को ही चुनती है। वह गूगल से शनिवार वाड़ा के बारे में कुछ जानकारी जुटाती हैं। अनविका ने एक वेबसाइट पर पढ़ा-

शनिवार वाड़ा पुणे का एक प्राचीन किला है। इस किले की नींव 1730 में शनिवार के दिन रखी गई। इस कारण इसे शनिवार वाड़ा के नाम से जाना जाता है। शनिवार वाड़ा किले को पेशवा बाजीराव प्रथम ने बनवाया था। निर्माण के बाद लगभग 85 साल तक शनिवार वाड़ा मराठा पेशवाओं के अधिकार में रहा था। लेकिन 1818 ईस्वी में अंग्रेजों ने इसे अपने अधिकार में ले लिया और भारत को स्वतंत्रता मिलने तक यह किला अंग्रेजों के अधिकार में ही रहा।

शनिवार वाड़ा के बारे में गूगल से काफी जानकारी जुटाने के बाद अनविका ने अपनी सहयोगी दोस्त दीया को फोन लगाया और शनिवार वाड़ा जाने की प्लानिंग के बारे में डिस्कस किया।

अब अनविका शनिवार के दिन अपनी सहयोगी दीया के साथ पुणे के लिए निकल गई। गाड़ी में बैठी दोनों फ्रेंड्स एक-दूसरी के साथ शनिवार वाड़ा के बारे में बातें करने लगी।

दीया: अनविका, यह शनिवार वाड़ा ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही इंटरेस्टिंग जगह लगती हैं। मैंने गूगल पर पढ़ा था कि शनिवार वाड़ा बनने के बाद बहुत सालों तक उस पर मराठाओं का अधिकार रहा लेकिन बाद में अंग्रेजों ने उस पर अधिकार कर लिया।

अनविका: हां हां, बिल्कुल सही है। इन ऐतिहासिक जगहों की तो बात ही अलग होती है।

दीया: तो क्या ये भी सच है कि वहां कोई आत्मा रहती है।

अनविका: अभी तक तो यही सुना है। पर ये तो वहां जाकर ही पता चलेगा कि आखिरकार इस बात में कितनी सच्चाई है। गूगल पर तो मैंने भी पढ़ा है कि वहां 18 वर्षीय नारायण राव की आत्मा रहती है, जो की मराठा पेशवा बना था और उसकी रहस्यमयी तरीके से हत्या कर दी गई थी। लोग तो यह भी कहते हैं कि हर पूर्णिमा की रात को नारायण राव के आखिरी शब्द इस महल में आज भी सुनाई देते हैं।

दीया: अरे, पूर्णिमा तो आज ही है। इसका मतलब कि हो सकता है कि आज हमारा सामना नारायण राव से हो जाए। (हंसते हुए कहा)

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अनविका: अब ये तो मुझे नहीं पता। लेकिन ये जरूर पता है कि अफवाहें यूं ही नहीं फैलती, इसके पीछे कोई ना कोई तो छोटा-मोटा रहस्य जरूर होगा। और बहुत सारे लोगों ने दावा भी किया है कि उन्होंने नारायण राव के आखिरी शब्दों की गूंज महल में सुनी है।

दीया: नारायण राव के आखिरी शब्द? कौन से आखिरी शब्द? (आश्चर्य के साथ कहा)

अनविका: क्या तुमने गूगल पर ये नहीं पढ़ा कि उस समय सिंहासन को पाने के लिए किसी ने नारायण राव पर हमला किया था और नारायण राव ने अपने चाचा को मदद के लिए पुकारा था। वही नारायण राव के आखिरी शब्द थे। नारायण राव ने कहा था कि ‘काका मला वाचवा’। जिसका मतलब है चाचा मुझे बचाओ और लोगों का दावा है कि हर पूर्णिमा की रात को यही शब्द इस महल में गूंजते हैं।

दीया: नारायण राव को किसने मारा था?

अनविका: कहीं से मैंने सुना था कि नारायण राव को उसी के चाचा ने मारा था लेकिन अब सच्चाई क्या है, वह तो वहां के लोगों से जानकर ही पता चलेगा।

दीया: लगता है आज का दिन बहुत खास होने वाला है क्योंकि हम पहली बार real horror story के लिए ट्राई जो कर रहे हैं। (उत्साहित होकर कहा)

अनविका: यस, i hope. हमें real horror story के लिए अच्छा कंटेंट मिल जाए।

ये सब बातें करते-करते दोनों सहेलियां शनिवार वाड़ा पहुंच गई। वहां जाकर दिया ने अपना कैमरा तैयार किया और अनविका उसे निर्देश देने लगी।

अनविका: देखों, मैं यहां के लोगों से बातचीत करूंगी और तुम्हें महल के हर हिस्से का वीडियो रिकॉर्ड करना है। इस महल के बारे में कुछ भी छूटना नहीं चाहिए और ध्यान रहे कि शाम होने से पहले हमें पूरा काम कंप्लीट करके यहां से निकल जाना है।

दिया ने भी हंसते हुए कहा, “ओके बॉस, as your wish.”

अब किले के अंदर जाकर अनविका एक-एक करके टूरिस्ट से से बातचीत करना स्टार्ट करती है और जो भी उसे इंपॉर्टेंट फैक्ट लगता है, उसे अपनी डायरी में साथ-साथ लिखती रहती हैं। वहीं दीया महल के हर हिस्से का वीडियो रिकॉर्ड करना स्टार्ट करती है।

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दीया महल के बाहर से वीडियो रिकॉर्ड करते-करते अंदर पहुंच जाती है और पूरे ध्यान से हर एक चीज को अपनी वीडियो में शामिल करती है। उसे अहसास ही नहीं होता कि वह वीडियो रिकॉर्ड करते-करते कब बाकी सभी टूरिस्ट को पीछे छोड़कर अकेली ही महल के कुछ सुनसान हिस्सों में चली जाती है।

वीडियो रिकॉर्ड करते-करते उसे एक परछाई दिखाई देती हैं। अब दीया सम्मोहित होकर उस परछाई के पीछे-पीछे रिकॉर्ड करते हुए चलने लगती है।

कुछ देर चलने के बाद परछाई अचानक से गायब हो जाती हैं। दीया पसीने से लथपथ हो जाती है। लेकिन वह अपनी पूरी हिम्मत जुटाकर चिल्लाती है कि “कौन है? प्लीज बाहर आओ।” तभी अचानक दीया को अपने कंधे पर एक बहुत गर्म हाथ महसूस हुआ। दीया की सांस अचानक से थम सी गई और वह चीखती हुई पीछे मुड़ी तो उसने देखा कि वहां अनविका खड़ी थी।

अनविका ने कहा, “अरे पागल, ऐसे क्यों चिल्ला रही हो? जैसे कोई भूत देख लिया हो।”

दिया ने कहा कि, “अनविका, मैंने वहां एक परछाई देखी थी और वह कोई सामान्य चीज नहीं थी।”

अनविका ने कहा, “अरे यार! ये सब तुम्हारा वहम है। चलो ड्रामा मत करो। जल्दी से सारा काम खत्म करो। हमें शाम होने से पहले यहां से निकलना है और बेहतर होगा कि हम दोनों एक-दूसरे के पास ही रहे।”

अब अनविका वहां खड़ी एक-दो टूरिस्ट से बात करने लगती है और दीया कैमरे से वहीं पर रिकॉर्डिंग करना स्टार्ट करती है। अनविका अपनी डायरी में नोट करने में बिजी होती है। तभी दीया ने देखा कि अनविका की दूसरी तरफ एक मराठा सैनिक खड़ा है, जिसकी आंखें पूरी लाल है और वह दिया की तरफ ही देख रहा है।

दीया डर जाती है और एकदम से उसकी आवाज गायब सी हो जाती है। वह सैनिक उसी की ओर बढ़ता है तो दीया भी अपने कदम पीछे हटाने लगती है। अचानक से दीया अपने पीछे की दीवार से टकरा जाती है और उस दीवार से एक अंधेरे कमरे का गुप्त दरवाजा खुलता है, जिसमें दीया प्रवेश कर जाती हैं।

उस कमरे में चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा होता है। दीया को कहीं से भी बाहर निकलने का दरवाजा दिखाई नहीं देता और वह बेतहाशा इधर-उधर भागने लगती है। वह दरवाजा ढूंढने की खूब कोशिश करती है लेकिन उसे कमरे से बाहर निकलने का दरवाजा नहीं मिलता।

दूसरी ओर काफी सारे लोगों से बातचीत के बाद अनविका को ध्यान में आता है कि दिया उसके पास नहीं है तो अनविका महल में घूम-घूम कर दीया को ढूंढती है। लेकिन दीया उसे कहीं भी नहीं मिलती। अब अनविका दीया को फोन लगाती है तो उसका फोन भी नोट रीचेबल आता है।

धीरे-धीरे सारे टूरिस्ट जा चुके होते हैं क्योंकि शाम का वक्त हो गया था और शाम के बाद टूरिस्ट का शनिवार वाड़ा में रहने की अनुमति नहीं होती। अब अनविका दीया को पुकारने लगती है कि, “दीया, यार ये कैसा मजाक है? जल्दी बाहर आ जाओ। शाम हो गई है हमें यहां से निकलना भी है।”

अनविका को कोई भी उत्तर नहीं मिलता। तभी सिक्योरिटी गार्ड अनविका के पास आता है और कहता है कि, “मैडम शाम के वक्त यहां रहना अलाउड नहीं है, प्लीज आप बाहर चलिए। महल के गेट बंद करने का समय हो गया है।”

अनविका कहती है कि, “मेरे साथ मेरी एक फ्रेंड आई थी जो इस महल में ही कहीं खो गई है। प्लीज आप उसे ढूंढने में मेरी मदद कीजिए।”

सिक्योरिटी गार्ड कहता है, “मैडम, मैं अभी पूरे महल का चक्कर लगा कर आया हूं। आपके अलावा इस पूरे महल में कोई नहीं है। शायद आपकी फ्रेंड बाकी टूरिस्ट के साथ ही बाहर निकल गई होगी। प्लीज आप मेरे साथ बाहर चलिए।”

परंतु अनविका को पता था कि दीया उसे बिना बताए बाहर नहीं जा सकती। वह जरूर इसी महल में है लेकिन सिक्योरिटी गार्ड द्वारा बार-बार कहने पर वह शनिवार वाड़ा से बाहर निकल जाती हैं। अनविका को किसी अनहोनी का डर अंदर ही अंदर खाए जा रहा था।

एक तरफ अनविका दीया को ढूंढ रही थी। वहीं दूसरी तरफ दीया उस अंधेरे कमरे से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ रही थी। उसे कहीं से भी कमरे से बाहर निकलने का दरवाजा नहीं दिखाई दे रहा था। अंधेरे में इधर-उधर टकराते हुए वह एक दूसरे कमरे में पहुंची। वहां एक 18 वर्ष का लड़का खड़ा था जो किसी व्यक्ति से कहा रहा था कि, “काका, अभी मेरी उम्र ही कितनी हुई है भला? 18 वर्ष का तो हुआ हूं और इतनी कम उम्र में ही लोगों ने मुझे पेशवा घोषित कर दिया है। मैं अभी राज कार्य संभालने के काबिल ही कहाँ हूं?”

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तो जवाब में सामने वाले ने कहा कि, “नारायण राव, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि तुम किसके काबिल हो और कितने काबिल हो? लेकिन अभी रात में एक विशेष सभा का आयोजन है। तुम उस सभा में आने के लिए अपनी तैयारी शुरू करो।”

“ठीक है, राघव काका” नारायण राव ने कहा। इतना सुनते ही राघव काका वहां से मुड़ जाता है।

तभी नारायण राव उस विशेष सभा में जाने के लिए तैयारी कर ही रहा होता है कि कुछ सैनिकों ने आकर धोखे से नारायण राव पर वार कर दिया। नारायण राव चिल्लाता है कि, “काका मला वाचवा।”

“हां नारायण, मैं आता हूं।” कहते हुए राघव बा कमरे में प्रवेश करता है और अपनी तलवार निकालकर नारायण राव के पेट में मार देता है। राघव बा हँसने लगता है।

राघव बा हंसते हुए कहता है कि, “तुम्हारे बाप यानि कि मेरे बड़े भाई साहब के मरने के बाद पेशवा मुझे बनाया जानना चाहिए था। लेकिन तुम्हें बना दिया गया पर अब इस खानदान का मेरे सिवाय कोई नहीं बचा है तो अब से पेशवाई मेरी होगी। मैं बनूँगा पेशवा राघव बा।”

नारायण दर्द में कराहता हुआ गुस्से में बोला कि, “आपने इस सिंहासन के लिए मुझे धोखे से मारा है। लेकिन मैं श्राप देता हूं कि मेरे बाद इस सिंहासन पर कोई नहीं बैठेगा।” इतना कहते हुए नारायण राव दम तोड़ देता है।

आज पूर्णिमा की रात थी और कई सौ साल पहले का इतिहास आज खुद को दोहरा रहा था और इस इतिहास की प्रत्यक्षदर्शी बनी थी, दीया। दीया की हालत बहुत खराब थी। तभी उसे अपने कंधे पर किसी के हाथ का अहसास हुआ। उसने सोचा कि पक्का वह अनविका ही होगी।

“अनविका, यहां जो भी हुआ वह देखा तुमने।” कहते हुए वह पीछे की ओर मुड़ी तो देखा कि नारायण राव खड़ा था।

महल के गेट के बाहर खड़ी अनविका सुबह होने का इंतजार कर रही थी। पूरी रात वह एकटक महल की ओर देखे जा रही थी। सुबह होते ही वह सिक्योरिटी गार्ड के बार-बार मना करने के बावजूद भी महल में घुस गई और दीया को ढूंढने लगी।

काफी ढूंढने के बाद उसने देखा कि महल के एक कोने में दीया बेहोश पड़ी है। अनविका ने दीया को उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन दीया को होश नहीं आया तो उसने पानी के छींटे दीया के मुंह पर मारे तो दीया उठ गई।

“भगवान का लाख-लाख शुक्र दीया! कि तुम सही सलामत हो। मैं बहुत डर गई थी।” कहते हुए अनविका ने दीया को गले से लगा लिया।

होश में आने के बाद दीया के चेहरे पर डर साफ-साफ दिखाई दे रहा था। अनविका ने पूछा कि, “दीया तुम अचानक से मुझे छोड़कर कहां चली गई थी? मैंने पूरी रात शनिवार वाड़ा के बाहर खड़ी रहकर तुम्हारा इंतजार किया, लेकिन तुम नहीं मिली। तुम्हें पता है मैंने सिक्योरिटी गार्ड की बात भी नहीं मानी और तुम्हें ढूंढने महल में आ गयी।”

अब दीया अनविका को जल्दी से इस महल से बाहर ले जाने के लिए कहती है और दोनों उस महल से बाहर निकल जाते हैं। महल से बाहर निकलकर गाड़ी में बैठने के बाद दीया रात का सारा घटनाक्रम अनविका को सुनाती है।

अनविका: क्या नारायण राव ने तुम्हारे कंधे पर हाथ रखा था और क्या कहा उन्होंने?

दीया: नारायण राव ने कहा कि मैंने कहा था ना कि इस महल में कोई भी नहीं रुकेगा। केवल इस बार के लिए मैं तुम्हें क्षमा करता हूं क्योंकि आज तुमने अपनी आंखों से सारे इतिहास को देख लिया है। पर तुम अब लोगों को यह सारी सच्चाई बताओगी। इतना कहकर नारायण राव गायब हो गया।

इस real horror story को सुनकर अनविका की आंखें फटी की फटी रह गई। यह बिल्कुल उसी तरह की कहानी थी जैसी उसे real horror story चाहिए थी।

मुंबई पहुंचकर अनविका ने दीया के अनुभवों पर एक real horror story in hindi लिखी और विकास को सौंप दी। विकास ने उस real horror story को अपनी वेबसाइट पर पब्लिश किया तो देखते ही देखते उस real horror story ने पूरे इंटरनेट पर धमाल मचा दिया। वह real horror story सुपरहिट हो गई।

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विकास बहुत खुश था। उसने अनविका और दीया की दोस्ती की दाद दी। साथ ही, विकास ने दोनों के काम के प्रति रुझान की भी तारीफ करी। विकास ने दोनों की सैलरी भी बढ़ा दी। लेकिन अनविका अब विकास से कह चुकी थी कि यह उसकी लास्ट real horror story है।

Conclusion: आपको आज की शनिवार वाड़ा की real horror story in hindi पसंद आयी होगी। आप हमारी वेबसाइट पर इसी प्रकार की और भी daravani kahaniyan hindi mein, daravani kahaniyan bhoot ki और Daravani kahaniyan पढ़ सकते हैं। साथ ही, आज की real horror story के बारे में अपने विचार कमेन्ट में जरूर साझा करें।

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